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बिहार के मंत्री जी 30 लाख की गाड़ी से जनता से मिलेंगे, जानिए कुछ और खास बातें

गाड़ियों के मुद्दे में फॉर्च्यूनर किसी आदमी के रूतवा में चार चांद लगा देती है. बड़े धनवान ही फॉर्च्यूनर जैसी गाड़ियों का इस्तेमाल करते हैं. इसका कारण है इसकी कीमत, जो लगभग आधा करोड़ रुपए की होती है. यह वाहन शान-ओ-शौकत के लिए जानी जाती है और इसकी मूल्य लगभग 30 से 50 लाख रुपए के बीच होती है.

बिहार के माननीय मंत्री जी 30 लाख की वाहन से जनता से मिलेंगे, और इसके साथ ही वाहनों के मुद्दे में जिलाधिकारियों (डीएम) का रुतबा पुलिस अधीक्षकों (एसपी) से कुछ अधिक ही रहेगा. इस मामले पर मुख्य सचिव आमिर सुबहानी की अध्यक्षता वाली प्रशासी पदवर्ग समिति ने मंत्रियों, न्यायाधीशों और ऑफिसरों के लिए वाहनों के क्रय मूल्य का निर्धारण किया था और इस पर एक अधिसूचना जारी की गई है.

30 लाख की वाहन से चलेंगे मंत्री जी
राज्य गवर्नमेंट ने मंत्री से लेकर सभी स्तर के ऑफिसरों के लिए पहले के मुकाबले महंगी वाहन खरीदने को लेकर स्वीकृति दी है. बिहार के मंत्रीजी अब अधिकतम 30 लाख रुपए तक की वाहन खरीद सकते हैं, जबकि विभाग के अपर-मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, या सचिव स्तर के अधिकारी 25 लाख रुपए तक की वाहन पर सवारी कर सकेंगे. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को भी मंत्री के समकक्ष ही रखा गया है, उन्हें भी 30 लाख रुपए तक का गाड़ी खरीदने का अधिकार दिया गया है.

जिला न्यायधीश और जिलाधिकारी के समकक्ष स्तर के ऑफिसरों के लिए गाड़ी खरीद की अधिकतम मूल्य 20 लाख रुपए निर्धारित की गई है, जबकि एसपी और उसके समकक्ष पदाधिकारियों के लिए यह सीमा 16 लाख रुपए तय की गई है. अन्य ऑफिसरों के लिए गाड़ी अनुमान्य है, उनके लिए यह सीमा 14 लाख रुपए तय की गई है. डीएम के लिए भी यह सीमा तय की गई है, वे चार लाख रुपए अधिक यानी 20 लाख  रुपए तक की वाहन खरीद सकते हैं.

दो से पांच लाख रुपए की हुई बढ़ोतरी
साल 2023 से पहले, फरवरी 2020 में वित्त विभाग ने गाड़ी खरीद के लिए अधिकतम मूल्यों का निर्धारण किया था. 2020 के मुकाबले, इस बार मूल्यों के निर्धारण में करीब 2 से 5 लाख रुपए तक की बढ़ोतरी की गई है. वित्त विभाग के सचिव (संसाधन) लोकेश कुमार सिंह ने मूल्यों को लेकर अधिसूचना जारी की है, ताकि मनमाने ढंग से वाहन की खरीद ना हो. इसमें गाड़ी की ऑन रोड मूल्य और साज-सज्जा में होने वाले अन्य खर्च भी शामिल किए गए हैं.

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