सरकार की MMTC लिमिटेड में हिस्सेदारी बेचने की कोशिशों को लग सकता है झटका
गवर्नमेंट की मेटल्स एंड मिनरल्स ट्रेडिंग कॉरपोरेशन ऑफ इण्डिया (MMTC) लिमिटेड में हिस्सेदारी बेचने की कोशिशों को झटका लग सकता है। दरअसल, MMTC लिमिटेड की बिक्री पेशकश (ओएफएस) में निवेशकों की रुचि की कमी देखने को मिली है। ऐसे में गवर्नमेंट इसे बंद करने की कवायद में जुट गई है। इस बीच, MMTC लिमिटेड के शेयर की मूल्य 87.08 रुपये पर थी। एक दिन पहले के मुकाबले शेयर 4.49% चढ़कर बंद हुआ। ट्रेडिंग के दौरान शेयर की मूल्य 89.04 रुपये पर पहुंच गई थी।
कैबिनेट ने लिया था फैसला: एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने मनीकंट्रोल को बताया-कैबिनेट ने पहले MMTC के मुद्दे में ओएफएस के माध्यम से हिस्सेदारी बिक्री को स्वीकृति दी थी। हालांकि लेन-देन सलाहकार ओएफएस के साथ आगे बढ़ने में विफल रहे हैं। इसलिए अब इसके बंद करने की चर्चाएं हो रही हैं क्योंकि इसमें निवेशकों की दिलचस्पी नहीं है। इस पर आखिरी फैसला लिया जाएगा।
इससे पहले, 9 अगस्त को लोकसभा में एक लिखित उत्तर में वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने बोला था कि गवर्नमेंट ने MMTC के रणनीतिक विनिवेश पर कोई निर्णय नहीं लिया है। गवर्नमेंट के पास अभी MMTC में 99.33 फीसदी हिस्सेदारी है।
बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी और केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल का एक पैनल पीएसयू की रणनीतिक बिक्री और समाप्ति से संबंधित मामलों पर फैसला लेते हैं।
कंपनी के बारे में: सरकार द्वारा संचालित ट्रेडिंग फर्म MMTC ने 2021-22 में 241.93 करोड़ रुपये के घाटे के मुकाबले 2022-23 में 1,076.07 करोड़ रुपये का फायदा कमाया था। 1963 में माइनिंग और मेटल ट्रेडिंग के रूप में स्थापित MMTC 7 बिलियन $ से अधिक के कारोबार के साथ हिंदुस्तान के लिए दो सबसे अधिक विदेशी मुद्रा अर्जित करने वालों में से एक है। यह हिंदुस्तान से खनिजों का सबसे बड़ा निर्यातक है। कंपनी का एक तरराष्ट्रीय व्यापार नेटवर्क है जो एशिया, यूरोप, अफ्रीका, ओशिनिया और उत्तरी अमेरिका के लगभग सभी राष्ट्रों में फैला हुआ है। मिनीरत्न कंपनी की सिंगापुर में पूर्ण स्वामित्व वाली अंतर्राष्ट्रीय सहायक कंपनी एमटीपीएल भी है।