भारत ने ऐसे आरोपों को ‘बेतुका’ और ‘प्रेरित’ बताते हुए किया खारिज
Canada News: कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रुडो दावारा सोमवार को खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की मर्डर में हिंदुस्तान गवर्नमेंट के शामिल होने का इल्जाम लगाने के बाद दोनों राष्ट्रों के संबंध बहुत तनावपूर्ण हो गए हैं। हिंदुस्तान ने मंगलवार को ऐसे आरोपों को ‘बेतुका’ और ‘प्रेरित’ बताते हुए खारिज कर दिया और इस मुद्दे में कनाडा द्वारा एक भारतीय अधिकारी को निष्कासित किए जाने के बदले में कनाडा के एक वरिष्ठ राजनयिक को निष्कासित कर दिया। इसके अतिरिक्त हिंदुस्तान ने कनाडाई नागरिकों के लिए वीजा सर्विस पर रोक लगा दी है।
इस सब के बीच एक प्रश्न अक्सर पूछा जा रहा है कि संख्या में काफी कम होने के बावजूद सिख समुदाय कनाडा की राजनीति में एक जरूरी किरदार अदा कैसे कर लेता है।
कनाडा में सिख आबादी
2021 की जनगणना के मुताबिक कनाडा की जनसंख्या 3.70 करोड़ है। इनमें से 16 लाख यानी करीब चार प्रतिशत भारतीय मूल के हैं। कनाडा में सिखों की संख्या लगभग 7,70,000 है। लेकिन पिछले 20 वर्षों में कनाडा में सिखों की जनसंख्या दोगुनी हो गई है। उनमें से अधिकतर उच्च शोध और नौकरियों के लिए पंजाब से पलायन कर गए हैं।
सिख कनाडा के समाज को कैसे प्रभावित करते हैं?
कनाडा में सिख सबसे तेजी से बढ़ते समूहों में से हैं। ईसाई, मुसलमान और हिंदू के बाद सिख राष्ट्र का चौथा सबसे बड़ा धार्मिक समूह है। उनकी जनसंख्या ओंटारियो, ब्रिटिश कोलंबिया और अल्बर्टा में केंद्रित है। साथ ही, कनाडा में अंग्रेजी और फ्रेंच के बाद पंजाबी तीसरी सबसे लोकप्रिय भाषा है। उन्होंने निर्माण क्षेत्र, परिवहन और बैंकिंग क्षेत्र में बहुत बड़ा सहयोग दिया है। कई सिख होटल और रेस्तरां श्रृंखला और गैस स्टेशन जैसे सफल व्यवसायों के मालिक हैं।
इसके अतिरिक्त 4.15 लाख सिखों के पास स्थायी निवास है और 1.19 लाख इसके बिना कनाडा में रह रहे हैं। 1980 तक कनाडा में सिर्फ़ 35,000 सिख पीआर के साथ रह रहे थे।
जस्टिन ट्रूडो 2015 में पहली बार प्रधान मंत्री बने, तो उन्होंने सिख समुदाय से चार मंत्रियों को चुना। यह संघीय स्तर पर समुदाय का उच्चतम अगुवाई था।
कनाडा में सिखों ने कैसे प्रमुख जगह प्राप्त कर लिया है?
विशेषज्ञों का बोलना है कि गुरुद्वारों के माध्यम से उनकी नेटवर्किंग कनाडा में समुदाय की भारी कामयाबी का एक प्रमुख कारण है। वे सिख फंड के रूप में आर्थिक सहायता भी एकत्र करते हैं और इस धन का एक बड़ा हिस्सा चुनाव अभियानों के वित्तपोषण में खर्च किया जाता है।
कनाडा के 388 सांसदों में से 18 सिख हैं। इनमें से आठ सीटों पर पूरी तरह से सिखों का नियंत्रण है और 15 अन्य सीटों पर वे जरूरी किरदार निभाते हैं। यही वजह है कि कोई भी सियासी दल इस समुदाय को नाराज नहीं करना चाहता।
ट्रुडो के लिए सिख इतने महत्वपूर्ण क्यों?
जस्टिन ट्रूडो 2014 में 44 वर्ष की उम्र में पहली बार कनाडा के पीएम बने। हालांकि वर्ष 2019 में वो चुनाव जीत तो गए लेकिन उनकी लोकप्रयिता में काफी कमी आ चुकी थी। ट्रूडो की लिबरल पार्टी की 20 सीटें कम हो गईं। लेकिन इसी चुनाव में जगमीत सिंह के नेतृत्व वाली न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी को 24 सीटें मिली थीं जिसकी सहायता से ट्रुडो गवर्नमेंट बना सके।