इजरायल के खिलाफ सऊदी में जुटेंगे 57 मुसलमान देश
गाजा पर जारी इजरायली हमलों के चलते फिलिस्तीन में मरने वाले लोगों की संख्या 10 हजार को पार कर गई है। इसे लेकर अरब राष्ट्रों समेत पूरे विश्व के इस्लामिक देशों में गुस्सा है। हालांकि पाक इस मसले पर अरब राष्ट्रों के रवैये से भी खुश नहीं है। पाक के सबसे बड़े अखबार डॉन के संपादकीय में बुधवार को लिखा गया कि फिलिस्तीनी मारे जा रहे हैं और अरब राष्ट्र हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। पाकिस्तानी अखबार ने लिखा कि इजरायल खून का प्यासा है और प्रत्येक दिन सैकड़ों लोग मारे जा रहे हैं। इसके बाद भी अरब राष्ट्र चुप बैठे हैं।
अखबार लिखता है, ‘गाजा के लोगों को खाना, पानी, ईंधन और दवा तक नहीं मिल रही हैं। यह 21वीं सदी का होलोकास्ट चल रहा है। विडंबना है कि यह अत्याचार वही कर रहे हैं, जो स्वयं होलोकास्ट का शिकार होने की बात करते रहे हैं। गाजा और फिलिस्तीन के दूसरे हिस्सों में जीवन गुजारना अब किसी बुरे सपने सा हो गया है। हमास के हमले से पहले भी यही स्थिति थी, लेकिन अब तो फिलिस्तीन के लोग अब तो अस्तित्व के संकट से ही जूझ रहे हैं।’ डॉन लिखता है कि ऑयल अवीव के इरादों का इससे ही पता चल जाता है कि उसके मंत्री तो गाजा में परमाणु बम गिराने की बात कर रहे हैं।
इजरायल के विरुद्ध सऊदी में जुटेंगे 57 मुस्लिम देश, पुराने शत्रु भी साथ
यही नहीं पाकिस्तानी मीडिया ने इस मुद्दे में अरब राष्ट्रों की खामोशी पर तीखा प्रश्न उठाया है। अखबार लिखता है, ‘बोलिविया और दक्षिण अफ्रीका जैसे राष्ट्रों ने नैतिकता दिखाते हुए अपने राजदूतों को वापस बुला लिया है। इन राष्ट्रों ने संकट की घड़ी में साहस दिखाया है और साबित किया कि वे फिलिस्तीन की जनता के साथ खड़े हैं।’ इसके आगे डॉन पूछता है कि आखिर ऐसे संकट में अरब राष्ट्र कहां हैं। अखबार लिखता है, ‘आखिर अरब और मुसलमान वर्ल्ड ने क्या किया? इन लोगों ने हमेशा की तरह उदासीन रुख अपनाया। केवल बयान जारी किए और वह भी लंबे नफा-नुकसान देखने के बाद किया।’
‘इन सरकारों से अधिक तो जनता ही साहसी है’
पाक मीडिया के अनुसार इन राष्ट्रों से अधिक मुसलमान जनता ने साहस दिखाया है। अखबार लिखता है कि अरब राष्ट्रों की सरकारों के मुकाबले तो जनता ही अधिक साहसी रही। मुसलमान राष्ट्रों के आम नागरिक सड़कों पर उतर आए। यहां तक कि ब्रिटेन, अमेरिका जैसे राष्ट्रों में भी लोग सड़कों पर उतरे। यही नहीं मुसलमान समाज के लोगों ने इजरायल समर्थक कंपनियों के उत्पादों के भी बायकॉट का घोषणा किया है। इस तरह मुस्लिम राष्ट्रों की सरकारों से अधिक तो आम नागरिकों ने ही साहस दिखाया है। अब आशा है कि रविवार को रियाद में होने वाली समिट में इस्लामिक राष्ट्रों का संगठन कोई बड़ा निर्णय लेगा।