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इतने नेशनल अवॉर्ड जीतने वाले डायरेक्टर कुमार साहनी का निधन

‘माया दर्पण’ और ‘तरंग’ जैसी नेशनल अवॉर्ड विनिंग फिल्में बनाने वाले डायरेक्टर कुमार साहनी नहीं रहे वो कोलकाता के AMRI हॉस्पिटल में एडमिट थे और बुढ़ापे से संबंधित बिमारियों से जूझ रहे थे 83 वर्ष के साहनी को पैरेलल सिनेमा बनाने के लिए पहचाना जाता था

एक्ट्रेस मीता वशिष्ठ ने उनके मृत्यु की पुष्टि की उन्होंने साहनी के साथ ‘वार वार वारी’, ‘घायल कथा’ और ‘कस्बा’ जैसी फिल्मों में काम किया था साहनी के बाद अब उनके परिवार में उनकी वाइफ और दो बेटियां भी हैं साहनी ने ‘माया दर्पण’ (1972), ‘तरंग’ (1984), ‘घायल कथा’ (1989) ‘कस्बा’ (1990) जैसी कई बड़ी फिल्में बनाई थीं निर्देशक के अतिरिक्त साहनी ने लेखक और शिक्षक के तौर पर भी अपनी पहचान बनाई थी

फ्रेंच फिल्ममेकर रॉबर्ट ब्रेसन की सहायता की थी
साहनी का जन्म 7 दिसंबर 1940 को लरकाना में हुआ था बंटवारे के बाद वो परिवार के साथ मुंबई आ गए पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट से ग्रेजुएशन किया यहां वो फेम फिल्ममेकर ऋत्विक घटक के स्टूडेंट रहे इसके बाद वो फ्रेंच सरकार स्कॉलरशिप के अनुसार आगे की पढ़ाई पूरी करने फ्रांस चले गए वहां उन्होंने फ्रेंच फिल्ममेकर रॉबर्ट ब्रेसन की उनकी फिल्म ‘यूने फेम डूस’ में सहायता की

‘माया दर्पण’ को माना जाता है क्लासिक कल्ट
देश लौटकर उन्होंने निर्मल वर्मा की कहानी पर फिल्म बनाना प्रारम्भ की 1972 में उन्होंने अपनी पहली फीचर फिल्म ‘माया दर्पण’ रिलीज की इस फिल्म को बेस्ट फीचर फिल्म इन हिंदी का नेशनल अवॉर्ड और बेस्ट फिल्म क्रिटिक के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला

12 वर्ष तक की ‘तरंग’ के लिए फंडिंग
इसके बाद उन्होंने 12 वर्ष तक अपनी अगली फिल्म के लिए फंडिंग की और 1984 में ‘तरंग’ बनाई अमाेल पालेकर, स्मिता पाटिल, गिरीश कर्नाड, ओम पुरी और श्रीराम लागू जैसे कलाकारों से सजी इस फिल्म को भी नेशनल अवॉर्ड मिला कुमार की अंतिम फिल्म 2004 में रिलीज हुई ‘एज द क्रो फ्लाइज’ थी

अवॉर्ड्स

  • नेशनल फिल्म अवॉर्ड (1972, 1984 और 1991)
  • फिल्मफेयर क्रिटिक्स अवॉर्ड- बेस्ट फिल्म (1972, 1990 और 1991)
  • द इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ रोट्रेडम- FIPRESCI (1990)
  • प्रिंस क्लॉज अवॉर्ड (1998)

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