अंतर्राष्ट्रीय

 गाजा पर दुनिया का पहला AI हमला करने जा रही है इजरायली सेना

इजरायली सेना गाजा पर दुनिया का पहला आर्टीफीशियल इंटेलीजेंस (AI) धावा करने जा रही है इजरायली सेना पहली बार एआइ हमले से एक साथ 100 ठिकानों को तबाह करेगी पिछले 7 अक्टूबर से ही इजरायल और हमास में भयंकर जंग चल रही है इजरायली सेना के हमले में अब तक गाजा में 17 हजार 700 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं जबकि कई हजार लोग घायल हुए हैं इस बीच इजरायल ने दुनिया का पहला एआइ आधारित हमले का प्लान तैयार करके पूरे विश्व में हड़कंप मचा दी है दुनिया का पहला एआइ धावा कितना खतरनाक होगा, यह सोचकर ही लोगों के रोंगटे खड़े हो जा रहे हैं

अभी पिछले सप्ताह ही खबरें आईं  हैं कि इजरायली रक्षा बल (आईडीएफ) गाजा में हमास के विरुद्ध जारी युद्ध में ‘हबसोरा’ नामक कृत्रिम मेधा (एआई) प्रणाली का इस्तेमाल कर रहे हैं इस प्रणाली का इस्तेमाल बमबारी के लिए और निशाने चुनने, हमास के चरमपंथियों के ठिकानों का पता लगाने और पहले से ही मृतकों की संभावित संख्या का अनुमान लगाने के लिए कथित तौर पर किया गया है इस तरह की एआई प्रणालियों का संघर्ष में इस्तेमाल करने का क्या अर्थ है? इन प्रणालियों के सेना इस्तेमाल के सामाजिक, सियासी और नैतिक निहितार्थों पर मेरा अध्ययन दिखाता है कि एआई पहले से ही युद्ध के चरित्र को बदल रहा है सेनाएं अपने सैनिकों का असर बढ़ाने और उनके जीवन की रक्षा के लिए इन प्रणालियों का इस्तेमाल करती हैं एआई प्रणाली सैनिकों को अधिक कुशल बना सकती है और इससे युद्ध की गति और घातकता के बढ़ने की संभावना होती है

एआई का युद्ध के सभी स्तरों पर असर पड़ रहा है, “खुफिया, नज़र और टोही” गतिविधियों से लेकर “घातक हथियार प्रणालियों” के लिए इसका इस्तेमाल हो रहा है, जिसके जरिए मानव हस्तक्षेप के बिना निशाना बनाकर धावा किया जा सकता है आइडीएफ की हबसोरा प्रणाली भी इसी तरह काम करती है इन प्रणालियों में युद्ध के चरित्र को नया रूप देने की क्षमता है, जिससे संघर्ष में प्रवेश करना सरल हो जाता है ये प्रणालियां संघर्ष बढ़ने की सूरत में किसी के इरादों का संकेत देने या किसी प्रतिद्वंद्वी के इरादों की व्याख्या करने को भी मुश्किल बना सकती हैं

एआइ कर सकता है ये घातक काम

एआइ प्रणाली युद्ध के समय घातक गलतफहमी पैदा करने या दुष्प्रचार में सहयोग दे सकता है यह प्रणाली मशीनों के सुझावों पर भरोसा करने की मानवीय प्रवृत्ति को बढ़ा सकती है यह बात हबसोरा प्रणाली से सामने आई है किसी एआई सिस्टम की सीमाएं साफ नहीं हो सकतीं एआई द्वारा संचालित सबसे बुनियादी और जरूरी परिवर्तनों में से एक बदलाव जो हमें देखने को मिल सकता है, वह है युद्ध की तीव्रता में वृद्धि एआई का इस्तेमाल इस आधार पर संभावित रूप से मुनासिब है कि यह बड़ी मात्रा में डेटा की व्याख्या और संश्लेषण कर सकता है, इसे संसाधित कर सकता है और मानव अनुभूति से कहीं अधिक रेट पर जानकारी दे सकता है आईडीएफ के एक पूर्व प्रमुख ने बोला है कि मानव खुफिया विश्लेषक के जरिए हर वर्ष गाजा में बमबारी के लिए 50 स्थानों को निशाना बनाया जा सकता है, लेकिन हबसोरा प्रणाली एक दिन में 100 लक्ष्य तैयार कर सकती है

मशीन लर्निंग एल्गोरिदम डेटा पर आधारित

प्रणाली मशीन लर्निंग एल्गोरिदम द्वारा प्रस्तुत संभावित तर्क के माध्यम से ऐसा करती है मशीन लर्निंग एल्गोरिदम डेटा के माध्यम से सीखते हैं वे डेटा के विशाल ढेर में पैटर्न खोजकर सीखते हैं और उनकी कामयाबी डेटा की गुणवत्ता और मात्रा पर निर्भर होती है वे संभावनाओं के आधार पर सिफारिशें करते हैं लिहाजा ये एआई प्रणालियां युद्ध के मैदान में अधिक सुविधाजनक ढंग से सेनाओं की सहायता करती हैं इससे सैनिकों के लिए जोखिम कम हो जाता है लेकिन एआई से मिली किसी जानकारी के गलत होने पर इसके उल्टा रिज़ल्ट भी हो सकते हैं लिहाजा इन्हें इस्तेमाल करने के लिए अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है (द कन्वरसेशन)

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