Pran Birth Anniversary Special में देखें उनकी फिल्मों के बेस्ट किरदार
1940 से 1990 तक सिनेमा जगत में खलनायकी का दूसरा नाम रहे प्राण कृष्ण सिकंदर यानी प्राण को आज भी उनकी दमदार अभिनय के लिए याद किया जाता है। उस दौर में कई सुपरस्टार आए और गए लेकिन खलनायक के तौर पर प्राण फिल्म निर्माताओं की पहली पसंद बने रहे। उनके किरदारों का खौफ इस कदर था कि लोगों ने अपने बच्चों का नाम प्राण रखना भी बंद कर दिया। फिल्म के अंत में सभी कलाकारों के नाम के आगे ‘और प्राण’ लिखा गया था, जो फिल्म में उनकी दमदार मौजूदगी और दर्शकों के क्रेज को दर्शाता था। बाद में प्राण की जीवनी भी इसी नाम से आई। फिल्मों में उन्हें हीरो की फीस से अधिक पैसे मिलने लगे। प्राण का जन्म 12 फरवरी 1920 को दिल्ली में हुआ था। 2020 में फिल्म जगत उनकी 100वीं जयंती इंकार रहा है। प्राण पहले लाहौर में एक्टिंग करते थे जिसके बाद वह मुंबई आ गये। मशहूर उर्दू लेखक सआदत हसन मंटो और अदाकार श्याम की बदौलत उन्हें देव आनंद अभिनीत और बॉम्बे टॉकीज द्वारा निर्मित फिल्म ‘जिद्दी’ मिली।
1.वह राष्ट्र जहां गंगा बहती है (1961)
इस फिल्म में राज कपूर, पद्मिनी और प्राण मुख्य किरदार में थे। फिल्म में प्राण ने राका नाम के डाकू का भूमिका निभाया है। हालाँकि वह अपने रैकेट के नेता का करीबी है, लेकिन सत्ता के लालच में वह अपने ही नेता की मर्डर कर देता है। जिसके बाद उसे राजू (राज कपूर) और सरदार की बेटी कम्मो (पद्मिनी) से प्यार हो जाता है। इस फिल्म में प्राण ने अपनी अभिनय से लोगों को अपने भूमिका से नफरत करने पर विवश कर दिया। इस फिल्म के लिए प्राण को बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन अवार्ड्स की ओर से सर्वश्रेष्ठ सहायक अदाकार के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
2. शहीद (1966)
शहीद भगत सिंह पर आधारित इस फिल्म में प्राण के अतिरिक्त मनोज कुमार, प्रेम चोपड़ा, अनंत मराठे जैसे कलाकार मुख्य किरदार में थे। देशभक्ति से भरपूर इस फिल्म में प्राण ने डाकू कहर सिंह का भूमिका निभाया था। इस फिल्म के लिए उन्हें बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन अवार्ड्स की ओर से सर्वश्रेष्ठ सहायक अदाकार का पुरस्कार भी मिला। फिल्म का कंटेंट काफी दमदार था लेकिन प्राण ने हर बार ये साबित किया कि भूमिका छोटा हो या बड़ा यदि उनके हाथ में है तो वो सुन्दर और अलग जरूर होगा।
3.उपकार (1967)
इस फिल्म ने प्राण की छवि पूरी तरह बदल दी। 1967 में रिलीज हुई इस फिल्म में प्राण ने मनोज कुमार के कहने पर सकारात्मक किरदार निभाई। फिल्म में वह ‘मलंग चाचा’ के भूमिका में नजर आए थे। ये भूमिका बहुत इमोशनल था जिसने दर्शकों को रोने पर भी विवश कर दिया था। इस फिल्म में उन्होंने स्क्रीन पर एक गाना भी गाया था। इस फिल्म के बाद उन्हें नए तरह के भूमिका मिलने लगे। बोला जाता है कि इस भूमिका का ताना-बाना उन्होंने मनोज कुमार के साथ बैठकर रचा था। इस फिल्म के लिए प्राण को सर्वश्रेष्ठ सहायक अदाकार का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला।
4.राम और श्याम (1967)
इस फिल्म में दिलीप कुमार ने डबल रोल किया था। वहीं प्राण उनके जीजा बने। जहां एक तरफ वह राम के साथ बेरहमी से पेश आते हैं तो वहीं दूसरी तरफ श्याम उन्हें दिलचस्प सबक सिखाते नजर आते हैं। फिल्म में उनके द्वारा निभाया गया गजेंद्र का भूमिका आज भी लोगों के दिलों में ताजा है। फिल्म में उनकी और दिलीप कुमार की केमिस्ट्री ने लोगों का खूब मनोरंजन किया। खासकर जिस तरह से उन्होंने पर्दे पर दिलीप कुमार जैसे कद्दावर अदाकार की पिटाई की, उसके अतिरिक्त कुछ और कर पाना उनके बस की बात नहीं थी।
5. आँसू फूल बन गए (1969)
सत्येन्द्रनाथ बोस द्वारा निर्देशित इस फिल्म में अशोक कुमार, निरूपा रॉय, प्राण और देब मुखर्जी मुख्य किरदार में थे। यह फिल्म मराठी नाटक ‘अश्रुंची झाली फुले’ पर आधारित थी। इस फिल्म के लिए प्राण को सर्वश्रेष्ठ सहायक अदाकार का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला।