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इस सीरीज की ये छह प्रेम कहानियां सच्चे प्यार से आपका करवाएंगी परिचय

1981 में रिलीज हुई एक्टर-डायरेक्टर मनोज कुमार की फिल्म ‘क्रांति’ के एक गाने में गीतकार संतोष आनंद लिखते हैं, ‘हंसने की क्या बात है, जिन आंखों में पानी ना हो, वो जवानी जवानी नहीं, जिसकी कोई कहानी हो! ‘जिंदगी ऐसी ही है उथल-पुथल से भरा हुआ ऊपर और नीचे जा रहा है कुछ-कुछ ईसीजी करते समय दिखने वाली कार्डियोग्राफ़ की रेखाओं जैसी जब तक रेखाएं ऊपर-नीचे हो रही हैं, तब तक जीवन है जैसे ही रेखा ‘सपाट’ हो गई, जीवन ख़त्म! करण जौहर की डिजिटल मनोरंजन कंपनी धर्माटिक एंटरटेनमेंट की पहली नॉन-फिक्शन सीरीज़ ‘लव स्टोरीज़’ छह ऐसी कहानियाँ हैं जिनमें जीवन कभी सामंजस्यपूर्ण नहीं होता है कहीं ज़माने के ताने हैं, कहीं रीति-रिवाजों से बगावत है, कहीं प्यार का पैगाम बनकर आता है कोई अनजान चेहरा तो कहीं कुछ ऐसा है जिसे लिखना सरल नहीं!


कोई आपसे प्यार कैसे नहीं कर सकता…

‘लव स्टोरीज़’ यह शब्द जोड़ी सबसे पहले फिल्म ‘ब्रह्मास्त्र’ के गाने ‘केसरिया तेरा इश्क है पिया’ में सुनाई दी थी सोशल मीडिया पर लोगों ने इसके गीतकार अमिताभ भट्टाचार्य को खूब ट्रोल किया लेकिन, करण जौहर को वो चीजें पसंद हैं जिन पर ट्रोल किया जाता है इसलिए उन्होंने छह प्रेम कहानियों की इस श्रृंखला का नाम इसी चीज़ के नाम पर रखा ‘लव स्टोरीज़’ में दिखाई गई कहानियाँ असली जीवन से ली गई हैं छह एपिसोड, छह कहानियाँ उल्टा परिस्थितियों में प्यार करने वाले और अपने प्यार को तय मंजिल तक पहुंचाने में सफल रहे लोग इन कहानियों में न केवल पर्दे पर नजर आते हैं, बल्कि इन जोड़ियों की जवानी का भूमिका निभाने वाले कई कमाल के कलाकार भी इन कहानियों का हिस्सा बने हैं | इन छह कहानियों में सबसे दिल को छू लेने वाली कहानी एक आईआईटी इंजीनियर और एक सामाजिक कार्यकर्ता स्त्री की है दूसरों की जीवन बेहतर बनाने की प्रयास करते हुए दोनों की मुलाकात हुई और फिर हमेशा के लिए एक हो गए बेटे ने भी अपना उपनाम भद्रलोक के ब्राह्मण समुदाय से बनर्जी के बजाय खापर्डे रखा है


तत् सुखे, सुखम् अस्ति…

हालाँकि इन छह कहानियों की संरचना एक जैसी है और दो या तीन कहानियाँ देखने के बाद यह भी संकेत मिलता है कि वे एक प्रारूप में बंधी हुई हैं, लेकिन यदि इन्हें बेतहाशा देखने के बजाय, दिन में सिर्फ़ एक ही कहानी देखें, तो आप इनका अधिक आनंद लेंगे छह कहानियों के 12 लेखक और छह निर्देशक हैं ‘लव स्टोरीज़’ की जिस कहानी का मैंने ऊपर ज़िक्र किया है, वह राहुल बनर्जी और सुभद्रा खापर्डे की कहानी है दोनों की मुलाकात नर्मदा बचाओ आंदोलन के दौरान हुई थी अक्षय इंदिकर द्वारा निर्देशित यह डॉक्यूड्रामा इस सीरीज़ की जान है लेकिन सीरीज की आरंभ जिस कहानी से होती है वो प्रसिद्ध लेखक उत्थान एनपी की है, जिनकी पुस्तक पर पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की बायोपिक ‘मैं अटल हूं’ बनने वाली थी वह दो बेटियों की मां से प्यार करते थे और इन बेटियों का दिल जीतने के लिए उन्होंने जो प्रयास की और इसमें उनके दो पालतू कुत्ते देवदूत बनकर आए, वह भी कम दिलचस्प नहीं है भौगोलिक परिस्थितियों, सामाजिक संबंधों और भाषाई विविधता के बावजूद एक वर्ष के ब्रेकअप के बाद भी दोनों ने एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ा

खाप और पंचायतों का अंतर
एक और कहानी जो पूरी सीरीज़ देखने के बाद भी याद रह जाती है वह है दो रेडियो जॉकी की दोनों की मुलाकात एक श्रोता की फरमाइश पर किए गए एक प्रैंक की वजह से हुई वही स्त्री भी उन दोनों से आमने सामने मिली और, जब दोनों रेडियो जॉकी वर्षों बाद अपने बड़े बेटे के साथ इस स्त्री से मिलने आते हैं, तो पूरी यात्रा एक परी कथा जैसी लगती है कहानी का वास्तविक दर्द ये है कि जो स्त्री इन दोनों के लिए प्यार की परी बनी, वो देख नहीं सकती औसतन 30 मिनट की ये कहानियां सोमेन मिश्रा द्वारा इण्डिया लव प्रोजेक्ट की सहायता से हासिल की गई हैं, जो प्रिया रमानी, नीलोफर वेंकटरमन और समर हलरंकर की टीम द्वारा संचालित है सभी प्रेम कहानियों का सुखद अंत होता है और वे एक-दूसरे से जुड़ी होती हैं इस सीरीज़ की एक और कमी यह है कि इसमें एक भी कहानी उत्तर हिंदुस्तान की नहीं है खाप और पंचायतों के बीच पनपी एक प्रेम कहानी इस सीरीज में सोने पर सुहागा का काम कर सकती थी


तुम्हें प्यार की वास्तविक निशानियाँ याद आएँगी

वेब सीरीज़ ‘लव स्टोरीज़’ का निर्माण भी विशेष ध्यान देने योग्य है मूल फुटेज, असली पात्र और उनके रचनात्मक पुनः फिल्मांकन में शामिल कलाकार सभी एक साथ बंधे हुए प्रतीत होते हैं इन कहानियों का लेखन प्रारम्भ से अंत तक दर्शकों को बांधे रखता है, वहीं इनका छायांकन आपको हिंदुस्तान के विभिन्न राज्यों के सुरम्य स्थानों की सैर कराता रहता है 1971 के बांग्लादेश मुक्ति आंदोलन के बीच सामने आई फरीदा और सुनीत की कहानी का चरमोत्कर्ष रुला देने वाला है और, कुछ ऐसा ही एहसास राहुल और सुभद्रा की कहानी देखकर होता है सीरीज का संगीत मधुर है इस सीरीज में पहली बार धर्माटिक ने वास्तविक हिंदुस्तान को समझने की प्रयास की है और इसके लिए करण जौहर और उनकी पूरी टीम शुभकामना की पात्र है

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