अंतर्राष्ट्रीय

भारत की समुद्री क्षमताओं से हमेशा दुनिया को फायदा हुआ: PM Modi

India-Middle East Europe Economic Corridor: प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी अपने ड्रीम प्रोजेक्ट यानी इण्डिया मिडिल ईस्ट इकोनॉमिक कॉरिडोर को लेकर बहुत उत्साहित हैं उधर हमास के इजरायल पर हुए हमले से मिडिल ईस्ट में पैदा हुए हालातों को लेकर ये दावा किया जा रहा है कि इजरायल पर हमास के हमले के पीछे ईरान का हाथ है मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जो अटकलें लगाई जा रही हैं उनमें बोला जा रहा है कि ईरान (Iran) ने हिंदुस्तान मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEC) को हानि पहुंचाने और इजरायल की सऊदी अरब की दोस्ती को रुकवाने के लिए इस हमले को अंजाम दिलाया है ऐसे में एक बार फिर से इस गलियारे की बल शोर से चर्चा हो रही है

पीएम मोदी ने मंगलवार को ग्लोबल मैरीटाइम इण्डिया समिट 2023 के तीसरे संस्करण को संबोधित करते हुए एक बार फिर अपने ड्रीम प्रोजेक्ट पर विस्तार से अपनी बात रखी है इस दौरान प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, ‘आज एक नयी विश्व प्रबंध आकार ले रही है बदलती विश्व प्रबंध में दुनिया नयी उम्मीदों के साथ हिंदुस्तान की ओर देख रही है आर्थिक संकट से जूझ रही दुनिया में भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत हो रही है वो दिन दूर नहीं जब हिंदुस्तान दुनिया की शीर्ष 3 अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन जाएगा दुनिया में एक विश्वसनीय अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति श्रृंखला की आवश्यकता है, जिसमें हिंदुस्तान अहम किरदार निभाएगा

इंडिया मिडिल ईस्ट इकोनॉमिक कॉरिडोर का रूट

दिल्ली में हुई G-20 बैठक के दौरान भारत, यूरोप और मिडिल ईस्ट कॉरिडोर की घोषणा हुई थी ये कॉरिडोर हिंदुस्तान से चलकर यूएई (UAE), सऊदी अरब (Saudi Arabia) और जॉर्डन (Jordon) से होते हुए, इजरायल के जरिए यूरोप तक जाना तय हुआ था इसके साथ ही बहुत जल्द सऊदी अरब और इजरायल के बीच एक औपचारिक समझौता भी होना था, जिसके तहत, इस्लामिक जगत में सबसे बड़ी अहमियत रखने वाला सऊदी अरब भी इजरायल को अपनी मान्यता दे देता अब इजरायल पर हमास के इस हमले से अबतक हुए विचार-विमर्श और मंथन को कितना हानि पहुंचा है, इसका उत्तर अभी किसी के पास नहीं है लेकिन अब आपको इसके उस रूट के बारे में बताते हैं, जहां जंग के बीच भविष्य में क्या होगा, कोई नहीं जानता?

कॉरिडोर के रूट को समझिए जिसके इर्द-गिर्द जंग जारी

भारत मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक गलियारा एक व्यापार मार्ग है, जो संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, जॉर्डन और इजरायल के माध्यम से हिंदुस्तान को यूरोप से जोड़ने की योजना है इस कॉरिडोर में रेल नेटवर्क के साथ समुद्री रूट यानी शिपिंग नेटवर्क भी शामिल है हिंदुस्तान के मुंबई से लेकर संयुक्त अरब अमीरात तक समुद्री रास्ता होगा उसके बाद पूरे मिडिल ईस्ट के राष्ट्रों में रेल नेटवर्क बनेगा ये रेल नेटवर्क संयुक्त अरब अमीरात से लेकर सऊदी अरब, जॉर्डन और इजरायल तक होगा इसके बाद फिर समुद्री रास्ता होगा इसके दो रास्ते होंगे पहला रास्ता इजरायल के बंदरगाह से इटली तक जाएगा दूसरा रास्ता इजरायल से फ्रांस तक जाएगा ये गलियारा 6000 Km लंबा है जिसमें 3500 Km का समुद्री रूट होगा

करीब 6000 किलोमीटर के इस गलियारे के बारे में बोला जा सकता है कि ये कॉरिडोर 21वीं सदी में सिकंदर के ग्रीस को पोरस के हिंदुस्तान से जोड़ता है हालांकि ये दो प्रमुख भूमध्यसागरीय शक्तियों ग्रीस और तुर्किये के बीच तनाव भी पैदा कर रहा है इस गलियारे में हिंदुस्तान के मुंबई (महाराष्ट्र) और मुंद्रा (गुजरात) पोर्ट को यूएई से जोड़ने वाला शिपिंग मार्ग है आगे भूमध्य सागर के तटों तक पहुंचने के लिए यूएई, सऊदी अरब और जॉर्डन को इजरायली बंदरगाह हाइफा से जोड़ने वाला एक रेल नेटवर्क होगा इसके बाद इजरायल के हाइफ़ा को समुद्र के रास्ते ग्रीस के पीरियस बंदरगाह से जोड़ा जाएगा और इस तरह अंततः ये यूरोप से जुड़ जाएगा

इस कॉरिडोर के बन जाने के बाद हिंदुस्तान से यूरोप तक सामान पहुंचाने में 40% समय की बचत होगी अभी हिंदुस्तान से समुद्री रास्ते से यूरोप के जर्मनी तक कंसाइनमेंट पहुंचने में करीब 36 दिन का समय लगता है लेकिन प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट कॉरिडोर बनने के बाद 2 सप्ताह में सामान पहुंच जाएगा अभी जो कंटनेर सामान लेकर मुंबई से निकलते हैं, वो स्वेज नहर के रास्ते यूरोप पहुंचते हैं कॉरिडोर बनने के बाद ये कंटेनर दुबई से इजरायल के हाइफा पोर्ट तक ट्रेन से जा सकते हैं इससे हिंदुस्तान और पूरे विश्व के कारोबारियों का समय और पैसा, दोनों बचेगा

इजरायल और आसपास तनाव है…

इजरायल और इर्द-गिर्द का क्षेत्र कई दशकों से रक्त चरित्र का गवाह रहा है 14 मई 1948 को यहूदियों ने अपने हिस्से को एक अलग राष्ट्र घोषित कर दिया, जिसका नाम इजराइल रखा गया इस निर्णय से अरब जगत के राष्ट्र नाखुश थे लिहाजा युद्ध में लाखों फिलिस्तीनी बेघर हो गए 1948 के युद्ध में फिलिस्‍तीन का काफी बड़ा हिस्‍सा इजरायल के कब्‍जे में था 1949 में एक आर्मीस्‍टाइस लाइन खींची गई, जिसमें फिलिस्‍तीन के 2 क्षेत्र बने- वेस्‍ट बैंक और गाजा इसी गाजा को गाजा पट्टी बोला जाता है जहां करीब 20 लाख फिलिस्तीनी रहते हैं येरुशलम विवादित क्षेत्रों के केंद्र में है, जिसे लेकर इजरायल और अरब जगत के राष्ट्रों में ठनी है इस क्षेत्र में दूसरा बड़ा संघर्ष जीवन यापन का है ऐसे में हिंदुस्तान के इस गलियारे के रूट के इर्द-गिर्द के राष्ट्रों में भी शांति और स्थायित्व की आवश्यकता है

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