इस नस्ल के टमाटर की कर ली खेती तो हो जाएंगे मालामाल
पिछले दिनों टमाटर की मूल्य 200 रुपए तक हो जाने के कारण लोगों में अफरातफरी का माहौल बन गया था। लोग टमाटर के बारे में तरह-तरह की जानकारियां जुटा रहे थे और एक- दूसरे को शेयर भी कर रहे थे। आज हम आपको टमाटर की कीमतों की नहीं, बल्कि इसकी एक प्रजाति के बारे में बताने जा रहे हैं। जिस प्रजाति की खेती कर कोई भी किसान कम समय में अच्छा फायदा कमा सकता है। वैशाली जिले के भी एक किसान पिछले 10 सालों से हिम शिखर नस्ल के टमाटर की खेती करते हैं। इससे उन्हें अच्छा खासा फायदा हो जाता है।
4 फीट ऊपर तक होता है फलन
जिले के कुशवाहा टोला गांव के किसान प्रेमचंद कुशवाहा 10 सालों से हिम शिखर नस्ल के टमाटर की खेती कर रहे हैं। यह खेती 6 माह तक चलती है। इस नस्ल के टमाटर की बाजार में भी अधिक डिमांड है। किसान प्रेमचंद कुशवाहा बताते हैं कि हिम शिखर नस्ल के टमाटर की एक विशेषता यह है कि इसका पौधा चार से पांच फीट तक लंबा होता है। पौधे में जमीन से 4 फीट ऊपर तक फलन होता है। वे बताते हैं कि मिट्टी से एक फीट ऊपर तक फलन होने वाले पौधे में अधिकतर टमाटर खराब हो जाते हैं, जबकि हिम शिखर नस्ल का पौधा अधिक बड़ा होता है। इस कारण इस पौधे में फलने वाला टमाटर खराब नहीं होता है।
एक कट्ठा में 8 क्विंटल टमाटर का फलन
प्रेमचंद कुशवाहा बताते हैं कि उन्होंने एक एकड़ में टमाटर की खेती की हुई है। एक कट्ठा खेत से एक सीजन में करीब 8 क्विंटल टमाटर की उपज होती है। अभी व्यापारी 15 रुपए किलो खेत से ही टमाटर ले जाते हैं। वे बताते है कि हिम शिखर नस्ल का पौधा अधिक फल देता है। यह नस्ल किसानों के लिए लाभ का सौदा है।
एक एकड़ खेत से रोजाना एक 1 क्विंटल टमाटर निकलता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है की आमदनी कितनी होती होगी। प्रेमचंद की माने तो टमाटर का सीजन छह-छह माह का होता है। आरंभ के दो महीने टमाटर की डिमांड थोड़ी कम रहती है। फिर इसका दर ठीक मिलने लगता है। इससे किसानों को फायदा होता है