बिहार

प्राइवेट लैब से हेल्थ चेकअप कराना कितना जरूरी,एम्स दिल्ली के बड़े कार्डियोलॉजिस्ट की ये है राय…

Health Checkup News: कोराना काल के बाद से राष्ट्र में बिना डॉक्टरी राय (Doctor’s Advice) के हेल्थ चेकअप (Health Checkup) कराने की होड़ मची हुई है खासकर युवा बिना चिकित्सक की राय के हर दूसरे-तीसरे महीने हेल्थ चेकअप करा रहे हैं हालांकि, इसके पीछे चलते-फिरते, सोते-जागते, डांस और जिम में व्यायाम करते युवाओं की हो रही मृत्यु को वजह बताया जा रहा है लेकिन, प्राइवेट पैथलैब कंपनियां इस मौके को भुना कर और सुन्दर पैकेज देकर लाभ उठा रही है एक ही तरह के जांच के लिए प्राइवेट पैथोलॉजी वाले कभी मनमाने रुपये वसूलते हैं तो कभी जांच कराने के लिए तरह-तरह के स्कीम निकालते हैं ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि क्या बिना चिकित्सक राय के हेल्थ चेकअप कराना चाहिए? इस बारे में न्यूज 18 हिंदी ने दिल्ली एम्स (AIIMS Delhi) सहित राष्ट्र के अन्य बड़े सरकारी और गैरसरकारी अस्पतालों के बड़े और अनुभवी डॉक्टरों से बात की

दिल्ली-एनसीआर सहित राष्ट्र के अन्य शहरों में हर दूसरे-तीसरे दिन आपके पास हेल्थ चेकअप के नाम पर टेलीफोन जरूर आ जाता है ये कंपनियां हर दूसरे-तीसरे दिन आपको सुन्दर पैकेज का ऑफर देकर आपके जेब से हजारों रुपये निकाल लेती है प्राइवेट पैथलैब वाले आम आदमी को गंभीर रोग जैसे कैंसर, टीबी, किडनी खराब होने का डर दिखा कर या आपके खान-पान का दिनचर्या जान कर आपको टेस्ट कराने को विवश कर देते हैं इन कंपनियों के द्वारा 99 टेस्ट, 102 टेस्ट या फिर विटामिन प्रोफाइल, लुपीड प्रोफाइल और किडनी प्रोफाइल जैसे टेस्ट के ऑफर रहते हैं

कितना महत्वपूर्ण है रेगुलर हेल्थ चेकअप

आम आदमी गंभीर रोग से डरकर और बिना डॉक्टरी राय के जांच कराने की सहमति दे देता है, लेकिन ज्यादातर मौकों पर इस जांच का कोई मतलब नहीं होता है दिल्ली एम्स के कार्डियो सर्जन डॉ प्रोफेसर ए के बिसोई कहते हैं, ‘देखिए सबको पता है कि यह प्राइवेट कंपनियों का नेक्सस है गलत इन्वेस्टिगेशन कराओ, अधिक इन्वेस्टिगेशन कराओ फिर जिस जांच को कराए हो उसी जांच को फिर से रिपिट कराओ मै आपको बताना चाहता हूं कि आजकल तो चिकित्सक ही बिना महत्वपूर्ण के जांच करवाते हैं, जबकि किसी भी तरह का जांच तभी करानी चाहिए जब चिकित्सक को लगे कि बिना जांच कराए इसमें दवा नहीं दी जा सकती है देखिए, तीन कैटेगरी के रोगी होते हैं पहला, ओटो इन्वेस्टिगेशन, दूसरा रिपिट कैटेगरी और तीसरा अनावश्यक कैटेगरी लोगों के साथ-साथ डॉक्टरों में भी आवश्यकता नहीं है तो टेस्ट कराओ, अधिक टेस्ट कराओ और बार-बार या दोबारा या तीबारा टेस्ट कराओ भिन्न-भिन्न जगहों में यह तो आदत बनती जा रही है

एम्स दिल्ली के बड़े कार्डियोलॉजिस्ट की ये है राय
डॉ बिसोई आगे कहते हैं, ‘देखो मेरा थ्योरी सेंपल है जैसे मैं सर्जरी करता हूं यदि रोगी का एंजियोग्राफी बाहर हो रखा है और रोगी को देखने से और एंजियोग्राफी के देखने से भी ठीक लगता है तो मैं कभी रिपिट नहीं करता हूं लेकिन, प्राइवेट लैब वाले जो टेस्ट करते हैं वह कंप्लीट टेस्ट कभी नहीं करते कॉरपोरेट वालों ने एग्क्युटिव चेकअप के नाम पर अस्पतालों से टाइअप कर रखा है मान लो तुम किसी कंपनी में काम करते हो कंपनी ने तु्म्हें खुश करने के लिए कहा कि मैं आपका हेल्थ चेकअप कराऊंगा मान लो कि वह टेस्ट 100 रुपये की है आपका चेकअप हो गया, लेकिन वह आपके किसी काम की नहीं है हमलोग इसे बहुत गंभीरता से लेते हैं जब तक रोगी को आवश्यकता नहीं होती है, उसे वह टेस्ट कराने की राय नहीं देते जो उसके काम की नहीं है

प्राइवेट लैब के बहकावे में लोग वे टेस्ट कराते हैं, जिसकी आवश्यकता ही नहीं होती है

कुलमिलाकर प्राइवेट लैब के बहकावे में लोग वे टेस्ट कराते हैं, जिसकी आवश्यकता ही नहीं होती है हर कोई स्वस्थ और रोगमुक्त होना चाहता है इसके लिए वह पैथलैब कंपनी के झांसे में भी आ जाता है, लेकिन किसी भी शख्स को अपने मूत्र या खून की जांच उसी पैथलैब में करानी चाहिए जिसे एनएबीएल प्रमाणन मिला हो हिंदुस्तान में पैथोलॉजी लैब के लिए एनएबीएल जैसे कुछ प्रमाणपत्र जरूरी हैं

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