टाटा समूह 3 आईपीओ लाने की कर रहा तैयारी
देश का सबसे बड़ा औद्योगिक समूह टाटा समूह 3 आईपीओ लाने की तैयारी कर रहा है। टाटा टेक्नोलॉजी और टाटा प्ले के आईपीओ की तैयारी चल रही है। अब टाटा ग्रुप भी अपनी एनबीएफसी कंपनी टाटा कैपिटल का आईपीओ लाने की तैयारी कर रहा है। आरबीआई ने टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा कैपिटल और टाटा संस को शीर्ष स्तरीय एनबीएफसी के रूप में शामिल किया है। नियमों के अनुसार, किसी कंपनी को इस श्रेणी में शामिल होने के 3 वर्ष के भीतर सार्वजनिक होना जरूरी है।
देश का अब तक का सबसे बड़ा मुद्दा
टाटा कैपिटल के मुद्दे में यह समय सीमा सितंबर 2025 है। ग्रे बाजार में कंपनी का शेयर रु। 425 और इस मूल्य पर कंपनी का मूल्य रु। 1.5 लाख करोड़ होगा। कंपनी में टाटा संस की 94.62 प्रतिशत हिस्सेदारी है। प्रमोटर कंपनी में 10 से 20 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच सकते हैं। यह राष्ट्र के सबसे बड़े आईपीओ में से एक होगा। पिछले वर्ष एलआईसी ने रु। 21,000 करोड़ का IPO लॉन्च किया गया जो राष्ट्र का अब तक का सबसे बड़ा इश्यू है।
रिपोर्ट के मुताबिक, टाटा कैपिटल लिमिटेड अपने परिचालन का पुनर्गठन कर रही है और अपने बोर्ड का विस्तार भी कर रही है। एक सूत्र ने बोला कि टाटा समूह 2025 में टाटा कैपिटल का आईपीओ लाने की योजना बना रहा है। कंपनी के बोर्ड का विस्तार किया गया है और समूह की कुछ कंपनियों का टाटा कैपिटल में विलय भी किया गया है। टाटा ग्रुप इस कंपनी के लिए जियो फाइनेंशियल सर्विसेज के समान वैल्यूएशन चाहता है। मुकेश अंबानी की यह कंपनी अभी लिस्टेड थी।
आखिरी आईपीओ कब था?
सूत्रों के अनुसार टाटा कैपिटल का आईपीओ लाने पर काम चल रहा है। यह प्रक्रिया मार्च 2024 में निवेश बैंकरों की नियुक्ति के साथ प्रारम्भ होगी। टाटा कैपिटल में टाटा कैपिटल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड, टाटा कैपिटल हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड, टाटा क्लीनटेक कैपिटल लिमिटेड, टाटा कैपिटल प्राइवेट लिमिटेड, टाटा कैपिटल एडवाइजर्स प्राइवेट लिमिटेड और टाटा कैपिटल पीएलसी शामिल हैं। टाटा कैपिटल के विलय को इस वर्ष के अंत तक स्वीकृति मिलने की आशा है।
आईपीओ के अनुसार प्रमोटर टाटा कैपिटल में 10 से 20 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच सकते हैं। यानी इस आईपीओ की मूल्य 15,000 से 30,000 करोड़ रुपये हो सकती है। इससे पहले टाटा ग्रुप का अंतिम आईपीओ 2004 में आया था। तभी टाटा ग्रुप अपनी आईटी कंपनी टीसीएस का आईपीओ लेकर आया। टीसीएस आज रिलायंस इंडस्ट्रीज के बाद राष्ट्र की दूसरी सबसे मूल्यवान कंपनी है।