करोड़ों का व्यापार करने वाले Subrata Roy की मौत, आखिरी वक्त पर भी नहीं मिला पत्नी-बच्चों का साथ, जानें पूरी कहानी
Subrata Roy Death: भारतीय उद्योगपति और सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय की मृत्यु मंगलवार को दिल का दौरा पड़ने की वजह से 75 वर्ष के उम्र में हो गयी। मगर, दुख की बात ये है कि उनके अंतिम समय में उनके पत्नी और बच्चों का भी साथ नहीं मिला। सुब्रत रॉय ने राष्ट्र में खुदरा, रियल एस्टेट और वित्तीय सेवा क्षेत्रों में एक बड़ा व्यापार खड़ा किया था। हालांकि, बाद में वो टकराव का एक बड़ा केंद्र में भी रहे। उन्हें अपने समूह की कंपनियों के संबंध में कई नियामक और कानूनी लड़ाइयों का सामना करना पड़ा, जिन पर बहु-स्तरीय विपणन योजनाएं बनाने के लिए नियमों को दरकिनार करने का इल्जाम लगाया गया था। सुब्रत रॉय ने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे। उनके अर्श से फर्श तक पहुंचने की कहानी काफी दिलचस्प है।
मुंबई में कराया गया था एडमिट
सहारा की तरफ से जारी बयान के अनुसार, उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद रविवार को उन्हें मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। उच्च रक्तचाप, मधुमेह सहित विभिन्न रोंगों से लंबे समय से जूझ रहे सुब्रत रॉय का दिल का दौरा पड़ने के कारण रात साढ़े 10 बजे मृत्यु हो गया। समूह ने बयान में बोला कि सहारा इण्डिया परिवार अत्यंत दुख के साथ हमारे सहारा इण्डिया परिवार के व्यवस्था कार्यकर्ता और अध्यक्ष माननीय ‘सहाराश्री’ सुब्रत रॉय सहारा के मृत्यु की सूचना दे रहा है। बयान में उन्हें एक प्रेरणादायक नेता और दूरदर्शी बताते हुए बोला गया है, कि उनके मृत्यु से हुई क्षति को संपूर्ण सहारा इण्डिया परिवार गहराई से महसूस करेगा। सहाराश्री जी उन सभी के लिए एक मार्गदर्शक शक्ति, एक संरक्षक और प्रेरणा के साधन थे, जिन्हें उनके साथ काम करने का सौभाग्य मिला।
1978 में हुई थी सहारा इण्डिया की स्थापना
सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय का जन्म 10 जून 1948 को बिहार के अररिया के एक बंगाली परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम सुधीर चंद्र रॉय और मां का नाम छवि रॉय था। उनके पिता अपने क्षेत्र के सबसे अमीर जमीनदार थे। सुब्रत प्रारम्भ से ही, बिजनेस करना चाहते थे। उन्हें 1978 में एक छोटी सी फाइनेंस कंपनी की स्थापना की जो सिर्फ़ वित्त क्षेत्र में काम करती थी। इसके बाद, सुब्रत रॉय ने अपनी मेहनत और लगन से कंपनी को नई ऊंचाईयों पर पहुंचाया। उन्होंने कंपनी को सहारा की पहुंच मीडिया, एविएशन, रियल एस्टेट, हॉस्पिटैलिटी जैसे मजबूत सेक्टरों में स्थापित किया। एक समय ऐसा था कि सहारा इण्डिया हिंदुस्तान में निजी क्षेत्र में सबसे अधिक रोजगार देने वाली कंपनी बन गयी। सुब्रत रॉय ने यूपी की राजधानी लखनऊ को अपना व्यापार बढ़ाने के लिए मुख्यालय के रुप में चुना। उन्होंने यहां 1990 में सहारा इण्डिया परिवार के मुख्यालय की स्थापना की। वो इस दशक के सबसे बड़े उद्योगपतियों में शामिल थे। उनके कारण लखनऊ में नेताओं और अभिनेताओं की भीड़ लगी रहती थी। अमिताभ बच्चन, समाजवादी पार्टी के नेता रहे अमर सिंह और सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव उनके करीबी लोगों में माने जाते थे।
2008 के बाद कंपनी के आए बुरे दिन
सुब्रत रॉय की सहारा इण्डिया परिवार का रियल एस्टेट सेक्टर में व्यापार काफी बड़ा था। कंपनी ने 2008 से 2014 इस सेक्टर में निवेश करने के लिए करीब तीन करोड़ निवेशकों से 24 हजार करोड़ रुपये जुटाए। इस बीच, वर्ष 2009 में सहारा इण्डिया ने बाजार से और पैसे जुटाने के लिए आईपीओ लाने की प्रयास की। इसके लिए सेबी के पास आवेदन करके डॉक्यूमेंट्स जमा किया गया। सेबी ने दस्तावेजों की जांच में कई वित्तिय गड़बड़ियां पायी। इसके बाद, सेबी ने 12 हजार करोड़ रुपये का जुर्माना लगा दिया। सेबी ने बिना आईपीओ के बाजार से पैसा उठाने का इल्जाम लगाया। इसके बाद मुद्दा उच्चतम न्यायालय में पहुंचा। न्यायालय ने सुब्रत रॉय की मुश्किलें और बढ़ा दी। न्यायालय ने निर्णय दिया कि कंपनी 12000 करोड़ रुपये पर 15 प्रतिशत ब्याज लगाते हुए निवेशकों का 24,000 करोड़ रुपये लौटाये। बाद में, उच्चतम न्यायालय के आदेश को नहीं मानने के कारण सुब्रत रॉय को फरवरी 2014 में अरैस्ट कर लिया गया। इसके बाद करीब दो वर्ष तक उन्हें कारावास में रहना पड़ा।