अंतर्राष्ट्रीय

भारत-चीन के रिश्तों में चल रहे गतिरोध के बीच दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प की और घटनाएं आईं सामने

भारत और चीन के रिश्तों में चल रहे गतिरोध के बीच असली नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच पूर्व हुई झड़प की कम से कम दो अज्ञात घटनाएं सामने आई हैं हम आपको बता दें कि इंडियन आर्मी के जवानों को दिए गए बहादुरी पुरस्कारों के प्रशस्ति पत्र में इन झड़पों का उल्लेख किया गया है पिछले हफ्ते सेना की पश्चिमी कमान द्वारा एक अलंकरण कार्यक्रम में दिए गए प्रशस्ति पत्र में इस बात का संक्षिप्त विवरण दिया गया था कि कैसे भारतीय सैनिकों ने एलएसी पर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों के आक्रामक व्यवहार का डटकर उत्तर दिया इसके अलावा, सेना की पश्चिमी कमान ने अपने यूट्यूब चैनल पर 13 जनवरी के कार्यक्रम का एक वीडियो अपलोड किया था जिसमें बहादुरी पुरस्कार पर टिप्पणी की गई थी, लेकिन सोमवार को इसे ‘डिएक्टीवेट’ कर दिया हम आपको बता दें कि पश्चिमी कमान का मुख्यालय हरियाणा के चंडी मंदिर में है

बताया जा रहा है कि चीनी कब्ज़ा के कोशिश का दृढ़ता से उत्तर देने वाली टीम का हिस्सा रहे कई भारतीय सैनिकों को भी अलंकरण कार्यक्रम में बहादुरी पुरस्कार से सम्मानित किया गया प्रशस्ति पत्र में उल्लिखित घटनाएं सितंबर 2021 और नवंबर 2022 के बीच की थीं सेना की ओर से इस मुद्दे पर तुरन्त कोई टिप्पणी नहीं की गई है

विदेश मंत्री जयशंकर का बयान

हम आपको यह भी बता दें कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बोला है कि सीमा पर गतिरोध के बीच चीन को संबंधों के सामान्य रूप से आगे बढ़ने की आशा नहीं करनी चाहिए उन्होंने बोला है कि कूटनीति जारी रहती है और कभी-कभी मुश्किल परिस्थितियों का निवारण जल्दबाजी में नहीं निकलता है जयशंकर ने बोला है कि हिंदुस्तान और चीन के बीच सीमाओं पर आपसी सहमति नहीं है और यह फैसला लिया गया था कि दोनों पक्ष सैनिकों को इकट्ठा नहीं करेंगे और अपनी गतिविधियों के बारे में एक दूसरे को सूचित रखेंगे, लेकिन पड़ोसी राष्ट्र ने 2020 में इस समझौते का उल्लंघन किया जयशंकर ने बोला है कि चीन बड़ी संख्या में अपने सैनिकों को असली नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर ले आया और गलवान की घटना हुई विदेश मंत्री ने बोला कि उन्होंने अपने चीनी समकक्ष को कहा है कि ‘‘जब तक सीमा पर कोई निवारण नहीं निकलता, उन्हें अन्य संबंधों के सामान्य रूप से आगे बढ़ने की आशा नहीं करनी चाहिए’’ विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘यह असंभव है आप एक ही समय में लड़ना और व्यापार नहीं करना चाहते इस बीच, कूटनीति जारी है और कभी-कभी मुश्किल परिस्थितियों का निवारण जल्दबाजी में नहीं निकलता है’’

उत्तरी कमान का बयान

हम आपको यह भी बता दें कि सेना के एक शीर्ष कमांडर ने भी बोला है कि उत्तरी सीमा पर हालात स्थिर हैं लेकिन ‘सामान्य नहीं’ हैं उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बोला है कि मई 2020 में पूर्वी लद्दाख के सात गतिरोध वाले स्थानों में से पांच का निवारण इंडियन आर्मी और जन मुक्ति सेना (पीएलए) ने कर लिया है और बाकी दो स्थानों के लिए वार्ता जारी है उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘उत्तरी सीमा पर स्थिति स्थिर है लेकिन समान्य नहीं है या मैं कह सकता हूं कि यह संवेदनशील है’’

सेनाध्यक्ष का बयान

इसके अलावा, सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने भी बोला है कि पूर्वी लद्दाख में असली नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति ‘स्थिर’ लेकिन ‘संवेदनशील’ है और भारतीय सैनिक किसी भी अकस्मात स्थिति से कारगर ढंग से निपटने के लिए अभियानगत तैयारियों को बहुत उच्च स्तर पर रखे हुए हैं इस हफ्ते सेना दिवस से पहले संवाददाताओं को संबोधित करते हुए जनरल पांडे ने बोला था कि हिंदुस्तान और चीन 2020 के मध्य से पूर्व की स्थिति में लौटने के लक्ष्य से सेना और राजनयिक स्तर की वार्ताएं जारी रखे हुए हैं उन्होंने कहा, ‘‘उत्तरी सीमा पर हालात स्थिर लेकिन संवेदनशील हैं हम शेष मुद्दों का निवारण तलाशने के लिए स्थापित प्रोटोकॉल और प्रक्रियाओं के मुताबिक सेना और राजनयिक दोनों स्तरों पर वार्ता जारी रखे हुए हैं’’ सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘हमारी अभियानगत तैयारियां उच्च स्तर की हैं सैनिकों की तैनाती मजबूत और संतुलित है’’ उन्होंने बोला कि उनकी सेना सभी इलाकों में पर्याप्त उपस्थिति बनाये हुए है ताकि यह किसी भी अकस्मात स्थिति से निपट सके यह पूछे जाने पर कि क्या पूर्वी लद्दाख में असली नियंत्रण रेखा पर सैनिकों की संख्या को कम करने का कोशिश किया जाएगा, उन्होंने बोला कि प्राथमिक बल 2020 में गतिरोध प्रारम्भ होने से पहले की यथास्थिति में लौटना है उन्होंने कहा, ‘‘वर्तमान में हमारी प्रयास 2020 के मध्य से पूर्व की स्थिति में वापस जाने के लिए वार्ता जारी रखने की है और एक बार ऐसा होने पर हम सैनिकों की संख्या में कटौती के बड़े मामले पर विचार कर सकते हैं एलएसी पर जब तक जो कुछ भी सैनिक तैनात करने की आवश्यकता पड़ेगी, हम करते रहेंगे’ उन्होंने कहा, ‘‘पहला लक्ष्य हासिल हो जाने के बाद हम अन्य मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं’’

एलएसी के हालात

हम आपको बता दें कि पूर्वी लद्दाख में हिंदुस्तान और चीन के बीच विवाद के कई जगह हैं जिन पर पिछले तीन साल से गतिरोध कायम है हालांकि राजनयिक और सेना स्तर की कई दौर की वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने विवाद वाले कई स्थानों से सैनिकों को वापस बुला लिया है पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद 5 मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध पैदा हो गया था क्षेत्र में एलएसी पर प्रत्येक पक्ष के वर्तमान में लगभग 50,000 से 60,000 सैनिक हैं बहरहाल, देखा जाये तो जून 2020 में गलवान घाटी में झड़प के बाद इंडियन आर्मी 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी पर हर स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है

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