अमेरिका ने मार गिराया तुर्की का ड्रोन
तुर्की की बमबारी से सहमे अमेरिकी सुरक्षा बल
उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के सदस्य राष्ट्रों का एक दूसरे के विरुद्ध किया गया यह दुर्लभ मुद्दा है। पेंटागन के प्रेस सचिव वायुसेना के ब्रिगेडियर जनरल पैट्रिक रेडेर ने इसे ‘खेदपूर्ण घटना’ बताया। साथ ही बोला कि अमेरिकी सुरक्षा बलों को सुरक्षा के लिए बंकरों में जाना पड़ा क्योंकि तुर्की उनके इर्द-गिर्द बमबारी कर रहा था। रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने तुर्की के अपने समकक्ष से बात की और क्षेत्र में इस्लामिक स्टेट के आतंकियों के विरुद्ध लड़ाई के अमेरिकी सुरक्षा बलों या अंतरराष्ट्रीय गठबंधन के अभियान को किसी संभावित जोखिम से रोकने के लिए दोनों राष्ट्रों के बीच निकट समन्वय के महत्व पर बल दिया।
अमेरिकी सेनाओं की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण था हमला: अमेरिका
रेडेर ने कहा, ‘यह फैसला अमेरिकी सेनाओं की सुरक्षा के लिए मुनासिब कार्रवाई और आत्मरक्षा के अंतर्निहित अधिकार के अनुसार लिया गया।’ अमेरिकी ऑफिसरों ने नाम न जाहिर करने के निवेदन पर एसोसिएटेड प्रेस (एपी) को बताया, ‘हमें संकेत मिला कि तुर्की ने जानबूझकर अमेरिकी सुरक्षा बलों को निशाना बनाया।’ उन्होंने बोला कि तुर्की के सेना ऑफिसरों को कई बार टेलीफोन कर कहा गया था कि क्षेत्र में अमेरिकी सुरक्षा बल उपस्थित हैं, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने ऐसा करना जारी रखा और ड्रोन को वहां से नहीं हटाया।
अमेरिकी सुरक्षा बलों से केवल 1 किमी दूर हुए ड्रोन अटैक
इस कारण अमेरिकी सुरक्षा बलों को आत्मरक्षा में यह निर्णय लेना पड़ा। रेडेर ने बोला कि अमेरिकी सुरक्षा बलों ने पाया कि क्षेत्रीय समयानुसार सुबह करीब साढ़े सात बजे तुर्की के ड्रोन हवाई हमले कर रहे हैं और कुछ हमले अमेरिकी निषिद्ध संचालन क्षेत्र से महज एक किलोमीटर की दूरी पर हो रहे थे। उन्होंने कहा कि कमांडरों ने इसे यूएस एफ-16 लड़ाकू विमान के लिए खतरा माना और सुबह 11 बजकर 40 मिनट पर उसे मार गिराया।
एकदूसरे के लिए खड़े रहते हैं नाटो संगठन के देश, यहां उलझ पड़े
गौरतलब है कि तुर्की और अमेरिका दोनों ‘नाटो’ सेना संगठन के सदस्य हैं। नाटो एक ऐसा संगठन है जिसमें यदि इस संगठन के किसी भी राष्ट्र पर धावा होता है, तो पूरा नाटो सेना संगठन उसके पक्ष में खड़ा हो जाएगा। लेकिन तुर्की और अमेरिका दोनों ही नाटो सेना संगठन के सदस्य होने पर एकदूसरे के लिए खड़े होने की बजाय एक दूसरे से ही उलझ गए। यही नहीं, अमेरिका ने तो तुर्की जो नाटो का सदस्य राष्ट्र है, उसका हमलावर ड्रोन मार गिराया। क्योंकि अमेरिकी सुरक्षाबलों को उससे खतरा था। नाटो सेना संगठन के दो राष्ट्रों का इस तरह एकदूसरे पर धावा दुर्लभ मुद्दा है।