नीतीश कुमार खुद के लिए विपक्षी इंडिया गठबंधन पर डाल रहे दबाव
बिहार में सत्तारूढ़ दो प्रमुख सहयोगियों जनता दल (यूनाइटेड) और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के बीच संबंधों में ताजा तनाव होता दिख रहा है। इसका ताजा कारण शुक्रवार को राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को जदयू अध्यक्ष पद से हटाना हो सकता है। इसके बाद सीएम नीतीश कुमार ने स्वयं इस पद पर कब्जा कर लिया है। ऐसा माना जाता है कि यह कदम ललन सिंह की राजद के साथ बढ़ती निकटता से उपजा है। नीतीश कुमार इण्डिया गठबंधन में स्वयं के लिए एक जरूरी किरदार के लिए विपक्षी इण्डिया गठबंधन पर दबाव डाल रहे हैं। ऐसे समय में वह अपनी पार्टी की एकतरफा कमान चाहते थे।
जेडीयू में हुए ताजा बदलाव के बाद बिहार में महागठबंधन के दो प्रमुख सहयोगियों के बीच साफ कलह के नए संकेत अब देखने को मिल रहे हैं। डिप्टी मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने अपना आधिकारिक ऑस्ट्रेलिया दौरा रद्द कर दिया है। यह 6 जनवरी से प्रारम्भ होने वाला था। तेजस्वी ने आईआरसीटीसी मुद्दे में प्रवर्तन निदेशालय के समक्ष अपनी निर्धारित उपस्थिति के एक दिन बाद यात्रा की योजना बनाई थी।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, राजद के एक प्रमुख नेता ने बोला कि पार्टी राज्य की राजनीति में अनिश्चितता के समय अपने प्रमुख नेता को राष्ट्र से बाहर भेजकर कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती है। उन्होंने कहा, “तेजस्वी ने दिसंबर में चार मौकों पर मुख्यमंत्री के साथ मंच साझा नहीं किया था। यह हमारे तनावपूर्ण संबंधों का संकेत हैं। मुख्यमंत्री अक्सर बिहार में कुशासन (राजद के कार्यकाल के दौरान) के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष संदर्भ से अपने डिप्टी को शर्मिंदा करते थे।”
राजद के एक नेता ने बोला कि जनवरी दोनों पार्टियों के लिए जरूरी महीना होगा। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि कैबिनेट विस्तार जल्द हो। उसके बाद हमें आश्वासन मिलेगा कि महागठबंधन बरकरार है और हम अभी भी ठीक और सकारात्मक मानसिकता के साथ लोकसभा चुनाव में जा सकते हैं।” आपको बता दें कि नीतीश कैबिनेट में चार मंत्रालय अभी भरे जाने बाकी हैं। उन्होंने बोला कि दोनों दलों के बीच मतभेदों के बावजूद विधानसभा में संख्या बल के कारण नीतीश कुमार को गठबंधन में बने रहने से रोका जाएगा।
उन्होंने कहा, “राजद, कांग्रेस पार्टी और वाम दलों के पास कुल मिलाकर 114 विधायक हैं, जो सामान्य बहुमत से सिर्फ़ आठ कम हैं। नीतीश कुमार दोबारा एनडीए के साथ जाने की जोखिम नहीं उठाएंगे क्योंकि इस प्रक्रिया में उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवानी पड़ सकती है। नीतीश तभी तक जरूरी और प्रासंगिक हैं जब तक वह मुख्यमंत्री हैं।”
2020 के विधानसभा चुनावों में जद (यू) को राजद या बीजेपी द्वारा प्राप्त सीटों की तुलना में सिर्फ़ आधी सीटें मिलीं। जद (यू) को सिर्फ़ 43 सीटें मिलीं, जबकि बीजेपी ने 74 और राजद ने 75 सीटें जीतीं। नीतीश तब बीजेपी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रहे थे। अगस्त 2022 में राजद और कांग्रेस पार्टी से हाथ मिलाने तक वे बीजेपी के साथ ही रहे।
जद (यू) नेताओं ने अपने गठबंधन सहयोगी के साथ किसी भी मतभेद के बारे में बात नहीं की है। हालांकि वे ललन सिंह को हटाने के बारे में मुखर हैं। वहीं, ललन सिंह ने नीतीश कुमार के साथ अनबन की चर्चा को खारिज कर दिया है। उन्होंने बोला कि यह उनके 37 वर्ष से अधिक लंबे सियासी करियर को धूमिल करने का कोशिश था।