स्वास्थ्य

जापानी इंसेफेलाइटिस का तेजी से बढ़ रहा प्रकोप,जाने बचने के उपाए

राजधानी दिल्ली में इन दिनों जहां कंजंक्टिवाइटिस और डेंगू संक्रमण के मुद्दे तेजी से रिपोर्ट किए जा रहे हैं, वहीं कुछ राज्यों में जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) का प्रकोप देखने को मिल रहा है, इसे जापानी बुखार के नाम से भी जाना जाता है हालिया रिपोर्ट्स के अनुसार असम में इस वेक्टर जनित रोग के कारण इस वर्ष अब तक ग्यारह लोगों की मृत्यु हो चुकी है राज्य स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, राज्य भर में कुल 254 लोग इस रोग से संक्रमित हैं असम के स्वास्थ्य मंत्री ने राज्यभर में सभी निवारक तरीका करने की राय दी है

स्वास्थ्य जानकार कहते हैं, राष्ट्रीय राजधानी में पहले से ही कई प्रकार के मच्छर जनित रोगों के मुद्दे देखे जा रहे हैं, ऐसे में यहां जेई का भी जोखिम हो सकता है, सभी लोगों को इससे बचाव के तरीका करते रहने चाहिए जापानी इंसेफेलाइटिस के मुद्दे गंभीर और जानलेवा भी हो सकते हैं

जापानी इंसेफेलाइटिस के बारे में जानिए

जापानी इंसेफेलाइटिस बुखार संक्रमित मच्छरों के काटने से लोगों में फैलता है इंसानों के साथ-साथ जानवरों में भी इस संक्रमण का जोखिम हो सकता है आंकड़ों के अनुसार हर वर्ष जेई के 50,000 नैदानिक मुद्दे सामने आते हैं, लेकिन ऐसा माना जाता है कि असली संख्या इससे कहीं अधिक है

10 साल से कम उम्र के बच्चे इससे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं इसका मृत्युदर भी अधिक माना जाता है, सबसे खतनाक बात यह है कि संक्रमण के शिकार करीब 70% लोगों में न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के विकसित होने का खतरा हो सकता है

कैसे होते हैं जापानी इंसेफेलाइटिस के लक्षण?

जापानी इंसेफेलाइटिस से पीड़ित आदमी को आरंभ में हल्के संक्रमण के साथ बुखार और सिरदर्द हो सकता है, अधिक गंभीर मामलों में इसके लक्षणों के बिगड़ने का जोखिम भी अधिक रहता है संक्रमण बढ़ने की स्थिति में झटके आने, जी मिचलाने-उल्टी, गर्दन में अकड़न और लकवा की भी परेशानी हो सकती है इस संक्रमण की स्थिति में मस्तिष्क में सूजन विकसित होने का जोखिम सबसे अधिक देखा जाता है, जो कई प्रकार की गंभीर समस्याओं के कारण बन सकती है

जापानी इंसेफेलाइटिस के कारण हो सकती है मौत

मच्छर जनित होने वाले इस बीमारी के मुद्दे गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं के साथ मौत का भी कारण बन सकते हैं आमतौर पर इस बीमारी के कारण मृत्युदर 30 प्रतिशत तक देखा जाता है, बच्चों में इसके गंभीर रूप लेने का खतरा अधिक हो सकता है कोमा, दौरे पड़ने और लकवा जैसी स्थितियों के कारण क्वालिटी ऑफ लाइफ पर भी नकारात्मक असर देखा जा सकता है

सभी लोगों को इस बीमारी से बचाव के तरीका करते रहने की राय दी जाती है

जापानी इंसेफेलाइटिस से कैसे रहें सुरक्षित?

डॉक्टर कहते हैं, जापानी इंसेफेलाइटिस वैसे एक मच्छरजनित बीमारी है, ऐसे में मच्छरों के काटने से बचाव के तरीका करके इस बीमारी के जोखिम को कम किया जा सकता है इसके लिए वैक्सीन भी मौजूद होती हैं जो संक्रमण के जोखिम को कम करने या संक्रमण की  स्थिति में गंभीर बीमारी के खतरे से बचाने में सहायक हो सकती है

इसके अतिरिक्त लंबी बाजू वाली शर्ट और पैंट पहनें, घर के आसपास साफ-सफाई रखें जिससे मच्छरों के प्रजनन को रोका जा सके बच्चों को मच्छरों के काटने से सुरक्षित रखने के तरीका करें क्योंकि उन्हें इस बीमारी का खतरा अधिक हो सकता है

 

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