अमिताभ बच्चन ने अपनी गर्दन उठाई और मेरी तरफ देखते हुए कहा…
साल 1984 में दो बहुत बढ़िया फिल्में आईं। पहली थी ‘पार’ और दूसरी ‘सारांश’। एक में नसीरुद्दीन शाह, शबाना आज़मी। उत्पल दत्त और ओमपुरी जैसे कलाकार थे तो दूसरी में अनुपम खेर। रोहिणी हटंगड़ी, सोनी राजदान और आलोक नाथ जैसे अभिनेता। दोनों फिल्मों को खूब पसंद किया गया। जब उस वर्ष राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार की बात आई तो दोनों फिल्मों में जबरदस्त होड़ मची। अनुपम खेर को ‘सारांश’ के लिए फिल्म फेयर मिल चुका था और उन्हें पूरी आशा थी कि नेशनल अवार्ड भी उन्हें ही मिलेगा।
उन दिनों अनुपम खेर अमिताभ बच्चन के साथ चेन्नई में फिल्म ‘आखिरी रास्ता’ की शूटिंग कर रहे थे। पेंगुइन से प्रकाशित अपनी आत्मकथा ”जीवन के अनजाने सबक” में अनुपम खेर लिखते हैं कि जब मैं सेट पर पहुंचा तो देखा कि एक आदमी पूरे गेटअप में एक कोने में कुर्सी पर बैठा पुस्तक पढ़ने में बिजी है। मैं करीब गया और धीमी आवाज में कहा- ‘सर, गुड मॉर्निंग… मैं अनुपम खेर शिमला का रहने वाला हूं और सारांश में काम किया है।।’ अमिताभ बच्चन ने अपनी गर्दन उठाई और मेरी तरफ देखते हुए कहा, ‘ओह, हां अनुपम मैंने आपकी फिल्म सारांश देखी। आपने बहुत अच्छा काम किया है…’
अमिताभ को डिनर पर बुला लिया
अनुपम खेर (Anupam Kher) लिखते हैं, ‘इसके बाद मैंने उनसे बोला कि सर मेरी किस्मत है कि मुझे आपके साथ काम करने का मौका मिला। मेरा दिल चाहता था कि मैं उनके साथ कुछ देर और बिताऊं और उनके बारे में जानूं। थोड़ा हिचकिचाते हुए मैंने उसने पूछा- ‘सर, क्या आज मेरे साथ का डिनर करेंगे?’ अमिताभ ने एक बार फिर पुस्तक से नजर हटाई और मुझे देखते हुए पूछा- क्या आज कुछ ख़ास है?
मैंने उत्तर दिया- ‘सर, मैं आपको रात के खाने के समय ही बताऊंगा…’ इस पर उन्होंने कहा, ‘ओह! समझ गया…राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार की घोषणा, आज दिन में ही होने वाली है … है ना? मैंने कहा- ‘हां सर, आपने एकदम ठीक समझा…’
महंगी शराब हाथ में लेकर प्रतीक्षा करने लगे
अनुपम खेर आगे लिखते हैं पूरे दिन की शूटिंग ख़त्म होने के बाद, मैं चेन्नई में ताज कोरोमंडल के अपने कमरे में वापस आया। वहां का एसी जबरदस्त काम कर रहा था। मैं बहुत खुश था और स्वयं को बार-बार शुभकामना दे रहा था। नहाने के वाद मैंने अच्छे कपड़े पहने, स्कॉच की सबसे महंगी शराब को ग्लास में डाला और स्वयं से कहा- ‘अनुपम, तुम अब एक स्टार हो गए हो और आज का यह दिन तुम्हारा होने वाला है… तुम्हारा सबसे ख़ास, असाधारण पल बस आने वाला है…’
खबर सुन टूट गए अनुपम खेर
अनुपम खेर हाथ में स्कॉच का ग्लास थामे टीवी के आगे बैठ गए। उन्हें पूरा विश्वास था कि नेशनल फिल्म अवार्ड उन्हें ही मिल रहा है। आखिरकार वो पल आ गया, जिसका इंतज़ार लंबे समय से कर रहे थे। बकौल अनुपम- मैंने टीवी ऑन किया। लगभग 8:30 बजे दूरदर्शन पर मशहूर समाचार वाचिका सलमा सुलताना ने कहा- ‘और अब राष्ट्रीय पुरस्कार की ख़बर। इस साल का सर्वश्रेष्ठ अदाकार का पुरस्कार मिला है… इतना सुनते ही मैंने काफी आशा के साथ अपना गिलास ऊपर उठाया। अगली आवाज आई- नसीरुद्दीन शाह को, पार में उनके एक्टिंग के लिए।
यह समाचार सुन अनुपम खेर सन्न रह गए, जैसे कोई बम फट गया हो। वह लिखते हैं कि मैं सदमे में था, भौंचक्का था और मेरा गिलास कहीं हवा में ही ठहर गया था। इसे नीचे लाने में मुझे कम से कम दस मिनट का समय लग गया था। मेरे जीवन का उच्चतम और निम्नतम समय मेरे आंखों से सामने आ गया। मुझे विद्यालय में किए गए एक नाटक की याद आ गई जिसमें मेरे सहपाठी नंदू ने अपनी बांहों में मुझे उठा लिया था और अचानक ही दर्शकों के बीच फेंक दिया था। मुझे साफ रूप से याद है कि उस रात मेरे पिता ने मेरी मां से कश्मीरी में बोला था- ‘बिट्टू बहुत कमज़ोर है, उसे दूध और बादाम खिलाओ। इससे उसका शरीर और दिमाग मज़बूत होगा।।’
अनुपम खेर लिखते हैं कि मैंने रूम सर्विस को टेलीफोन किया और एकदम मायूस सी आवाज़ में बोला ‘रात के खाने के लिए मैंने जो मंगवाया था उसे रद्द कर दीजिए और उसके बदले मुझे केवल एक गिलास दूध और बादाम भिजवा दीजिए…’ उस रात अमिताभ बच्चन मुझसे मिलने नहीं आए और उस पल की मेरी सबसे बड़ी सीख यही थी: ‘कभी भी कामयाबी को स्थाई नहीं मान लेना चाहिए।’