अंतर्राष्ट्रीय

आपातकालीन विशेष सत्र में मिस्र द्वारा पेश प्रस्ताव को अभूतपूर्व समर्थन से किया गया पारित

वाशिंगटन: हिंदुस्तान ने संयुक्त देश महासभा में पेश किए गए उस मसौदा प्रस्ताव के समर्थन में मतदान किया जिसमें इजराइल-हमास के बीच जारी युद्ध को मानवीय सहायता की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए रोकने और सभी बंधकों की बिना शर्त रिहाई की मांग की गई है.

महासभा के इमरजेंसी विशेष सत्र में मिस्र द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव को मंगलवार को अभूतपूर्व समर्थन से पारित किया गया. अंतरराष्ट्रीय निकाय के 193 सदस्यों में से 153 सदस्यों ने प्रस्ताव के समर्थन में और 10 सदस्य राष्ट्रों ने इसके विरोध में मतदान किया जबकि 23 अन्य सदस्य अनुपस्थित रहे. अल्जीरिया, बहरीन, इराक, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और फलस्तीन भी इस प्रस्ताव के प्रायोजकों में शामिल रहे.

इस प्रस्ताव में गाजा में मानवीय सहायता की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए तुरन्त युद्ध विराम की मांग की गई. इस प्रस्ताव में यह मांग दोहराई गई कि सभी पक्ष ‘‘विशेष रूप से नागरिकों की सुरक्षा के संबंध में” अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार अपने दायित्वों का पालन करें. प्रस्ताव में ‘‘सभी बंधकों की तुरन्त और बिना शर्त रिहाई के साथ-साथ मानवीय सहायता की आपूर्ति सुनिश्चित करने” की भी मांग की गई.

प्रस्ताव में हमास का नाम नहीं लिया गया और अमेरिका ने मसौदा प्रस्ताव में संशोधन का प्रस्ताव पेश किया. उसने मुख्य पाठ में यह पैरा शामिल किए जाने का निवेदन किया कि ‘‘सात अक्टूबर 2023 से इजराइल में हुए हमास के जघन्य आतंकी हमलों और लोगों को बंधक बनाए जाने की साफ रूप से आलोचना की जाती है और इन्हें खारिज किया जाता है.

भारत ने इस संशोधन के पक्ष में मतदान किया था. इससे पहले महासभा में 27 अक्टूबर को पेश प्रस्ताव में ‘‘मानवीय आधार पर तुरन्त युद्ध विराम” और गाजा पट्टी में बिना रुकावट मानवीय पहुंच का आह्वान किया गया था. उस समय प्रस्ताव के समर्थन में 120 और विरोध में 14 मत पड़े थे तथा 45 राष्ट्र अनुपस्थित रहे थे. हिंदुस्तान उस समय मतदान से दूर रहा था.

अमेरिका ने गाजा में मानवीय आधार पर तुरन्त युद्ध विराम की मांग कर रहे संयुक्त देश सुरक्षा परिषद के लगभग सभी सदस्यों और कई अन्य राष्ट्रों द्वारा समर्थित प्रस्ताव के विरुद्ध विश्व निकाय में शुक्रवार को वीटो का इस्तेमाल किया था. संयुक्त देश की 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव के पक्ष में 13 वोट पड़े थे और एक मत विरोध में पड़ा था. ब्रिटेन मतदान से दूर रहा. (एजेंसी)

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