नवरात्रि में प्रतिदिन डेढ़ से दो क्विंटल तंडुल प्रसाद की है खपत
बिहार के मशहूर महामुंडेश्वरी धाम में नवरात्रि के दौरान प्रतिदिन ढाई से तीन क्विंटल तंडुल प्रसाद की बिक्री हो रही है। कैमूर के पवरा पहाड़ी पर स्थित मंदिर में मां मुंडेश्वरी को तंडुल चावल का भोग लगाने की प्राचीन परंपरा है। मां के दरबार में दीप जलाने एवं तंडुल प्रसाद का नियमित भोग लगाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।
बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद ने वर्ष 2008 में राष्ट्रीय स्तर के पुरातत्व एवं इतिहासकारों से अध्ययन करवाया था। जिसमें यह पता चला कि मां मुंडेश्वरी मंदिर में तंडुल प्रसाद की परंपरा करीब 1500 से 1900 वर्ष पुरानी है।
ऑनलाइन भी मंगवा सकते हैं यह प्रसाद
धार्मिक न्यास परिषद के तत्कालीन प्रशासक आचार्य किशोर कुणाल ने 2012 में बिहार के सीएम नीतीश कुमार के हाथों से तंडुल प्रसाद के भोग लगाने की परंपरा को फिर से प्रारम्भ करवाया था। मां मुंडेश्वरी धार्मिक न्यास परिषद द्वारा भगवती को तंडुलका नियमित भोग लगाया जाता है। जिला प्रशासन द्वारा मंदिर में औनलाइन और डाक या कुरियर के माध्यम से संबंधित श्रद्धालुओं को तंडुल प्रसाद की होम डिलीवरी करने की सुविधा मौजूद कराई है।
280 रुपए किलो बिकता है तंडुल प्रसाद
तंडुल प्रसाद दुकान के मालिक शिव प्रताप कुशवाहा ने कहा की ये तंडुल प्रसाद बनाने में खास प्रक्रिया अपनाई जाती हैं। पहले चावल को भुजा जाता है। फिर कूटने के बेसन, इलायची, काली मिर्च, सौंप, काजू, किसमिस डालकर सही घी में बनाया जाता है। ये तंडुल प्रसाद 280 रुपए किलो बिकता है। खास बात यह है कि या प्रसाद 15 दिनों तक खराब नहीं होता है। अभी नवरात्रि चल रहा है तो रोजाना डेढ़ क्विंटल से अधिकतंडुल प्रसाद की खपत हो रही है।