बिहार

ये शख्स पेश कर रहा है इंसानियत की मिसाल, अब तक कर चुका है 1000 लोगों का इलाज

आज कल लोग जिंदा रहते अपने परिचित या परिवार के लोगों से मुंह मोड़ लेते हैं उनका साथ छोड़ देते हैं पर एक शख्स मानवता की मिसाल पेश कर रहा है आरा में कोई लावारिस, जख्मी आदमी दिखता है तो उसका उपचार करवाता है साथ ही लावारिस मृतशरीर का आखिरी संस्कार भी करता है ये हैं अमरदीप कुमार

ये लावारिस, मानसिक विक्षिप्त, भिखारी ऐसे सभी जख्मियों का उपचार कराने का बीड़ा उठाया है लावारिस भिखारी को जख्म हो जाये, सड़क हादसा हो जाय, उनके शरीर मे कीड़े लग जाय तो उनको अमरदीप उनका उपचार स्वयं से करवाते हैं यदि कोई अज्ञात आदमी की मौत हो जाती है और कोई दाह संस्कार करने वाला नहीं है तो स्वयं अमरदीप श्मशान ले जा दाह संस्कार करते हैं

अब तक कर चुके हैं 1000 लोगों का इलाज
वर्ष 2018 से इस सेवा में लगे अमरदीप बताते हैं कि अब तक 1000 से अधिक लावारिस रोगियों को सदर हॉस्पिटल पहुंचा उनका उपचार करवाया है साथ ही 250 से अधिक लावारिस रोगियों को उनके परिजनों से मिला चुके हैंवर्ष 2023 में इन्होंने अज्ञात शवों का आखिरी संस्कार भी करना प्रारम्भ किया है अब तक ये 70 अज्ञात शवों का आखिरी संस्कार कर चुके हैं

ऐसे हुई शुरूवात
तीन वर्ष पहले समाज का योगदान लेकर अमरदीप स्टेशन पर भिखारियों को भोजन कराते थे इसी क्रम में उन्हें एक ऐसी बीमार स्त्री मिली, जो भोजन देने के बाद भी खाना नहीं खा पा रही थी जब अमरदीप को पता चला कि उक्त स्त्री मानसिक रोगी होने के साथ बुरी तरह घायल है तब पहली वे उक्त लावारिस स्त्री को उपचार कराने सदर हॉस्पिटल में ले गए उसके स्वस्थ होने तक उसकी सेवा सुश्रुसा की और बाद में उसे कोईलवर स्थित मानसिक आरोग्यशाला में भर्ती कराया उस स्त्री के उपचार कराने के बाद से ही अमरदीप कुमार जय ऐसे अन्य लावारिसों का उपचार कराना प्रारम्भ किए

इसके बाद से अमरदीप स्टेशन, बस स्टैंड और सड़क पर घायल हालत में मिले एक हजार से अधिक रोगियों का उपचार करा चुके हैं रोगियों की सेवा के लिए अमरदीप ने टीम मदर टेरेसा का गठन भी किया है बेसहारा लोगों के बीच भोजन और कपड़े मौजूद कराना आज भी उनकी दिनचार्या में शामिल है

धार्मिक रीति रिवाज से कराते है अज्ञात शवों का आखिरी संस्कार
सदर हॉस्पिटल में पड़े अज्ञात शवों की दुर्दशा देख अमरदीप एवं उनकी टीम उनका आखिरी संस्कार कराने में भी किरदार निभा रही है उन्होंने कहा कि पहली बार विगत 24 मार्च को एक अज्ञात मुसलमान पुरुष के मृतशरीर का आखिरी संस्कार शिवगंज स्थित कब्रिस्तान में रमजान के दिन कराया गया था इस कार्य में मुस्लिमों के अतिरिक्त कई हिंदुओं ने भी योगदान किया था

अमरदीप की देख रेख में अब तक 70 अज्ञात शवों का आखिरी संस्कार कराया जा चुका है उन्होंने कहा कि लावारिस रोगियों की सेवा से लेकर अज्ञात शवों का आखिरी संस्कार कराने में एक तरफ जहां समाज के सुधी जनों का भरपूर योगदान मिलता है, वहीं कई लोग तरह तरह के ताने देकर हमें हतोत्साहित भी करते रहते हैं

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