आसियान नेताओं के साथ बाइडन की बैठक

राष्ट्रपति जो बाइडन की पहल पर अमेरिका और एसोसिएशन ऑफ साउथ-ईस्ट एशियन नेशन्स (आसियान) राष्ट्रों के नेताओं की दो दिन की शिखर बैठक प्रारम्भ हो गई है. ये पहला मौका है, जब ह्वाइट हाउस में आसियान नेताओं को एक साथ बुलाया गया है. इसे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन के विरूद्ध राष्ट्रों को लामबंद करने की बाइडन प्रशासन के एक जरूरी कोशिश के रूप में देखा जा रहा है
अमेरिकी कूटनीति जानकारों ने बोला है कि दक्षिण पूर्व एशिया दुनिया में सबसे तेजी से उभर रहा आर्थिक क्षेत्र है. साथ ही यह क्षेत्र अमेरिका और चीन के बीच बढ़ रही होड़ का केंद्र है. आसियान के कई सदस्य राष्ट्रों के चीन के साथ विवाद भरे संबंध भी हैं. उसे देखते हुए आसियान को लामबंद करना एक खास रणनीति का हिस्सा है. आसियान में दस राष्ट्र शामिल हैं.
गुरुवार को शिखर सम्मेलन की आरंभ के मौके पर अमेरिका ने उस क्षेत्र के लिए 15 करोड़ $ की एक विशेष पहल की घोषणा की. ये रकम स्वच्छ ऊर्जा, समुद्री सुरक्षा और डिजिटल विकास पर खर्च की जाएगी. इसके अतिरिक्त अमेरिका ने इस क्षेत्र के लिए एक क्षेत्रीय व्यापार फ्रेमवर्क भी तैयार किया है, जिसकी घोषणा जल्द ही की जाएगी. इस फ्रेमवर्क के अनुसार श्रम व्यवहार और डिजिटल ट्रेड के मानदंड तय किए जाएंगे.
कूटनीति जानकार जेम्स क्रैबट्री ने बोला है कि अमेरिका ऐसी आर्थिक योजना तैयार की है, जिससे आसियान राष्ट्रों को फायदा होगा, जबकि उन्हें उसके लिए कोई कीमत नहीं चुकानी होगी. लेकिन अभी भी अमेरिका ऐसे व्यापार समझौते के लिए तैयार नहीं है, जिससे आसियान राष्ट्रों की अमेरिकी बाजार में पहुंच आसान हो जाए.
इसलिए बाइडन की ताजा पहल कितनी कारगर होगी, उसको लेकर भिन्न-भिन्न राय जताई गई है. चीन ने आसियान के साथ मुक्त व्यापार समझौता कर रखा है. 2009 में वह अमेरिका को पीछे छोड़ता हुआ आसियान का सबसे बड़ा व्यापार सहभागी बन गया. चीन ने इस क्षेत्र में इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास पर अरबों $ खर्च करने का वादा भी किया है. इसलिए इन राष्ट्रों को चीन के विरूद्ध लामबंद करना एक मुश्किल चुनौती है.
अमेरिकी थिंक टैंक काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स की विश्लेषक जोशुआ कुर्लनांत्जिक ने वेबसाइट एक्सियोस।कॉम से कहा, बीते एक वर्ष में इस क्षेत्र में चीन की अलोकप्रियता बढ़ी है. इसका प्रमुख कारण उसकी जोरो कोविड नीति है. इसके बावजूद इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि वॉशिंगटन में चल रही चर्चाओं पर चीन का साया पड़ा हुआ है.
विश्लेषकों ने ध्यान दिलाया है कि व्यापार में चीन भले आगे निकल गया हो, लेकिन आज भी सुरक्षा संबंधों के मुद्दे में अमेरिका आसियान राष्ट्रों का प्रमुख सहभागी है. इसके बावजूद यूक्रेन संकट पर अमेरिका इस क्षेत्र में अधिक समर्थन नहीं जुटा पाया. आसियान के सदस्य केवल एक देश- सिंगापुर ने रूस पर प्रतिबंध लगाए. बाकी राष्ट्रों ने रूस के विरूद्ध साफ रुख लेने से इनकार कर दिया. अब पर्यवेक्षकों की नजर इस पर है कि जो बाइडन के साथ शिखर बैठक के बाद क्या रूस के मुद्दे में इस क्षेत्र के नेताओं की राय में कोई परिवर्तन आएगा.