अंतर्राष्ट्रीय

2001 Parliament Attack: कैसे हुआ था भारतीय लोकतंत्र के दिल पर हमला और कौन था पीछे…

2001 Parliament Attack: आज ही के दिन पाक स्थित आतंकी समूहों ने भारतीय लोकतंत्र के दिल पर धावा किया था. जो आज हमले की 22वीं बरसी है. जहां पीएम मोदी ने बुधवार ’13 दिसंबर’ को आज ही के दिन ठीक 22 वर्ष पहले इस घटना पर संसद हमले के दौरान शहीद हुए सुरक्षाकर्मियों को श्रद्धांजलि दी है. उस हमले में 9 बेगुनाह लोगों की मृत्यु और 18 घायल हो गए थे. इसके अतिरिक्त राष्ट्र के सबसे सुरक्षित स्थानों में से एक, भारतीय राज्य और उसके लोकतंत्र के दिल पर धावा हुआ. आईए जानते है, धावा कैसे हुआ, इसके पीछे कौन था और इसके बाद क्या हुआ.

संसद भवन पर आक्रमण

बता दे कि 13 दिसंबर 2001 की सुबह करीब 11:40 बजे पांच आतंकी एक लाल बत्ती लगी एम्बेसडर कार (Ambassador car) लिए और कार की विंडशील्ड पर गृह मंत्रालय का जाली स्टीकर लगाकर संसद भवन के परिसर में प्रवेश किया. और जैसे ही एम्बेसडर कार संसद भवन के गेट नंबर 12 की ओर बढ़ी, संसद भवन वॉच एंड वार्ड स्टाफ (Watch and Ward Staff) के एक सदस्य को शक हुआ. और उन्होंने कार को वापस मुड़ने के लिए विवश किया तब-तक की तत्कालीन उपराष्ट्रपति कृष्ण कांत (Krishna Kant) के गाड़ी से टकरा गया और आतंकियों ने बाहर निकलकर लगातार गोलीबारी प्रारम्भ कर दी. घटना के तुरंत बाद एक अलार्म बजा और बिल्डिंग के सभी गेट तुरंत बंद कर दिए गए थे. लगातार गोलीबारी होती रही चारों तरफ अफरा-तफरी का माहौल बन गया था. जो 30-40 मिनट से अधिक समय तक गोलीबारी चली. हमले के दौरान आठ सुरक्षाकर्मियों और एक माली सहित सभी पांच आतंकी मारे गए. और कम से कम 15 लोग घायल हो गये थे. उस समय संसद में लगभग 100 मंत्री और सांसद उपस्थित थे.

पाकिस्तान के आतंकी संगठनों गुनाह देना

ऐसे में तत्कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) ने लोकसभा में बोला कि “अब यह साफ है कि संसद भवन पर आतंकी हमले को पाक स्थित और समर्थित आतंकी संगठनों, अर्थात् लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद द्वारा संयुक्त रूप से अंजाम दिया गया है. आगे पाकिस्तानी राज्य की भागीदारी का संकेत देते हुए, लालकृष्ण आडवाणी ने बोला कि “ये दोनों संगठन पाक आईएसआई से अपना समर्थन और संरक्षण प्राप्त करने के लिए जाने जाते हैं. पुलिस की अब तक की जांच से पता चला है कि आत्मघाती दस्ता बनाने वाले पांचों आतंकवादी पाकिस्तानी नागरिक थे.

वे सभी मौके पर ही मारे गए और उनके भारतीय सहयोगियों को पकड़ लिया गया और अरैस्ट कर लिया गया. उन्होंने बोला कि “भारत में पाक प्रायोजित आतंकवाद के लगभग दो दशक लंबे इतिहास में संसद पर पिछले सप्ताह का धावा निस्संदेह सबसे दुस्साहसिक और सबसे घातक आतंकी कृत्य है”. घटना के बाद पुलिस ने 13 दिसंबर को आतंकियों के द्वारा सशस्त्र हमले की FIR दर्ज की. और कुछ ही दिनों के बाद दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने चार व्यक्तियों को अरैस्ट किया. जिसके द्वारा इस्तेमाल की गई कार और सेलफोन रिकॉर्ड (Cellphone records) से संबंधित सुरागों की सहायता से ट्रैक किया गया था. अफजल गुरु और अन्य पर षड्यंत्र का इल्जाम लगे थे.

 

Related Articles

Back to top button