मोबाइल से खेती सीख लगाई पपीते की बागवानी, अब प्रतिदिन हो रही इतनी बम्पर कमाई
बिहार में पपीता की खेती को कमाई का सर्वोत्तम साधन माना जाता है। पिछले 10 वर्षों से राज्य के विभिन्न जिलों में सरकारी योजना की सहायता से बड़े पैमाने पर पपीता की बागवानी होती आई है। लेकिन वर्ष 2022 से रेडिएशन के कारण कई इलाकों में पपीता की अच्छी फसल नहीं हुई। इसकी वजह से बाजार में गिरावट का दौर प्रारम्भ हो गया। किसानों ने पपीता की कम खेती करना प्रारम्भ कर दिया। ऐसा ही एक क्षेत्र बिहार के बेगूसराय जिला के डंडारी प्रखंड का है।
आठ पंचायत के इस प्रखंड के किसानों ने कई वर्षों तक पपीता की बागबानी कर क्षेत्र की पहचान बनाई। वहीं अब पिछले तीन वर्षों से इस क्षेत्र से यह फसल मानो गायब ही हो गई। हालांकि यहां की स्त्री किसान अनारती देवी ने हौसला जुटाकर मोबाइल की सहायता से इसकी खेती करना प्रारम्भ किया और अब वो क्षेत्र में चर्चित हो गई हैं। अभी वो तीन बीघे में पपीता की खेती कर अच्छी कमाई कर रही हैं।
मोबाइल पर सीखा पपीता की बागवानी का ट्रिक
बेगूसराय जिला के डंडारी प्रखंड स्थित राजोपुर वार्ड संख्या-5 की रहने वाली अनारती देवी ने कहा कि समाज के लोगों ने जब पपीता की बागवानी छोड़ दी, तो इसकी वजह ढूंढने के लिए News 18 के अन्नदाता कार्यक्रम को मैंने कई बार देखा। यहां से खेती की ट्रिक सीखकर मैंने अपने खेतों में पपीता की बागवानी प्रारम्भ कर दी। हालांकि खेती में उद्यान विभाग से सहायता नहीं मिल पाया, तो वो गांव में ही सूरज जीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़ गई। इसके बाद 1.50 लाख ऋण लेकर उन्होंने तीन बीघा में पपीता की बागवानी प्रारम्भ कर दी।
रोजाना 3000 रुपए की हो रही है कमाई
महिला किसान अनारती देवी ने कहा कि पपीता का फलन बहुत बढ़िया हो रहा है। प्रतिदिन तीन बीघा से 5000 तक का पका पपीता खेत से निकल रहा है। जिसे वो अपने पति को देकर बाजारों में बेचने के लिए भेज देती हैं। प्रतिदिन 5000 तक का पपीता बिक जाना छोटे किसानों के लिए बड़ी बात है। सभी प्रकार के खर्च को काटकर प्रतिदिन उन्हें 3000 की बचत हो जाती है। आज अनारती की खेती को देखकर कई किसान भी इसी खेती में लग गए हैं। दूर-दूर से किसान उनसे जानकारी लेने आते हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि पपीता कम लागत में अधिक लाभ देने वाली खेती है।