इस सब्जी की खेती ने इस किसान की बदली किस्मत
बिहार के बक्सर जिला में हरी सब्जियों की खेती कर किसान आर्थिक उन्नति कर रहे है। डुमरांव अनुमंडल क्षेत्र के बड़े भूभाग पर किसान बड़े पैमाने पर हरी सब्जियां उगा रहे हैं। यही वजह है कि राष्ट्रीय राजमार्ग-922 के पास नया भोजपुर में सब्जी मंडी भी बड़ा रूप ले चुका है। क्षेत्रीय किसानों की सब्जियों के अच्छे दर मिल जाने से नकदी फसलों की ओर किसानों का रुझान अधिक हुआ है।
बक्सर जिला के जगदेपुर गांव में सब्जी की खेती करने वाले प्रगतिशील किसान उमाशंकर चौधरी ने कहा कि लगभग 10 एकड़ में हर वर्ष भिन्न-भिन्न प्रकार के सब्जियों की खेती की करते हैं। उन्होंने कहा कि इस बार एक बीघा में सेमनिस हाइब्रिड नेनुआ की खेती कर रहे हैं। इसकी खेती करने में 10 हजार लागत आया है।
लागत के पांच गुना हो रहा है मुनाफा
किसान उमाशंकर चौधरी ने कहा कि खेत से इस बार बड़ी मात्रा में नेनुआ का फलन हो रहा है। जिसे बाजार में बिक्री कर अच्छा फायदा कमा रहे हैं। उन्होंने कहा विगत 20 वर्षो से लगातार सब्जी की ही खेती करते आ रहे हैं। वहीं इस कार्य में परिवार के दस सदस्यों का योगदान भी रहता है। उन्होंने कहा कि पहले पारंपरिक खेती करते थे, लेकिन अब नए तकनीक के आधार पर जैविक खेती कर रहे हैं। खेती में पहले की तुलना में अब लागत से अधिक फायदा कमाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सेमिनिस हाइब्रिड नेनुआ का बीज डुमरांव से खरीद कर लाते हैं। वहीं इस हाइब्रिड की खेती लगातार दो वर्ष से कर रहे हैं जिससे अच्छी बचत हो रही है। किसान ने कहा कि इसकी विशेषता है कि एक पौधे में 20 से 30 किलो तक फलन होता है। साथ ही इसको पानी की भी अधिक आवश्यकता नहीं पड़ती है।।
दस दिनों के अंदर निकल गया लागत
किसान उमाशंकर चौधरी ने कहा कि नेनुआ का बंपर पैदावार होने से लागत से पांच गुना फायदा हो चुका है। प्रतिदिन खेत से एक से डेढ़ क्विंटल तक नेनुआ निकल रहा है। जिसे सुबह चार बजे तोड़ाई करना होता है। इसके बाद पैकिंग कर 6 बजे तक मंडी पहुंचा दिया जाता है। उन्होंने कहा कि प्रारम्भ में जब नेनुआ का फलन हुआ तो बाजार में 22 रुपए प्रति किलो बिक्री किया। लेकिन इस समय दर डाउन हो चुका है। हालांकि, फलन प्रारम्भ होने के दस दिनों में ही लागत निकल गया था। अब जितनी बिक्री हो रही है सिर्फ़ मुनाफे में जा रहा है। उन्होंने कहा कि जंगली जानवरों से खेत की रखवाली करनी होती है। इसके लिए दिन-रात खेत पर पहरेदारी भी करनी पड़ती है।