बिहार

दिवाली के छः दिन बाद ही क्यों की जाती हैं छठ पूजा, जानें इसके पीछे का वास्तविक कारण

सनातन धर्म में दीपावली और छठ पर्व का विशेष महत्व है खास कर यदि बत की जाए उत्तर प्रदेश और बिहार की, तो इन राज्यों में छठ को महापर्व के रूप में मनाया जाता है बड़ी बात यह है कि समय के साथ छठ पूजा राष्ट्र के कई राज्यों में भी होने लगी है लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि आखिरकार दीपावली के छः दिन बाद ही छठपूजा की आरंभ क्यों होती है ? दीपावली के ठीक छः दिन बाद शाम के समय ईश्वर सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा की आरंभ की जाती है, जो अगले दिन सूर्योदय के समय सूर्यदेव की पूजा से ही खत्म होती है ज्यादातर लोग इसके पीछे के असली कारण से आज भी अनजान हैं

बेतिया निवासी ज्योतिषाचार्य राधाकांत शास्त्री बताते हैं कि छठ महापर्व को लेकर कई धार्मिक मान्यताएं हैं हालांकि, इसकी आरंभ सतयुग में ही हो गई थी, लेकिन दीपावली की शुरुवात श्रीराम के समय त्रेता युग से हुई ऐसे में दीपावली के ठीक 6वें दिन छठ पूजा की तिथि आती है इसका कारण बताते हुए आनंद रामायण का जिक्र करते हुए राधाकांत शास्त्री ने कहा कि जब श्रीराम, रावण वध कर अयोध्या लौटे तो ब्राह्मणवध के पाप से मुक्त होने के लिए ऋषि-मुनियों के आदेश पर राजसूय यज्ञ करने का निर्णय लिया यज्ञ हेतु बिहार के मुंगेर में रहने वाले मुद्गल ऋषि को आमंत्रण दिया गया लेकिन मुद्गल ऋषि ने श्रीराम और माता सीता को अपने ही आश्रम में आने का आदेश दिया ऋषि की आज्ञा पर राम और सीता स्वयं वहां पहुंचे

आनंद रामायण में है वर्णन

राधाकांत शास्त्री ने आनंद रामायण का जिक्र करते हुए कहा कि मुद्गल ऋषि ने मां सीता को गंगा छिड़क कर पवित्र किया और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्यदेव की उपासना करने का आदेश दिया गौर करने वाली बात यह है कि माता सीता द्वारा जिस तिथि को ईश्वर सूर्य की उपासना प्रारम्भ की गई, वह दीपावली का 6वां दिन था ऐसे में हर वर्ष उसी तिथि को सूर्य उपासना की परम्परा प्रारम्भ हुई, जो दीपावली के छठे दिन की जाती है माता सीता ने जिस स्थान पर षष्टी तिथि को सूर्य की उपासना की थी, वहां आज भी उनके पदचिन्ह उपस्थित हैं कालांतर में जाफर नगर दियारा क्षेत्र के लोगों ने वहां पर मंदिर का निर्माण करा दिया, जो आज सीताचरण मंदिर के नाम से मशहूर है

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