अंतर्राष्ट्रीय

G20 में शामिल होने भारत आए जो बाइडेन को कोर्ट से झटका

भारत में चल रहे जी-20 सम्मेलन में शामिल होने आए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को न्यायालय से तगड़ा झटका लगा है न्यायालय ने बोला है कि ह्वाइट हाउस और एफबीआइ सोशल मीडिया मंचों को उन पोस्ट को हटाने के लिए विवश नहीं कर सकते, जो उन्हें पसंद नहीं हैं अमेरिका के न्यू ऑरलियन्स में एक संघीय न्यायालय ने शुक्रवार को निचली न्यायालय के उस आदेश को वापस ले लिया, जिसमें Covid-19 और अन्य मुद्दों के बारे में विवादास्पद सामग्री को लेकर सोशल मीडिया कंपनियों के साथ बाइडन प्रशासन के संचार पर रोक लगा दी गई थी

न्यू ऑरलियन्स में पांचवें अमेरिकी सर्किट न्यायालय ऑफ अपील्स ने शुक्रवार को बोला कि व्हाइट हाउस, सर्जन जनरल, बीमारी नियंत्रण केंद्र और एफबीआई सोशल मीडिया मंचों को उन पोस्ट को हटाने के लिए “मजबूर” नहीं कर सकते हैं, जो गवर्नमेंट को पसंद नहीं हैं संघीय न्यायालय ने लुसियाना स्थित न्यायाधीश द्वारा चार जुलाई को जारी किये गये एक आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें कई सरकारी एजेंसियों को इस तरह की सामग्री हटाने का आग्रह करने के लिये फेसबुक और एक्स (पूर्व में ट्विटर) जैसे सोशल मीडिया मंचों से संपर्क करने पर रोक लगा दी गई थी

सोशल मीडिया मंचों को विवश करने के विरुद्ध दाखिल की गई थी याचिका

अदालत का यह निर्णय पूर्वोत्तर लुसियाना में दाखिल एक मुकदमे के बाद आया है, जिसमें प्रशासनिक ऑफिसरों पर संघीय कानून में परिवर्तन के खतरे के अनुसार सोशल मीडिया सामग्री को हटाने के लिये सोशल मीडिया मंचों को विवश करने का इल्जाम लगाया गया था न्यायालय में दाखिल मुकदमे में Covid-19 टीके, राष्ट्रपति जो बाइडन के बेटे हंटर के लैपटॉप की एफबीआई द्वारा जांच किये जाने और चुनावी गड़बड़ी जैसे इल्जाम भी शामिल थे इसमें राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन पर रूढ़िवादी विचार को दबाने के लिए नियामक द्वारा धमकी देने का इल्जाम लगाया गया था मिसौरी और लुसियाना राज्यों ने एक रूढ़िवादी वेबसाइट के मालिक और प्रशासन की Covid-19 नीति का विरोध करने वाले चार अन्य लोगों के साथ केस दाखिल किया था लुसियाना के अटॉर्नी जनरल जेफ लैंड्री ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में न्यायालय के निर्णय को “सेंसरशिप के विरुद्ध एक बड़ी जीत” बताया

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