अंतर्राष्ट्रीय

इज़राइल के साथ तनाव में अल-अक्सा मस्जिद का विवाद भी शामिल

नई दिल्ली: इजराइल और फिलिस्तीनी आतंकी समूह हमास के बीच ताजा झड़प मंगलवार (10 अक्टूबर) को चौथे दिन में प्रवेश कर गई है और इसने पूरी दुनिया के कई राष्ट्रों के बीच चिंता बढ़ा दी है. रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार सुबह कई स्थानों पर भारी रॉकेट फायरिंग जारी रहने से दोनों तरफ से मरने वालों की संख्या 1100 से अधिक हो गई है और हजारों लोग घायल हो गए हैं. इस आतंकवादी हमले में इज़राइल में कम से कम 700 लोग मारे गए हैं और गाजा में 400 से अधिक लोग मारे गए हैं.

हमास के इस अचानक हमले के बाद इजराइल की सेना ने रविवार (8 अक्टूबर) को गाजा पर रॉकेट से धावा कर दिया था और सैकड़ों लोगों को मार डाला था. युद्ध की स्थिति को देखते हुए, आतंकवादी संगठन हमास द्वारा इज़राइल पर रॉकेटों की बौछार करने और अपने सैकड़ों लड़ाकों को भेजने के एक दिन बाद इज़राइल के प्रधान मंत्री, बेंजामिन नेतन्याहू ने देश को संबोधित किया और “लंबे और कठिन” युद्ध के लिए तैयार रहने को कहा. रिपोर्ट के मुताबिक, गाजा में इजरायल के हवाई हमलों से लगातार हानि हो रहा है, कम से कम तीन विद्यालय और एक हॉस्पिटल भी प्रभावित हुआ है. हालाँकि, पीएम नेतन्याहू ने पहले ही आम लोगों से गाज़ा पट्टी खाली करने को कह दिया था, उन्होंने बोला था कि, अब इजराइल आतंकवादियों को नहीं छोड़ेगा और आम जनता प्रभावित क्षेत्र को खाली कर दे.

एक रिपोर्ट के अनुसार, आतंकवादी संगठन हमास ने आधिकारिक तौर पर बोला है कि इज़राइल के साथ तनाव में अल-अक्सा मस्जिद का टकराव भी शामिल है, जो मुसलमानों और यहूदियों दोनों के लिए पवित्र जगह है. यहूदियों के बीच टेंपल माउंट के नाम से प्रसिद्ध इस स्थान पर पहले भी अत्याचार भड़क चुकी है, जिसके कारण 2021 में इजरायल और हमास के बीच 11 दिनों तक युद्ध चला था. हालांकि, इस बार यह स्थिति पिछले सप्ताह हुए टकराव के बाद भड़की है, जब सुकोट के यहूदी फसल उत्सव के दौरान सैकड़ों यहूदियों और इजरायली कार्यकर्ताओं ने साइट का दौरा किया, जिसकी हमास ने आलोचना की और इल्जाम लगाया कि यहूदी यथास्थिति समझौते का उल्लंघन करके वहां प्रार्थना कर रहे थे.
इस बीच, हमास और इज़राइल के बीच युद्ध ने पश्चिम और मध्य पूर्व के कई राष्ट्रों में चिंता बढ़ा दी है. जहां ईरान, कतर और लेबनान जैसे राष्ट्र हमास का समर्थन कर रहे हैं, वहीं कई यूरोपीय राष्ट्र इजराइल के समर्थन में आ गए हैं.

इज़राइल के विदेश मंत्रालय ने दावा किया है कि 84 राष्ट्रों ने उसके आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन करते हुए बयान जारी किए हैं. टाइम्स ऑफ इजराइल ने विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का हवाला देते हुए जानकारी दी है कि अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, नॉर्वे और ऑस्ट्रिया सहित 84 राष्ट्रों में कई सियासी नेताओं ने हमलों की आलोचना करते हुए और इजराइल के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन करते हुए बयान जारी किए हैं.

हमास का समर्थन करने वाले देश:-
युद्ध की स्थिति के बीच, कई देश, मुख्य रूप से मध्य पूर्व के इस्लामी देश, आतंकवादी संगठन हमास का समर्थन करने के लिए आगे आए हैं. रिपोर्ट के अनुसार, ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने रविवार को हमास से बात की. इसके अलावा, ईरान पिछले कई सालों से हमास का समर्थन करता रहा है और वित्तीय सहायता और सेना आपूर्ति के माध्यम से फिलिस्तीनी आतंकी समूह की सहायता करता रहा है. दूसरी ओर, हमास के प्रबल समर्थक इस्लामी राष्ट्र कतर ने एक बयान देकर इल्जाम लगाया कि जारी तनाव के लिए इजरायल को उत्तरदायी ठहराया जाएगा. कतर पहले भी हमास को आर्थिक सहायता देने वालों में एक प्रमुख राष्ट्र रहा है. इसके अतिरिक्त, बेरूत में कई लेबनानी नागरिकों ने इज़राइल के विरुद्ध हमास की लड़ाई के प्रति अपनी एकजुटता व्यक्त की है. गौर करने वाली बात ये भी है कि, हिंदुस्तान गवर्नमेंट जहाँ आधिकारिक रूप से इस मुद्दे में इजराइल के साथ खड़ी है, वहीं हिंदुस्तान पर सबसे लम्बे समय तक शासन करने वाली कांग्रेस पार्टी ने फिलिस्तीन (हमास) के समर्थन में प्रस्ताव पारित किया है. जानकारों का बोलना है कि, कांग्रेस पार्टी ने फिलिस्तीन का समर्थन इसलिए किया है, क्योंकि पार्टी मुसलमान वोट बैंक को अपने पक्ष में रखना चाहती है. बता दें कि, हिंदुस्तान के अधिकांश मुसलमान भी फिलिस्तीन के समर्थन में हैं और सोशल मीडिया पर इजराइल पर हुए आतंकवादी हमले का उत्सव मनाते देखे गए हैं. हमास का समर्थन करने वाले राष्ट्रों में ईरान, क़तर, लेबनॉन, पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और कुवैत शामिल हैं, राजनितिक दलों के रूप में उन्हें हिंदुस्तान की कांग्रेस पार्टी पार्टी का भी समर्थन मिला है.

बता दें कि, ज्यादातर पश्चिमी देश, इजरायल के समर्थन में सामने आए हैं, उनमें अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, नॉर्वे और ऑस्ट्रिया समेत अन्य 84 राष्ट्र शामिल हैं. ये राष्ट्रसिर्फ़ इजराइल का समर्थन कर रहे हैं, बल्कि आतंकवादी संगठन हमास के हमले के विरुद्ध आत्मरक्षा के उसके अधिकारों का भी समर्थन कर रहे हैं. अमेरिका ने इज़राइल को सेना सहायता भेजने और नौसेना और वायु सेना को मजबूत करने की घोषणा की है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रविवार को इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू से बात की.  रिपोर्टों के अनुसार, राष्ट्रपति बाइडेन ने आश्वासन दिया है कि “इज़राइल रक्षा बलों के लिए अतिरिक्त सहायता अब इज़राइल के रास्ते में है और आने वाले दिनों में और भी सहायता दी जाएगी”.

भारत ने इज़रायल को समर्थन दिया:-
प्रधान मंत्री मोदी ने शनिवार को राष्ट्र को समर्थन देते हुए ट्वीट किया कि “भारत इज़राइल के साथ एकजुटता से खड़ा है”. प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी हमास के हमले में इजरायली नागरिकों की मृत्यु पर शोक जताया “इजरायल में आतंकी हमलों की समाचार से गहरा सदमा लगा. हमारी संवेदनाएँ और प्रार्थनाएँ बेगुनाह पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ हैं. हम इस मुश्किल समय में इज़राइल के साथ एकजुटता से खड़े हैं.” इस बीच, हिंदुस्तान में इजराइल के राजदूत नाओर गिलोन ने रविवार को बोला कि हिंदुस्तान का समर्थन इजराइल के लिए जरूरी है. रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने बोला कि यह समर्थन इजरायल के लिए दो कारणों से जरूरी है, पहला दुनिया में हिंदुस्तान का महत्व और दूसरा, यह आतंकवाद के विरुद्ध हिंदुस्तान की लंबी लड़ाई से जुड़ा है.

 

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