Lata Mangeshkar Death Anniversary: जानें, उनके बारे में कुछ अनसुनी बातें…
महान गायिका और हिंदुस्तान रत्न से सम्मानित लता मंगेशकर की आवाज ने लाखों लोगों के दिलों में अपनी पहचान बनाई है। दशकों के करियर के दौरान उनकी सदाबहार धुनें भारतीय सिनेमा की मूल नींव का हिस्सा बन गई। “लग जा गले,” “ऐ मेरे वतन के लोगों,” और “तेरे बिना जीवन से” जैसे पॉपुलर सॉन्ग्स को आज भी दर्शक सुनना पसंद करते हैं। 1929 में इंदौर में जन्मी लता मंगेशकर का 6 फरवरी 2022 में मृत्यु हो गया। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अनुसार, उन्होंने 1948 से 1987 के बीच विभिन्न भाषाओं में 30,000 से अधिक गानों में अपनी आवाज दी। उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर एक मशहूर शास्त्रीय गायक थे, जिन्होंने छोटी उम्र में ही लता को संगीत की दुनिया से परिचित करा दिया था। आइये उनकी पुण्यतिथि पर जानते हैं उनके बारे में कुछ अनसुनी बातें।
1. लता मंगेशकर का जन्म कलाकारों के परिवार में हुआ था
बहुत कम लोग जानते होंगे कि लता मंगेशकर कलाकारों के परिवार से थीं। उनके पिता एक सिनेमाघर कंपनी चलाते थे और लता को संगीत का काफी शौक था। जब बहनों (लता और आशा भोसले) ने गायन प्रारम्भ किया तो उनका उद्देश्य अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाना था। उन्होंने 5 वर्ष की उम्र में उन्होंने गाना प्रारम्भ कर दिया।
2. लता मंगेशकर का पहला गाना फिल्म से हटा दिया गया था
लता ने अपने करियर का पहला गाना “नाचू या गाडे, खेलु सारी मनि हौस भारी” 1942 में किती हसाल नामक एक मराठी फिल्म के लिए रिकॉर्ड किया था, लेकिन दुर्भाग्य से, गाना फिल्म के आखिरी कट से हटा दिया गया था।
3. लता मंगेशकर एक बार गाना रिकॉर्ड करते समय बेहोश हो गई थीं
लता एक बार संगीतकार नौशाद के साथ एक गाना रिकॉर्ड करते समय बेहोश हो गई थीं। उन्होंने फर्स्टपोस्ट के साथ एक साक्षात्कार में इसका खुलासा किया और कहा, “हम गर्मी की एक लंबी दोपहर में एक गाना रिकॉर्ड कर रहे थे। आप जानते हैं कि गर्मियों में मुंबई की हालत कैसी होती है। उन दिनों रिकॉर्डिंग स्टूडियो में एयर कंडीशनिंग नहीं होती थी और यहां तक कि आखिरी रिकॉर्डिंग के दौरान सीलिंग फैन भी बंद कर दिया गया था। बस, मैं बेहोश हो गई।”
4. लता दीदी ने कभी अपने गाने नहीं सुने
जिनके गानों की पूरी दुनिया दीवानी थी। वह स्वयं कभी अपने गानों को सुनना पसंद नहीं करती है। लता मंगेशकर ने एक बार मुम्बई फिल्म इंडस्ट्री बवाल से बात करते हुए बोला था कि वह अपने गाने नहीं सुनतीं, क्योंकि यदि वह ऐसा करतीं तो उनकी गायकी में सैकड़ों खामियां नजर आतीं।
5. लता की प्रसिद्धि भारतीय सीमाओं से कहीं आगे तक फैली हुई है
लता केवल भारतीय गायकी की महान शख़्सियत नहीं थीं। उनकी सुरीली आवाज के दीवाने पूरी दुनिया में पाए जा सकते हैं। उन्हें लंदन के प्रतिष्ठित रॉयल अल्बर्ट हॉल में प्रदर्शन करने वाली पहली भारतीय होने का सम्मान प्राप्त है। फ्रांस गवर्नमेंट ने उन्हें 2007 में ‘ऑफिसर ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर’ से सम्मानित किया, जो राष्ट्र का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है।
6. लता मंगेशकर के नाम एक समय गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड था
गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के 1974 संस्करण में लता मंगेशकर को सबसे अधिक रिकॉर्ड दर्ज कराने वाली कलाकार के रूप में सूचीबद्ध किया गया था, लेकिन इस दावे का मोहम्मद रफी ने विरोध किया। पुस्तक में लता का नाम तो कहा गया लेकिन रफी के दावे का भी जिक्र किया गया। यह प्रविष्टि 1991 से 2011 तक हटा दी गई थी, जिसमें गिनीज ने लता की बहन को सबसे अधिक रिकॉर्डेड कलाकार के रूप में रखा था। वर्तमान में, पुलपाका सुशीला के पास यह सम्मान है।
7. लता ने अपने करियर में कभी भी ओपी नैय्यर के साथ काम नहीं किया
अपने लंबे करियर में लता ने महानतम भारतीय संगीतकारों और संगीत निर्देशकों के साथ काम किया, लेकिन उन्होंने कभी ओपी नैय्यर के साथ काम नहीं किया।
8. लता मंगेशकर ने अंतिम बार 2019 में गाना रिकॉर्ड किया था
लता मंगेशकर ने इंडियन आर्मी और देश को श्रद्धांजलि के रूप में अपना अंतिम गाना ‘सौगंध मुझे इस मिट्टी की’ रिकॉर्ड किया था, जिसे मयूरेश पई ने संगीतबद्ध किया था। इसे 30 मार्च 2019 को रिलीज किया गया था।
9. वह आएगा आनेवाला गाने से लोकप्रिय हुई लता मंगेशकर
1949 में फिल्म महल में लता मंगेशकर के ‘आएगा आनेवाला’ गाने ने उन्हें बहुत महत्वपूर्ण स्टारडम दिया। हालांकि, जब लता मंगेशकर ने फिल्म इंडस्ट्री में प्रवेश किया तो उन्हें पार्श्व गायिका के रूप में अस्वीकार कर दिया गया क्योंकि उस समय उनकी आवाज बहुत पतली मानी जाती थी।
10. उनके देशभक्ति गीत ने पीएम नेहरू की आंखों में आंसू ला दिए
लता मंगेशकर ने ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ को 1962 के युद्ध में जान गंवाने वाले सैनिकों को समर्पित किया। 27 जनवरी 1963 को नयी दिल्ली के रामलीला मैदान में उनके देशभक्ति गीत ने पीएम नेहरू की आंखों में आंसू ला दिए।