अंतर्राष्ट्रीय

एआई इंसान के विचारों को मशीनी शब्दों में देगा बदल

सिडनी: ऑस्ट्रेलिया की सिडनी यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं ने एक एआई मॉडल बनाया है जो मस्तिष्क को पढ़ और लिख सकता है एआई आदमी के विचारों को मशीनी शब्दों में बदल देगा इस कार्य को करने में मशीन की क्षमता 40 से 60 फीसदी तक सिद्ध हो चुकी है शोधकर्ताओं को आशा है कि अगले प्रयोगों में इसकी दक्षता और अधिक परफेक्ट होगी मस्तिष्क तरंगों को पाठ में अनुवाद करने की इस पद्धति के बारे में दावा किया जाता है कि यह अभूतपूर्व रिज़ल्ट लाती है

प्रौद्योगिकी यूनिवर्सिटी सिडनी के शोधकर्ताओं ने विभिन्न एआई उपकरणों का इस्तेमाल करके एक हेलमेट डिजाइन किया है एआई इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राम (ईईजी) रिकॉर्डिंग को डवेयर नामक एआई मॉडल का इस्तेमाल करके टेक्स्ट में परिवर्तित किया जाता है यह मॉडल एक आदमी क्या सोचता है उसकी तरंगों को पकड़ता है और उसे शब्दों में पिरोता है इसका परीक्षण 29 लोगों पर किया गया और नतीजे बहुत आशाजनक रहे इनमें से 40 से 60 फीसदी हेलमेट परफेक्ट काम करते हैं इसका मतलब है कि हम जो वाक्य सोचते हैं उनमें से आधे एक मशीन की सहायता से लिखे गए हैं अभी इस दिशा में शोधकर्ताओं ने आधी कामयाबी हासिल की है, लेकिन आने वाले सालों में और अधिक परफेक्ट एआई तकनीक विकसित की जा सकेगी और इस दिशा में अन्य शोधों को बढ़ावा मिलेगा

विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने चैटजीपीटी जैसे कार्यक्रमों का भी इस्तेमाल किया सिडनी यूनिवर्सिटी के एक शोधकर्ता चिन टेंग लिन ने बोला कि यह आविष्कार ईईजी तरंगों का भाषा में अनुवाद करने के लिए बिल्कुल ठीक था यह एक ऐतिहासिक मुद्दा है ब्रेन टू टेक्स्ट की कामयाबी को देखते हुए आने वाले दिनों में यह डिवाइस जान लेगी कि कोई आदमी क्या सोच रहा है

यह तकनीक कई क्षेत्रों में क्रांतिकारी साबित होगी यदि इसका इस्तेमाल क्राइम का पता लगाने में किया जाए तो अभूतपूर्व रिज़ल्ट प्राप्त हो सकते हैं आदतन क्रिमिनल के सीधे उत्तर न देने पर उसके दिमाग को पढ़कर कई रहस्य सुलझाए जा सकते हैं

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