अंतर्राष्ट्रीय

न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान जयशंकर ने कनाडा समर्थक देशों पर बोला बड़ा हमला,कहा…

न्यूयॉर्क में संयुक्त देश महासभा के दौरान हिंदुस्तान के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने खालिस्तानी आतंकवादियों को शरण देने वाले कनाडा समर्थक राष्ट्रों पर उनका नाम लिए बिना बड़ा धावा कहा है खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की मर्डर को लेकर हिंदुस्तान और कनाडा के बीच चल रहे भारी तनाव के मद्देनजर कनाडा के समर्थन में बोलने वाले राष्ट्रों को आइना दिखाते हुए एसजयशंकर ने कहाकि यह दुनिया अब भी ‘‘दोहरे मानकों’’ वाली है और जो राष्ट्र प्रभावशाली स्थिति में हैं, वे परिवर्तन के दबाव का प्रतिरोध कर रहे हैं और जो राष्ट्र ऐतिहासिक रूप से प्रभावशाली हैं, उन्होंने अपनी कई क्षमताओं का हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है

जयशंकर का इशारा हिंदुस्तान का दुनिया में लगातार बढ़ते कद को लेकर था उन्होंने संयुक्त देश में हिंदुस्तान के क्षेत्रीय मिशन, संयुक्त देश हिंदुस्तान और रिलायंस फाउंडेशन के योगदान से ‘ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन’ (ओआरएफ) द्वारा आयोजित ‘दक्षिण का उदय: साझेदारियां, संस्थाएं एवं विचार’ शीर्षक वाले मंत्रिस्तरीय सत्र में बोल रहे थे बता दें कि कनाडा द्वारा खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की मर्डर में हिंदुस्तान का हाथ होने का इल्जाम लगाया गया है कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रुडो के आरोपों पर अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड जैसे राष्ट्रों ने इल्जाम को गंभीर मानते हुए हिंदुस्तान को जांच में योगदान करने की बात कही है विदेश मंत्री ने इस मसले का जिक्र किए बिना अप्रत्यक्ष रूप से कनाडा के समर्थक राष्ट्रों पर धावा बोलते बोला कि जी-20 में हिंदुस्तान ने 125 राष्ट्रों से वार्ता की थी, यह बात दुनिया को अखर रही है प्रभावशाली राष्ट्रों को यह रास नहीं आ रहा दुनिया के कई राष्ट्र विभिन्न जगहों पर दोहरे मापदंड रखते हैं

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि परिवर्तन के लिए सियासी इच्छाशक्ति के बजाय सियासी दबाव है वह परिवर्तन नहीं देखना चाहते’’ एस जयशंकर ने बोला कि दुनिया में इस प्रकार की भावना बढ़ रही है और ‘ग्लोबल साउथ’ एक ढंग से इसे प्रतिबिंबित करता है, लेकिन इसका सियासी प्रतिरोध भी हो रहा है ‘ग्लोबल साउथ’ शब्द का इस्तेमाल उन विकासशील और अल्प विकसित राष्ट्रों के लिए किया जाता है, जो मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लातिन अमेरिका में स्थित हैं

प्रभावशाली राष्ट्र कर रहे परिवर्तन का विरोध

दुनिया में लगातार बढ़ते हिंदुस्तान के कद के मद्देनजर एस जयशंकर ने कहा, ‘‘जो (देश) प्रभावशाली स्थितियों में हैं, वे परिवर्तन का प्रतिरोध कर रहे हैं हम सबसे अधिक संयुक्त देश सुरक्षा परिषद में ऐसा देखते हैं’’ उन्होंने कहा, ‘‘जिनका आज आर्थिक प्रभुत्व है, वे अपनी उत्पादन क्षमताओं का फायदा उठा रहे हैं और जिनका संस्थागत या ऐतिहासिक असर है, वे भी अपनी कई क्षमताओं का वास्तव में हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं’’ जयशंकर ने कहा, ‘‘वे बातें तो मुनासिब कहेंगे, लेकिन आज भी वास्तविकता यही है कि यह बहुत हद तक दोहरे मानकों वाली दुनिया है’’ उन्होंने बोला कि स्वयं कोविड इसका एक उदाहरण है उन्होंने कहा, ‘‘इस संपूर्ण बदलाव में एक अर्थ में स्थिति यह है, जब ग्लोबल साउथ अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली पर अधिक से अधिक दबाव बना रहा है और ‘ग्लोबल नॉर्थ’ न सिर्फ़ ‘नॉर्थ’, बल्कि ऐसे कई राष्ट्र इस परिवर्तन को रोक रहे हैं, जो स्वयं को ‘नॉर्थ’ का हिस्सा नहीं मानते ’’ ‘ग्लोबल नॉर्थ’ शब्द का इस्तेमाल विकसित राष्ट्रों के लिए किया जाता है इनमें मुख्य रूप से उत्तरी अमेरिका और यूरोप, इजराइल, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं

भारत ने ग्लोबल साउथ का दुनिया को समझाया महत्व

ग्लोबल साउथ के अगुवा के रूप में हिंदुस्तान ने दुनिया को इसका महत्वप समझाया जयशंकर ने बोला कि सांस्कृतिक पुनर्संतुलन का असली अर्थ दुनिया की विविधता को पहचानना, विश्व की विविधता का सम्मान करना और अन्य संस्कृतियों एवं अन्य परंपराओं का सम्मान करना है उन्होंने इस महीने की आरंभ में दिल्ली में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन का जिक्र किया और मोटे अनाज का उदाहरण दिया उन्होंने बोला कि ‘ग्लोबल साउथ’ ऐतिहासिक रूप से गेहूं कम और मोटा अनाज अधिक खाता है जयशंकर ने कहा, ‘‘बाजार के नाम पर बहुत कुछ किया जाता है, जैसे आजादी के नाम पर बहुत कुछ किया जाता है’’ उन्होंने बोला कि अन्य लोगों की विरासत, परंपरा, संगीत, साहित्य और जीवन जीने के ढंग का सम्मान करना उस परिवर्तन का हिस्सा है, जिसे ‘ग्लोबल साउथ’ देखना चाहता है

इस कार्यक्रम को संयुक्त देश में हिंदुस्तान की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज, रिलायंस फाउंडेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जगन्नाथ कुमार, हिंदुस्तान में संयुक्त देश के ‘रेजिडेंट समन्वयक’ शोम्बी शार्प और ओआरएफ के अध्यक्ष समीर सरन ने भी संबोधित किया सरन ने जयशंकर की इस टिप्पणी का जिक्र किया कि ‘‘यूरोप की समस्याएं दुनिया की समस्याएं हैं, लेकिन दुनिया की समस्याएं यूरोप की समस्याएं नहीं हैं’’ उन्होंने बोला कि कुछ लोगों को लगता है कि यूरोप के लिए जयशंकर का रुख कठोर है इसके उत्तर में जयशंकर ने कहा, ‘‘नहीं निस्संदेह नहीं’’

भारत के बढ़ते कद को नहीं पचा पा रही दुनिया

जयशंकर ने दो टूक बोला कि हिंदुस्तान के बढ़ते कद को दुनिया पचा नहीं पा रही है उन्होंने बोला कि पूरी दुनिया जिन मुख्य समस्याओं से जूझ रही है, उनमें ऋण, एसडीजी (सतत विकास लक्ष्य) संसाधन, जलवायु बदलाव से निपटने संबंधी कार्रवाई से जुड़े संसाधन, डिजिटल पहुंच, पोषण और लैंगिक मुद्दे शामिल हैं जयशंकर ने बोला कि पीएम नरेन्द्र मोदी ने मुनासिब बोला कि ‘‘आइए, पहले उन लोगों से बात करें जो वार्ता की मेज पर नहीं होंगे, आइए जानें कि उन्हें क्या बोलना है’’ और इसलिए हिंदुस्तान ने ‘वॉइस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट-2023’ का आयोजन किया उन्होंने बोला कि शिखर सम्मेलन की मेजबानी ने हिंदुस्तान को ‘‘यह कहने के लिए प्रमाणिक और अनुभव पर आधारित आधार दिया’’ कि ‘‘हमने 125 राष्ट्रों से बात की है और ये बातें उन्हें वास्तव में परेशान कर रही हैं और यही कारण है कि हमें इन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है’’

 

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