एस जयशंकर ने होसैन अमीराब्दुल्लाहियन के साथ गाजा युद्ध और कॉमर्शियल जहाजों पर हमलों से लेकर विभिन्न मुद्दों पर की चर्चा
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को तेहरान में अपने ईरानी समकक्ष होसैन अमीराब्दुल्लाहियन के साथ अहम बैठक की। इस दौरान उन्होंने चाबहार बंदरगाह में हिंदुस्तान की भागीदारी, गाजा युद्ध और कॉमर्शियल जहाजों पर हमलों से लेकर विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। जयशंकर इस समय दोनों पक्षों के बीच चल रही उच्च स्तरीय वार्ता के लिए ईरानी राजधानी में हैं। उन्होंने ईरानी राष्ट्रपति डॉ इब्राहिम रायसी से भी मुलाकात की और पीएम मोदी की शुभकामनाएं दीं।
एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में विदेश मंत्री एस। जयशंकर ने कहा कि उनकी चर्चा रणनीतिक रूप से जरूरी चाबहार बंदरगाह और उत्तर-दक्षिण कनेक्टिविटी परियोजना में हिंदुस्तान की भागीदारी के लिए दीर्घकालिक रूपरेखा पर केंद्रित थी। उन्होंने कहा, ”हमने चाबहार बंदरगाह के विकास और संचालन में हिंदुस्तान की भागीदारी पर चर्चा की, जो कनेक्टिविटी की संयुक्त दृष्टि के साथ एक संयुक्त परियोजना है। मैंने मध्य एशिया, अफगानिस्तान और यूरेशिया के बाजारों तक पहुंच के लिए ईरान की अद्वितीय भौगोलिक स्थिति से फायदा उठाने में हिंदुस्तान की रुचि दोहराई।”
तेजी से किया जाए जहाजों पर हमले का समाधान- भारत
जयशंकर ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “आज तेहरान में ईरानी विदेश मंत्री अमीर-अब्दुल्लाहियन के साथ व्यापक चर्चा हुई। हमारी द्विपक्षीय चर्चा चाबहार बंदरगाह और आईएनएसटीसी कनेक्टिविटी परियोजना के साथ हिंदुस्तान की भागीदारी के लिए दीर्घकालिक ढांचे पर केंद्रित थी। उन्होंने क्षेत्र में समुद्री जहाजों पर मंडरा रहे खतरों के बारे में भी बात की और बल देकर बोला कि यह जरूरी है कि इस मामले का “तेजी से निवारण किया जाए”।
उनका इशारा इजरायल-हमास विवाद को लेकर था। दरअसल इजरायल-हमास में चल रही जंग के बीच ईरान समर्थित यमन के हूती उपद्रवियों द्वारा लाल सागर में व्यापारिक जहाजों को निशाना बनाया जा रहा है। अमेरिका और ब्रिटेन ने यमन में हूती ठिकानों को निशाना बनाकर हवाई हमले किए हैं। हिंदुस्तान लाल सागर में उभरती स्थिति पर करीब से नजर रख रहा है। जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के बीच बृहस्पतिवार को टेलीफोन पर हुई वार्ता में यह मामला उठा। जयशंकर ने ईरानी विदेश मंत्री के साथ बैठक के बाद कहा, “एजेंडे में अन्य मामले गाजा स्थिति, अफगानिस्तान, यूक्रेन और ब्रिक्स योगदान थे।”
भारत के आसपास पोतों पर हमले ‘गंभीर चिंता’ का विषय: जयशंकर
विदेश मंत्री एस। जयशंकर ने हिंदुस्तान के आसपास पोतों पर हमलों को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए ‘‘गंभीर चिंता’’ का विषय बताते हुए सोमवार को बोला कि ऐसे खतरों का हिंदुस्तान की ऊर्जा जरूरतों और आर्थिक हितों पर सीधा असर पड़ता है। जयशंकर ने ईरान के अपने समकक्ष हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान के साथ व्यापक वार्ता के बाद एक संयुक्त प्रेस बयान में कहा, ‘‘हाल में हिंद महासागर के इस जरूरी हिस्से में समुद्री वाणिज्यिक यातायात की सुरक्षा के लिए खतरे काफी बढ़ रहे है।’’ उन्होंने इजरायल-हमास संघर्ष के बीच ईरान समर्थित यमन के हूती उपद्रवियों द्वारा सबसे व्यस्त व्यापार मार्गों में शामिल लाल सागर में वाणिज्यिक पोतों को निशाना बनाने के साफ संदर्भ में इस बात पर बल दिया कि यह जरूरी है कि इस मामले से ‘‘तत्काल निपटा’’ जाए।
ईरानी राष्ट्रपति रईसी से मिले जयशंकर
बाद में, उन्होंने ईरानी राष्ट्रपति रईसी से मुलाकात की और उन्हें ईरानी मंत्रियों के साथ अपनी “सार्थक चर्चा” से अवगत कराया। जयशंकर ने ‘एक्स’ पर कहा, “इस्लामिक गणराज्य ईरान के राष्ट्रपति डाक्टर इब्राहिम रईसी से मुलाकात कर सम्मानित महसूस कर रहा हूं। पीएम नरेन्द्र मोदी को शुभकामनाएं दीं। करमान हमले पर शोक व्यक्त किया। उन्हें ईरानी मंत्रियों के साथ अपनी सार्थक चर्चाओं से अवगत कराया। संबंधों के आगे विकास के लिए उनके मार्गदर्शन को महत्व दें।”
ईरान की समाचार एजेंसी ‘आईआरएनए’ ने कहा, “उन्होंने क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम पर भी चर्चा की।” इससे पहले सोमवार को जयशंकर ने अपने ईरान में सड़क और शहरी विकास मंत्री मेहरदाद बज्रपाश से मुलाकात करके अपने कार्यक्रम की आरंभ की। मुलाकात के दौरान दोनों पक्षों ने रणनीतिक रूप से जरूरी चाबहार बंदरगाह पर दीर्घकालिक योगदान ढांचा स्थापित करने पर विस्तृत और “सार्थक” चर्चा की।
मंत्री बज्रपाश से भी मिले जयशंकर
जयशंकर ने बज्रपाश के साथ अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (आईएनएसटीसी) पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया। उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “तेहरान में मेरे दौरे की आरंभ सड़क और शहरी विकास मंत्री मेहरदाद बज्रपाश से मुलाकात के साथ हुई। चाबहार बंदरगाह के संबंध में दीर्घकालिक योगदान ढांचा स्थापित करने पर विस्तृत और सार्थक चर्चा। अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया।”
ऊर्जा संपन्न ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित, चाबहार बंदरगाह संपर्क और व्यापार संबंधों को बढ़ावा देने के लिए हिंदुस्तान और ईरान द्वारा विकसित किया जा रहा है। हिंदुस्तान क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए चाबहार बंदरगाह परियोजना पर बल दे रहा है, खासकर अफगानिस्तान से इसके संपर्क के लिए। ताशकंद में 2021 में एक संपर्क(कनेक्टिविटी) सम्मेलन में जयशंकर ने चाबहार बंदरगाह को अफगानिस्तान सहित एक प्रमुख क्षेत्रीय पारगमन केंद्र के रूप में पेश किया था। चाबहार बंदरगाह को आईएनएसटीसी परियोजना के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में भी देखा जाता है।