स्वास्थ्य

वैज्ञानिकों ने खसरा वायरस फैलने के बारे में लगाया पता की कैसे मस्तिष्क को करता है प्रभावित


न्यूयॉर्क. वैज्ञानिकों ने खसरा वायरस के मस्तिष्क में फैलने के बारे में पता लगाया कि कैसे यह खतरनाक होकर मस्तिष्क बीमारी से पीड़ित आदमी के मस्तिष्क को प्रभावित करता है.

खसरा सबसे संक्रामक रोगों में से एक है. खसरे का वायरस ऊपरी श्वसन नली को संक्रमित करता है जहां यह श्वासनली का इस्तेमाल करते हुए संक्रमित आदमी के खांसने या छींकने पर बिखरी बूंदों के माध्यम से फैलता है.

टीकाकरण रोग से कारगर ढंग से निपट सकता है और विशेष रूप से Covid-19 महामारी के दौरान छूटे हुए टीकाकरण के कारण रोग फिर से बढ़ रही है. पीएलओएस पैथोजेंस जर्नल में प्रकाशित नयी खोज मस्तिष्क में फैलने वाले वायरस से निपटने के लिए कारगर एंटीवायरल दवाएं बनाने में सहायता कर सकती है.

अमेरिका में मेयो क्लिनिक की टीम ने एक ऐसे आदमी के मस्तिष्क का शोध किया, जो बचपन में खसरे से पीड़ित था और बाद में एक वयस्क के रूप में सबस्यूट स्केलेरोजिंग पैनेंसेफलाइटिस (मस्तिष्क विकार) का शिकार हो गया था.

एसएसपीई, खसरे की एक जटिलता है, और यह प्रत्येक 10,000 खसरे के मामलों में से एक में होता है. प्रारंभिक संक्रमण के बाद खसरे के वायरस को पूरे मस्तिष्क में फैलने में लगभग पांच से 10 वर्ष लग सकते हैं. इस प्रगतिशील तंत्रिका संबंधी बीमारी के लक्षणों में स्मृति हानि, दौरे और गतिहीनता शामिल हैं.

नवीनतम उपकरणों का इस्तेमाल करते हुए टीम ने पता लगाया कि कैसे वायरल जीनोम के एक समूह ने मानव मस्तिष्क को प्रभावित किया. उन्होंने पाया कि वायरस में भिन्न-भिन्न बदलाव (म्यूटेशन) हुए जो फ्रंटल कॉर्टेक्स से वायरस के प्रसार को बाहर की ओर बढ़ाते हैं.

मेयो क्लिनिक के वायरोलॉजिस्ट, सह-प्रमुख लेखक रॉबर्टो कट्टानेओ ने कहा, “हमारा शोध सुन्दर डेटा प्रदान करता है जो दिखाता है कि वायरल आरएनए कैसे बदलता है और पूरे मानव अंग – मस्तिष्क में फैलता है.

उन्होंने कहा, ”हमारी खोजों से यह शोध करने और समझने में सहायता मिलेगी कि अन्य वायरस कैसे बने रहते हैं और मानव मस्तिष्क में कैसे रोग पैदा करते हैं. यह ज्ञान कारगर एंटीवायरल दवाओं के निर्माण की सुविधा प्रदान कर सकता है.

अध्ययन में टीम ने मस्तिष्क के विभिन्न क्षेत्रों से 15 नमूनों की जांच की और यह पता लगाया कि खसरा वायरस कैसे परिवर्तित होता है.

शोधकर्ताओं ने पता लगाया कि खसरे का वायरस मस्तिष्क के जीनोम में प्रवेश करने के बाद वायरस के लिए नुकसानदायक उपायों से बदलना प्रारम्भ हो गया. जीनोम ने अन्य जीनोम बनाए, जो थोड़े अलग थे.

फिर, इन जीनोमों की दोबारा प्रतिकृति बनाई गई, जिसके परिणामस्वरूप और अधिक जीनोम बने, जो थोड़े अलग भी थे. वायरस ने ऐसा कई बार किया और विभिन्न जीनोम की जनसंख्या तैयार की.

 

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