जानें पैरासीटामॉल और लिवर डैमेज के बीच क्या है कनेक्शन…
Paracetamol May Be Injurious To Your Liver : पैरासीटामॉल को शीघ्र असर करने वाली पेनकिलर दवाई माना जाता है। यह तुरंत, बिना किसी परेशानी के राहत देती है और 50 वर्ष से अधिक समय से लोग इसका इस्तेमाल करते आ रहे हैं। हालांकि, यह कहावत कि अति हर चीज की खराब होती है और यह बात इस दवाई पर भी लागू होती है। एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है कि जो लोग अक्सर पैरासीटामॉल का सेवन करते हैं इन्हें स्वास्थ्य संबंधी गंभीर दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इस रिपोर्ट में जानिए कि पैरासीटामॉल और लिवर डैमेज के बीच क्या कनेक्शन हो सकता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग के शोधार्थियों ने चूहों पर पैरासीटामॉल लेने के बाद होने वाले असर का शोध किया है। इससे पता चला है कि यह दवाई लिवर डैमेज का एक प्रमुख कारण है। उनका रिसर्च साइंटिफिक रिपोर्ट नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसमें कहा गया है कि कुछ परिस्थितियों में पैरासीटामॉल लिवर में कोशिकाओं की फंक्शनिंग के लिए महत्वपूर्ण स्ट्रक्चरल जंक्शंस को प्रभावित कर सकती है और लिवर को हानि पहुंचा सकती है। बता दें कि क्रॉनिक पेन की परेशानी से जूझ रहे लोगों के लिए चार ग्राम पैरासीटामॉल की डोज रोजाना समान्य मानी जाती है।
उल्लेखनीय है कि लिवर डैमेज से लेकर कैंसर, सिरोसिस और हेपेटाइटिस जैसी रोंगों को पैरासीटामॉल से जोड़ने वाला यह पहला शोध है। इसमें स्कॉटिश नेशनल ब्लड ट्रांसफ्यूजन सर्विस और यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग और ऑस्लो के रिसर्चर्स ने हिस्सा लिया था। बता दें कि ये शोधार्थी एनिमस रिसर्च के जगह पर इंसानों के लिवर की कोशिकाओं का इस्तेमाल करने के लिए एक विश्वसनीय ढंग का निर्माण करने में जुटे हुए हैं। वह पैरासीटामॉल की भिन्न-भिन्न डोज और उनके असर की जांच कर रहे हैं और नयी दवाओं के लिए संभावित डोज तय करने का काम कर रहे हैं।
क्या सुरक्षित है पैरासीटामॉल और कितनी?
पैरासीटामॉल 1960 के दशक के दौरान लोकप्रिय हुई थी जब लोगों को यह लगने लगा था कि एस्पिरिन और आइबूप्रोफेन जैसी अन्य नॉन-स्येरॉयडल एंटी इन्फ्लैमेटरी दवाओं से गैस्ट्रिक ब्लीडिंग, अल्सर और अन्य गंभीर साइड इफेक्ट हो सकते हैं। कई सालों तक इस आसार पर डाटा विरोधाभासी था कि क्या पैरासीटामॉल का लंबे समय तक सेवन करने से इंटर्नल ब्लीडिंग हो सकती है। यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने वर्ष 2013 में चेतावनी दी थी कि अधिक पैरासीटामॉल खाने से कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक वर्ष 2013 में ब्रिटेन में नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड केयर एक्सीलेंस की ओर से भी ड्राफ्ट गाइडलाइंस में ऑस्टियोआर्थराइटिस के लिए पैरासीटामॉल प्रिस्क्राइब न करने की सिफारिश की थी। इसमें बोला गया था कि पैरासीटामॉल से सीमित लाभ होता है और इसकी अधिक खुराक से कार्डियोवेस्क्यूलर, गैस्टोइंटेस्टाइनल और रीनल समस्याएं हो सकती हैं। लेकिन मेडिकल प्रोफेशनल्स ने इन सिफारिशों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। जिसके बाद इंस्टीट्यूट ने फिर पैरासीटामॉल को हरी झंडी दे दी थी।
पैरासीटामॉल की कितनी डोज लेना सही?
पैरासीटामॉल टैबलेट, कैप्सूल, सिरप और पॉउडर के फॉर्म में आती है। इनकी क्षमता भिन्न-भिन्न होती है। बता दें कि 24 घंटों में एक वयस्क के लिए 4 ग्राम पैरासीटामॉल डोज सामान्य मानी जाती है। नेशनल हेल्थ सर्विसेज (एनएचएस) के मुताबिक वयस्क के लिए पैरासीटामॉल की सामान्य डोज 500 एमजी या 1 ग्राम है। वहीं, यदि बीमार शख्स का वजह 50 किलो से कम है तो पैरासीटामॉल लेने से पहले चिकित्सक से संपर्क करने का सुझाव दिया जाता है। पैरासीटामॉल की दो खुराकों के बीच कम से कम 4 घंटे का अंतर होना चाहिए।