अंतर्राष्ट्रीय

हमले के बाद इजरायल के कई नागरिकों का जीवन अस्त व्यस्त

हमास के हमले के बाद इजरायल के कई नागरिकों का जीवन अस्त व्यस्त हो गया अब बोला जाने लगा है कि इजरायल की मौजूदा स्थिति का सबसे अधिक असर सेना की साख पर पड़ा है दरअसल, ऐसा माना जाता है कि इजरायल दुनिया के सामने अपनी सेना शक्ति पर गर्व करती नजर आती है हालांकि, शनिवार को उस समय जनता का भरोसा सेना से उठ गया, जब हमास के आतंकवादी उनके राष्ट्र में घुसे और सैकड़ों को समाप्त कर दिया

जवाब तक नहीं दिया
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इन हमलों और इजरायली सेना की प्रतिक्रिया ने जनता के मन में न केवल डर पैदा किया, बल्कि एक त्याग देने की भावना तक ला दी इनमें एक मायन जिन का नाम भी है उनकी दो बेटियों का किडनैपिंग कर लिया गया है उन्हें इसकी जानकारी तब लगी जब एक सम्बन्धी ने टेलीग्राम ग्रुप से कुछ फोटोज़ भेजी

एपी न्यूज से वार्ता में जिन ने कहा उन्हें इजरायली ऑफिसरों से खास सहायता नहीं मिल रही है उन्होंने कहा, ‘कोई जानकारी नहीं है किसी ने भी मुझसे कल से कोई बात नहीं की न ही सेना ने, न गवर्नमेंट ने और न ही पुलिस ने कोई बात की है’ उन्हें औनलाइन भी कुछ वीडियो मिले, जहां उनके पूर्व पति को गाजा ले जाया जा रहा था

ऐसी ही कहानी जोनाथन सिल्वर के परिवार की है रिपोर्ट के मुताबिक, वे ऑफिसरों से भी सहायता मांगने पहुंचे उन्होंने कहा कि परिवार के कम से कम तीन सदस्य गाजा में बंधक हैं सिल्वर ने कहा कि उन्हें परिवार से जुड़ी कोई जानकारी नहीं मिल सकी है उन्होंने कहा, ‘हमने होमलैंड कमांड, पुलिस, दोस्तों, परिचितों, किब्बूट्ज में लोगों से सभी से बात करने की प्रयास की, लेकिन वहां कोई भी नहीं था

एक और बात से दंग जनता
इजरायल की जनता केवल हमले से ही परेशान नहीं है, बल्कि वे सेना की प्रतिक्रिया पर भी दुख जता रहे हैं बोला जा रहा है कि हमले के विरुद्ध कार्रवाई करने में ही सेना को काफी समय लग गया दक्षिणी इजरायल में कई लोग परेशानियों से घिरे रहे और उनकी अपीलों को सुनने वाला भी कोई नहीं था

आतंकियों की गोलियों से छलनी हुईं घरों की दीवारों से उन्होंने सोशल मीडिया, पत्रकारों और दोस्तों का रुख किया हजारों परिवारों को इस बात की जानकारी नहीं है कि उनके परिजन कहां हैं? वे जीवित भी हैं या नहीं? क्या उन्हें गाजा ले जाया गया है? लगातार बढ़ती अत्याचार के बीच उनके पास जानकारी के लिए कोई रास्ता नहीं था

हालांकि, बाद में जानकारी केंद्र स्थापित किए गए थे, लेकिन बोला जा रहा है कि यहां भी जानकारी देने के बजाए जानकारी मांगने पर अधिक ध्यान लगाया जा रहा था

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