नीतीश कुमार कई मुद्दों पर इंडिया गठबंधन के फैसले से हुए नाराज
पटना। दिल्ली में हुई इण्डिया गठबंधन की बैठक मंगलवार को बेशक समाप्त हो गई हो, लेकिन अभी भी कई ऐसे प्रश्न हैं जिन्हें चार बैठकों के बाद भी सुलझाया नहीं जा सका है। इन्हीं प्रश्नों में से एक है कि इण्डिया गठबंधन में नीतीश कुमार की किरदार क्या होगी? जदयू के नेता भी लगातार दावा कर रहे थे कि नीतीश कुमार की किरदार इण्डिया गठबंधन में बड़ी होनी चाहिए। लेकिन जब बैठक समाप्त हुई तो जदयू को सबसे ज़्यादा निराशा हाथ लगी क्योंकि नीतीश कुमार की किरदार को लेकर कोई चर्चा ही नहीं हुई।
इसी सब के बीच जदयू के दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की जरूरी बैठक हो रही है, जिस पर सबकी निगाहें टिक गई हैं। दरअसल इण्डिया गठबंधन की बैठक के बाद जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक कई मायनों में जरूरी हो गई हैं क्योंकि ऐसी खबरें आ रही हैं कि नीतीश कुमार कई मुद्दों पर इण्डिया गठबंधन के निर्णय से नाराज हैं और उनकी नाराजगी के बीच हो रहे राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में कोई बड़ा फ़ैसला लेने की आसार जताई जा रही है।
मंत्री विजय चौधरी कहते हैं कि 29 दिसंबर की बैठक लोकसभा चुनाव के पहले हो रही है तो जाहिर है कि पार्टी के लिए बहुत जरूरी तो है ही और जब राष्ट्रीय कार्यकारिणी के साथ राष्ट्रीय परिषद की बैठक भी हो रही है तो कुछ जरूरी निर्णय भी लिए जा सकते हैं। दरअसल राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के साथ राष्ट्रीय परिषद की बैठक का होना बहुत जरूरी माना जाता हैं क्योंकि जब राष्ट्रीय कार्यकारिणी कोई निर्णय लेता है तो उसका अनुमोदन राष्ट्रीय परिषद से लेना होता है।
इसी वजह से बैठक को लेकर चर्चा का बाजार गर्म है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी में 99 सदस्य होते हैं तो वहीं राष्ट्रीय परिषद में 200 सदस्य होते हैं। इस बैठक में जदयू ने पार्टी के अनेक राष्ट्रीय पदाधिकारी, राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य, लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों के साथ-साथ जिलाध्यक्षों और समिति के सदस्यों को भी बुलाया है। जदयू के सूत्र बताते हैं कि नयी दिल्ली में इण्डिया गठबंधन की बैठक में जब ममता बनर्जी ने कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम की घोषणा पीएम पद के उम्मीदवार के तौर पर आगे की तो उसके बाद ही नीतीश कुमार असहज दिखे। वहीं इसके बाद संयोजक को लेकर भी कोई चर्चा नहीं हुई, जबकि नीतीश कुमार इसके प्रबल दावेदार बताए जाते रहे थे। इसकी बड़ी वजह ये थी कि नीतीश कुमार ने ही सबसे पहले इण्डिया गठबंधन की नींव डाली थी और तभी से उनकी किरदार जरूरी मानी जाती रही है। लेकिन, बावजूद इसके चौथी बैठक के बाद भी नीतीश कुमार की किरदार को लेकर कोई चर्चा तक नहीं हुई।
नीतीश कुमार की नाराजगी की एक और बड़ी वजह ये भी बतायी जा रही है कि नीतीश कुमार और डीएमके के नेताओं के बीच हिन्दी और अंग्रेजी भाषा को लेकर भी तकरार हुआ, जिसकी वजह से भी नीतीश कुमार नाराज बताए जाते हैं। बहरहाल अनेक बदली हुई हालात में जदयू की हो रही है बैठक में यदि पार्टी कोई बड़ा निर्णय ले ले तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी। अब ऐसे में राजनीतिक गलियारे में अटकलों का बाजार तेज हो गया है। सूत्रों के मुताबिक खरमास के बाद एक बार फिर से बिहार में बड़ा खेल होने की बात कही जा रही है।