राज्य सरकार की ओर से 18वां आर्थिक सर्वेक्षण विधानसभा के पटल पर किया पेश
पटना। राज्य गवर्नमेंट की ओर से 18वां आर्थिक सर्वेक्षण विधानसभा के पटल पर पेश किया गया। इसमें ग्रामीण विकास विभाग की ओर संचालित कार्यों का पूरा ब्योरा प्रस्तुत किया गया। गवर्नमेंट की ओर से कहा गया कि साल 2022-23 में ग्रामीण विकास पर राज्य में 15456.5 करोड़ रुपये खर्च किये गये। कुल बजट का लगभग 6.5 प्रतिशत राशि ग्रामीण विकास पर खर्च की गयी। हालांकि, इस वर्ष बीते चार सालों की अपेक्षा खर्च की राशि घटी है। साल 2021-22 में 7.12, साल 2020-21 में 9.44, साल 2019-20 में 9.19 तथा साल 2018-19 में 7.96 फीसदी राशि खर्च हुई थी। हालांकि, राष्ट्रीय औसत से बिहार में अधिक राशि खर्च की गयी। ग्रामीण विकास के लिए राष्ट्रीय स्तर पर 3.45 प्रतिशत राशि ही खर्च हुई है।
मनरेगा में जॉबकार्ड की संख्या घटी, रोजगार बढ़े
मनरेगा में बीते साल 2021-22 की अपेक्षा इस वर्ष नौकरी कार्ड की संख्या घट गयी है। पिछले साल कुल 235.3 लाख नौकरी कार्ड बने थे। साल 2022-23 में यह घटकर 167.01 लाख हो गयी है। पिछले साल की अपेक्षा इस वर्ष रोजगार पाने वालों की संख्या बढ़ी है। 2022-23 में 50.17 लाख तथा साल 2021-22 में 48 लाख परिवारों को काम मिला था। इनमें से 0.4 प्रतिशत परिवारों को सौ दिन रोजगार मिले। मनरेगा में रोजगार पाने वाली स्त्रियों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुआ है। मनरेगा में स्त्रियों में काम करने का फीसदी पिछले साल 53.2 फीसदी था। साल 2022-23 में यह आंकड़ा बढ़ कर 56.3 प्रतिशत हो गया। बीते साल की अपेक्षा साल 2022-23 में मनरेगा में कम काम ही पूरे हुए हैं। साल 2021-22 में जहां 13 लाख काम पूरे हुए, वहीं साल 2022-23 में 10.9 लाख काम ही पूरे हो सके।
मुख्य बातें
- -आर्थिक सर्वेक्षण ::- साल 2021-22 की अपेक्षा 2022-23 में खर्च की राशि घटी
- – वित्तीय साल 2021-22 की अपेक्षा 2022-23 में मनरेगा से तीन लाख काम कम हुए
डाटा
- 15456.5 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं ग्रामीण विकास पर वित्तीय साल 2022-23 में
- 50.17 लाख परिवारों को मनरेगा से रोजगार मिला है साल 2022-23 में
- 56.3 प्रतिशत स्त्रियों को काम मिला मनरेगा में, पिछले साल यह आंकड़ा 53.2 फीसदी था
जीविका के अनुसार 34 हजार करोड़ के कर्ज बांटे गये
जीविका के अनुसार सितंबर 2023 तक 10.47 लाख स्वयं सहायता समूहों का गठन किया गया। इनके बीच 34 हजार करोड़ रुपये के कर्ज बांटे गये। वैकल्पिक बैंकिंग मॉडल के अनुसार 5006 बैंक सखियों के द्वारा 10,742.07 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ। 32 जिलों में 109 प्रखंडों में स्वयं सहायता समूहों की ओर से मछली पालन प्रारम्भ किया गया है। जीविका की ओर से 32 जिलों के 100 प्रखंडों में सामुदायिक पुस्तकालय सह कैरियर विकास केंद्र स्थापित किये गये हैं।