बिहार सरकार ने शिक्षक नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका यानी किया दायर
पटना। बिहार गवर्नमेंट ने शिक्षक नियुक्ति को लेकर उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका यानी एसएलपी दाखिल कर दिया है। मिली जानकारी के अनुसार, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने उच्चतम न्यायालय से केवल वन टू फाइव में बीएड अभ्यर्थियों के लिए एसएलपी दाखिल कर इजाजत मांगी है। लेकिन, यहां यह साफ कर दें कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के एसएलपी दाखिल करने से शिक्षकों की बहाली पर कोई असर नहीं पड़ेगा। बता दें कि उच्च न्यायालय ने उच्चतम न्यायालय के निर्णय को ठीक कहा था।
दरअसल, बिहार के संदर्भ में ये आदेश है या नहीं, इसको लेकर बिहार गवर्नमेंट को संशय था। अब उच्चतम न्यायालय से मंतव्य मांगने के साथ बीएड के लिए भी इजाजत मांगी गई है। बता दें कि बिहार में 1 लाख 70 हजार 461 पदों पर बहाली होनी है। ऐसे में बीएड अभ्यर्थियों के परिणाम पर रोक लगाए जाने के बाद एसएलपी दाखिल की गई है। यह मुद्दा बीएड पास शिक्षक अभ्यर्थियों से जुड़ा है।
दरअसल, बिहार लोक सेवा आयोग यानी बीपीएससी ने करीब दो हफ्ते पहले ये तय किया था कि बीएड पास प्राइमरी (पहली से पांचवीं) टीचर नहीं बन पाएंगे। उसके बाद शिक्षक भर्ती में शामिल 3 लाख 90 हजार बीएड पास कैंडिडेट्स के परिणाम पर रोक लगा दी गई थी। वहीं, बीपीएससी ने ये तय किया है कि केवल डीएलएड पास उम्मीदवारों का ही परिणाम जारी किया जाएगा।
बीपीएससी ने ये निर्णय उच्चतम न्यायालय के आदेश के कारण लिया है। बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में राजस्थान में शिक्षक बहाली के मुद्दे में प्राइमरी टीचर के लिए बीएड की योग्यता को खत्म कर दिया था। न्यायालय ने बोला था कि उसके निर्णय के बाद बीएड डिग्रीधारी विद्यार्थी प्राइमरी शिक्षक के लिए योग्य नहीं होंगे। केवल बीटीसी या डीएलएड डिग्री वाले विद्यार्थी ही कक्षा पांचवीं तक पढ़ाने के लिए पात्र माने जाएंगे।
सुप्रीम न्यायालय का निर्णय तब आया था जब बिहार में शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया चल रही थी। इस बीच ये मुद्दा पटना उच्च न्यायालय में भी पहुंचा। पटना उच्च न्यायालय में बिहार गवर्नमेंट ने दलील दी थी कि बीएड वालों को प्राइमरी टीचर नहीं बनाने का उच्चतम न्यायालय बिहार के संबंध में नहीं है। उच्चतम न्यायालय के निर्णय से ये क्लीयर नहीं हो रहा है कि बिहार में ये आदेश लागू होगा या नहीं?
इसी आधार पर 22 सितंबर को पटना उच्च न्यायालय ने बिहार गवर्नमेंट की दलील को खारिज कर दिया और बोला कि उच्चतम न्यायालय का निर्णय बिहार में भी लागू होगा। यानी बिहार की शिक्षक नियुक्ति में बीएड पास अभ्यर्थी प्राइमरी टीचर नहीं बन सकेंगे। पटना उच्च न्यायालय के इसी निर्णय को आधार बना कर बिहार गवर्नमेंट ने उच्चतम न्यायालय में एसएलपी दाखिल की है। बिहार गवर्नमेंट कह रही है कि उसे बीएड पास अभ्यर्थियों को प्राइमरी टीचर के पद पर नियुक्ति करने की इजाजत दी जाए।
विशेष अनुमति याचिका यानी एसएलपी के बारे में जानिए
विशेष अनुमति याचिका यानी एसएलपी तब भी दाखिल की जा सकती है जब कोई हाई कोर्ट सर्वोच्च कोर्ट में अपील के लिए उपयुक्तता को स्वीकृति नहीं देता है। आमतौर पर, शिकायतकर्ता के अतिरिक्त किसी अन्य निजी पार्टी को अपील करने की अनुमति नहीं दी जाती है।