एक झटके में कच्चे तेल की कीमतों में पांच प्रतिशत का आया उछाल
Israel-Hamas War: इजरायल और फिलिस्तीन के बीच युद्ध की आग अंतरराष्ट्रीय व्यापार (Global Business) पर अपना असर दिखाने लगी है। एक तरफ सोमवार को निवेशकों को सावधान रुख से भारतीय शेयर बाजार में BSE सेंसेक्स 400 अंक टूटकर खुला। वहीं, निफ्टी भी 19500 के नीचे कारोबार करता दिखा। जबकि, दूसरी तरफ इजरायल के फिलिस्तीन पर हमने के कारण पश्चिम एशिया में तनाव उभर गया है। कच्चे ऑयल के लिहाज से पश्चिम एशिया काफी जरूरी है। यहां से पूरी दुनिया को एक तिहाई ऑयल की सप्लाई की जाती है। इसके कारण सोमवार को एक झटके में कच्चे ऑयल की कीमतों में पांच फीसदी का उछाल आया है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, बाजार में युद्ध से संबंधित प्रीमियम का दौर लौट आया है और इससे वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट 87 $ प्रति बैरल के पास पहुंच गया है। आज सुबह 6 बजे WTI क्रूड 86.39 $ प्रति बैरल पर था। जबकि, ब्रेंट क्रू़ड भी 88.13 $ प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था। बड़ी बात ये है कि पूर्वी यूरोप करीब डेढ़ वर्ष से युद्ध की चपेट में है। अब पश्चिमी एशिया में नया युद्ध प्रारम्भ हो गया है।
हमास के किया 50 वर्षों का सबसे भयानक हमला
बताया जा रहा है कि हमास ने पिछले पचास वर्षों में सबसे भयानक धावा शनिवार को किया था। इसमें हजारों औरतें, बच्चे और बुढ़ों की मृत्यु हुई है। इसके साथ ही, हमास के द्वारा बड़ी संख्या में लोगों को बंधक बनाया गया है। इसके बाद से इजरायल ने युद्ध की घोषणा कर दी। इसके बाद, युद्ध को लेकर दुनिया दो खेमों में बट गयी। ऐसे में युद्ध इतनी शीघ्र समाप्त होता हुआ भी नहीं दिख रहा है। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे ऑयल की कीमतों में उछाल ऐसे समय पर आया है जब लंबे समय की तेजी के बाद, रेट सामान्य होने लगे थे।
बाजार को सता क्या डर
फिलिस्तिन और इजरायल पर एक दूसरे के द्वारा आए दिन हमले किये जाते थे। हालांकि, इस बार धावा बड़ा और भयानक है। ऐसे में समझा जा रहा है कि इस हमले में ईरान की किरदार हो सकती है। बाजार में बताया जा रहा है कि इजरायल पर हमले में ईरान की इंटेलीजेंस की सीधी भागीदारी है। वहीं, इजरायल पर हमले के बाद ईरान में बड़े पैमाने पर उत्सव भी मनाया गया। साथ ही, ईरान ने खुलकर हमास के हमसे की सराहना भी है। जबकि, तालिबानी लड़ाके भी इस युद्ध में शामिल होना चाहते हैं। उसने ईरान और जॉडन जैसे राष्ट्रों से इजरायल की सीमा तक पहुंचने के लिए रास्ते की मांग की है। ऐसे में बाजार को डर है कि यदि ईरान ने फिर से सप्लाई रोक दी तो कच्चे ऑयल का रेट और अधिक बढ़ सकता है।
सोने की मूल्य में भी आया उछाल
भैतिक बाजार में सोने-चांदी की मांग बढ़ी है। इससे सोने पर प्रीमियम तेजी से बढ़ गया है। इससे सोने-चांदी के मूल्य (Gold-Silver Price Hike) में भी तेजी आ गयी है। कहा जा रहा है कि सोने पर प्रीमियम सात हजार रुपये बढ़ गया है। अब 10 ग्राम सोने पर प्रीमियम दो हजार रुपये हो गया है। इससे पहले 10 ग्राम सोने पर प्रीमियम सिर्फ़ 1300 रुपये था। तेज प्रीमियम के कारण कई स्थानों पर सर्राफा व्यापारियों सोना बेचने से इंकार कर दिया है। जबकि, चांदी पर प्रीमियम प्रति किलो पर एक हजार रुपये बढ़ गया है। वर्तमान में चांदी पर 3500 रुपये प्रीमियम लग रहा है। इससे पहले सिर्फ़ 2500 रुपये लगता था। भारतीय सर्राफा व्यापारियों को ये कठिनाई का सामना ऐसे समय पर करना पड़ रहा है, जब भारतीय बाजार में सोने की मांग बढ़ी हुई है। त्योहारी और शादियों के सीजन के कारण हर वर्ष अक्टूबर से दिसंबर तक मांग में तेजी बनी रहती है। हिंदुस्तान में हर वर्ष 700-800 टन सोने की खपत होती है। मगर, इसमें से सिर्फ़ 1 टन का उत्पादन हिंदुस्तान में होता है। राष्ट्र में बाकी सोना बाहर से मंगवाया जाता है।
तेल की मूल्य को लेकर क्या है मूडीज का दावा
इजरायल और फिलिस्तीन के हमले के बीच, हिंदुस्तान में आम चुनाव होने वाला है। ऐसे में कच्चे ऑयल की कीमतों में उछाल के बावजूद अगले वर्ष होने वाले आम चुनाव के कारण पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ने की आसार नहीं है। मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई। सार्वजनिक क्षेत्र के तीन ईंधन खुदरा विक्रेताओं भारतीय ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी), हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों को लगातार 18 महीनों से स्थिर रखा है। ये कंपनियां करीब 90 फीसदी बाजार को नियंत्रित करती हैं। पिछले वर्ष कच्चे ऑयल के मूल्य बढ़ने के बावजूद ऐसा किया गया, जिससे वित्त साल 2022-23 की पहली छमाही में इन कंपनियों को भारी हानि हुआ। अगस्त के बाद से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ऑयल की कीमतें मजबूत होने से तीनों खुदरा विक्रेताओं का फायदा (मार्जिन) फिर से नकारात्मक श्रेणी में चला गया है। मूडीज की रिपोर्ट के मुताबिक कि कच्चे ऑयल की ऊंची कीमतें हिंदुस्तान में तीन सरकारी स्वामित्व वाली ऑयल विपणन कंपनियों आईओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल की लाभप्रदता को कमजोर कर देंगी। रिपोर्ट में बोला गया कि तीनों कंपनियों के पास मई 2024 में आम चुनाव के कारण चालू वित्त साल में पेट्रोल और डीजल की खुदरा बिक्री कीमतों में वृद्धि करने के सीमित अवसर होंगे। बहरहाल, अंतरराष्ट्रीय वृद्धि कमजोर होने के कारण ऑयल की ऊंची कीमतें लंबे समय तक कायम रहने की संभावना नहीं है।