अंतर्राष्ट्रीय

PM मोदी : संकट की घड़ी में इजरायल के साथ खड़ा है भारत

Indian Diplomacy on Israel-Hamas War: 7 अक्टूबर को जब इजरायल पर हमास का आतंकवादी धावा हुआ तो पीएम मोदी ने ट्वीट कर बोला कि संकट की घड़ी में हिंदुस्तान इजरायल के साथ खड़ा है तब हिंदुस्तान से लेकर बाहरी दुनिया तक इस पर हाय तौबा मची कि मोदी के शासनकाल में हिंदुस्तान की विदेश नीति बदल गई है और फिलिस्तीन को समर्थन देने की गांधी-नेहरू और अटल-आडवाणी की परंपरा को बदल दिया गया है

हालांकि, जब पिछले दिनों संयुक्त देश में हिंदुस्तान ने इजराइल-हमास में जारी संघर्ष में बड़े पैमाने पर आम नागरिकों की मृत्यु और सुरक्षा की खराब होती स्थिति पर गंभीर चिंता जताते हुए सभी पक्षों से शांति के लिए जरूरी परिस्थितियां बनाने और तनाव कम कर सीधी वार्ता फिर से प्रारम्भ करने की दिशा में काम करने का आग्रह किया और दो देश के सिद्धांत की वकालत की तो सभी को यह अहसास हो गया कि यह हिंदुस्तान की कूटनीति है, जो युद्धनीति पर भारी है

आतंकवाद के विरुद्ध रुख
दरअसल, हिंदुस्तान हमेशा से आतंकवाद के सभी रूपों का विरोध करता रहा है हिंदुस्तान शांतिपूर्ण वार्ता और इन्सानियत का पक्षधर रहा है वह अभी भी यही चाहता है कि इजरायल और फिलिस्तीन शांति तरीकों के लिए आपस में वार्ता करें और गाजा पट्टी में बेगुनाह फिलिस्तीनियों का खून न बहे हिंदुस्तान टू नेशन थ्योरी की वकालत में दोनों राष्ट्रों की संप्रभुता का भी पक्षधर है इसीलिए हिंदुस्तान ने अपनी विदेश नीति में कौटिल्य की साम, दाम, दंड, भेद की नीति को समाहित कर रखा है

कौटिल्य की नीति पर हिंदुस्तान की कूटनीति
भारत ने इसी कौटिल्य नीति के अनुसार दोनों पक्षों को समझाने (साम), गाजा पट्टी में पीड़ित इन्सानियत के लिए राहत सामग्री भेजने (दाम), हमास के आतंकवादी मंसूबों पर पानी फेरने और उसके हमलों के विरुद्ध इजरायली सेना की कार्रवाई का समर्थन करने (दंड) और धार्मिक उन्माद फैलाने वालों के बीच शांति का पैगाम देकर फूट पैदा करने (भेद) की नीति पर अपना कदम बढ़ाया है

प्रधानमंत्री मोदी ने हमेशा से इस नीति पर अपना स्टैंड साफ रखा है वह मानवीय संकट के दौर में अफगानिस्तान से लेकर तुर्की और हाल में गाजा पट्टी तक सहायता पहुंचने में पीछे नहीं रहे हैं कोविड काल में भी मोदी ने कई पिछड़े मुसलमान देशों को इसी सिद्धांत के अनुसार सहायता पहुंचाई थी पूरी दुनिया प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की इस नीति की प्रशंसक है और यही वजह है कि यूक्रेन युद्ध से लेकर इजरायल-हमास युद्ध तक पूरे विश्व के कई राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय नेता हिंदुस्तान की ओर इस टकटकी से देख रहे हैं कि वह युद्ध की आग को शांत करा सकते हैं

UN में हिंदुस्तान की दो टूक
संयुक्त देश में हिंदुस्तान के स्थायी उपप्रतिनिधि आर रवींद्र ने मंगलवार को पश्चिम एशिया की स्थिति पर सुरक्षा परिषद की बैठक में जो बातें कहीं, वह तीन प्रमुख बातों का इशारा करती हैं- पहला इजरायल पर हुआ अटैक आतंकवादी धावा था दूसरा, गाजा में हो रही मृत्यु इन्सानियत के लिए बड़ा संकट है उस पर हिंदुस्तान दुख जताते हुए वहां सहायता भेजता रहेगा और तीसरा, हिंदुस्तान दो देश के सिद्धान्त को मानता है और मानता रहेगा और इसके साथ ही दोनों पक्षों से शांति स्थापना की दिशा में आपसी वार्ता करने की अपील करता है

फिलिस्तीन को मानवीय मदद
बता दें कि हिंदुस्तान ने अब तक गाजा पट्टी में फिलिस्तीन के आम लोगों के लिए मानवीय सहायता के रूप में 20 ट्रकों में 38 टन भोजन, 32 टन राहत सामग्री, जिसमें कंबल, टेंट और तिरपाल, स्लीपिंग बैग्स, पानी साफ करने की दवाइयां और रोजमर्रे के महत्वपूर्ण सामान हैं और 6 टन दवाइयां और मेडिकल सहायता भेजे हैं भारतीय वायुसेना का सी-17 विमान राहत सामग्र लेकर मिस्र पहुंचा, जहां से फिर ट्रकों से इसे गाजा पट्टी पहुंचाया गया है हिंदुस्तान ने बोला है कि वह आगे भी इस तरह की मानवीय सहायता करता रहेगा

मोदी ने निभाया राजधर्म
एक तरफ इजरायल को आतंक के विरुद्ध लड़ाई में समर्थन और दूसरी तरफ मानवीय संकट की हालात में फिलिस्तीन को राहत सामग्री भेजने और उसकी संप्रभुता की हिमायत करने की मोदी गवर्नमेंट की कूटनीति ने अब राष्ट्र के अंदर वैसे मुस्लिमों को भी खुश कर दिया है जो इजरायल का समर्थन करने से नाराज दिख रहे थे इण्डिया टीवी से बात करते हुए रज़ा एकैडमी के मौलाना मोहम्मद खलील उल रहमान ने प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की कोशिशों की प्रशंसा की है और बोला है कि फिलिस्तीन की सहायता करना ही राजधर्म है उन्होंने बोला कि मजलूमों की सहायता कर पीएम ने नेक कदम उठाया है उन्होंने बोला कि जिस हिसाब से वहां बर्बादी हुई है, उस हिसाब से 38 टन राहत सामग्री कम है लेकिन उन्हें आशा है कि पीएम आगे भी ऐसी सहायता भेजते रहेंगे

बता दें कि पिछले महीने नयी दिल्ली में जी-20 सम्मेलन के समाप्ति पर दिल्ली घोषणा पत्र में भी आतंकवाद की कड़े शब्दों में आलोचना की गई थी इसमें अमेरिका से लेकर ब्रिटेन, फ्रांस समेत कई राष्ट्रों ने एकसुर में हिंदुस्तान के साथ सुर मिलाया था सऊदी अरब ने हिंदुस्तान के कदम की सराहना की थी औरयही वजह है कि उसने अब तक हमास के आतंकवादी हमलों को अपना समर्थन नहीं दिया है बता दें कि 20 दिनों से जारी इस जंग में गाजा में अब तक 7200 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं 7 अक्टूबर के हमले में इजरायल में भी 1400 लोगों की जानें गई थीं

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