टिकटॉक स्टार कहलाने वाली 85 वर्षीय तोवा फाइडमेन का परिवार रहता अब न्यू जर्सी के मॉरिसटाउन में...

टिकटॉक स्टार कहलाने वाली 85 वर्षीय तोवा फाइडमेन का परिवार अब न्यू जर्सी के मॉरिसटाउन में रहता है. उनका पोता वहीं उनके वीडियो रिकॉर्ड कर टिकटॉक पर डालता है जिसमें तोवा ‘ऑश्चवित्ज डेथ कैंप’ में बिताए गए दिनों के बारे में और उसके बाद के अपने अनुभवों के बारे में बताती हैं.
मॉरिसटाउन. साल 1944 में छह बरस की उम्र में नाजियों के कब्जे वाले पोलैंड स्थित ‘ऑश्चवित्ज डेथ कैंप’ में रहीं तोवा फ्राइडमेन अब अपने 17 वर्षीय पोते की सहायता से टिकटॉक पर ‘होलोकॉस्ट’ की खौफ़नाक दास्तां बयां कर रही हैं और करीब साढ़े सात करोड़ लोग इन वीडियो को देख चुके हैं.
टिकटॉक स्टार कहलाने वाली 85 वर्षीय तोवा फाइडमेन का परिवार अब न्यू जर्सी के मॉरिसटाउन में रहता है. उनका पोता वहीं उनके वीडियो रिकॉर्ड कर टिकटॉक पर डालता है जिसमें तोवा ‘ऑश्चवित्ज डेथ कैंप’ में बिताए गए दिनों के बारे में और उसके बाद के अपने अनुभवों के बारे में बताती हैं.
तोवा और उनके पोते ने सितंबर 2021 में वीडियो पोस्ट करने प्रारम्भ किए जिन्हें अब तक साढ़े सात करोड़ बार देखा जा चुका है.
तोवा ने बोला ‘‘यह बहुत तेजी से फैलता है. हमें लगा कि यह होलोकॉस्ट के बारे में उन युवाओं को बताने का बेहतरीन माध्यम है जो किताबें नहीं पढ़ना चाहते, जो विद्यालयों की कक्षाओं को पसंद नहीं करते, जिन्हें शिक्षकों का पढ़ाने का उपाय पसंद नहीं है, जो इसे उबाऊ विषय मानते हैं या जिन्होंने इसके बारे में सुना नहीं है. अब वे इसे सुन रहे हैं.’’
उनके पोते आरोन गुडमेन ने बोला कि तोवा के जिस वीडियो को सबसे अधिक बार देखा गया है, वह ‘‘वन्स दैट शो हर नंबर’’ है. इस वीडियो में तोवा ‘ऑश्चवित्ज डेथ कैंप’ में रखे गए बंदियों के साथ अपनी बांह पर पहचान के लिए नाजियों द्वारा बनवाया गया टैटू दिखा रही हैं.
आरोन ने बोला ‘‘दुनिया के लोगों को होलोकॉस्ट पीड़ित को देखने का, उनकी बांह में छुपे इतिहास को देखने का मौका वास्तव में नहीं मिला. इसलिए सोशल मीडिया और टिकटॉक वह माध्यम है जिसके जरिये हम उस दौर के सबूत दिखा पा रहे हैं.’’
वीडियो पर टिप्पणियां करने वाले लोग तोवा को उनकी यादें साझा करने के लिए धन्यवाद कह रहे हैं. कई लोगों ने बताया कि विद्यालय में होलोकॉस्ट के बारे में उन्होंने पढ़ा है, लेकिन अधिक नहीं.
आरोन ने बोला कि उन्होंने होलोकॉस्ट के भयावह दौर से नई पीढ़ी को अवगत कराने के लिए तथा यहूदी विरोधी भावना को देखते हुए अपनी दादी के वीडियो बनाए. वह हाईस्कूल में पढ़ते हैं. उन्होंने बोला ‘‘हमें इतिहास पर ध्यान देने की आवश्यकता है. साथ ही लोगों को आगाह करना भी महत्वपूर्ण है कि यदि रोका न गया तो बढ़ती नफरत वह स्थिति ले आएगी जब कुछ भी कर पाना संभव नहीं होगा.’’
टिकटॉक पर एक काले-सफेदफुटेज में नन्हीं तोवा अन्य यहूदी बच्चों के साथ नजर आ रही हैं.
1945 की आरंभ के इस फुटेज में तोवा अपने परिधान की आस्तीन ऊपर कर अपनी बांह पर बनाया गया टैटू दिखा रही हैं. यह फिल्म कैंप से उनकी रिहाई के एक हफ्ते बाद सोवियत सेना ने तैयार की थी तोवा के अनुसार, इस फुटेज में उनकी मां उनके पास ही थीं लेकिन फ्रेम में वह नहीं हैं. उनके मुताबिक, उनकी मां ने उन्हें बताया था कि जीवित बचने के लिए उन्हें कैंप में कभी भी वहां तैनात किसी भी गार्ड से नजरें नहीं मिलाना है और आवश्यकता पड़ने पर मृत शरीरों के बीच छिप जाना है. उनकी मां युद्ध के बाद अवसादग्रस्त हो गई थीं और करीब 45 वर्ष की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई.
तोवा ने बताया कि लोग उनसे अक्सर प्रश्न करते हैं कि इतने भयावह अनुभव के बाद वह लोगों पर भरासा या दूसरों से प्यार कैसे कर लेती हैं. उन्होंने बोला कि उन्होंने होलोकॉस्ट में जीवित बचे कई ऐसे लोगों को देखा जिन्होंने कैंप में अपने परिवार को खो दिया था लेकिन बाद में उन्होंने पुन:विवाह किया और उनके बच्चे हुए. तोवा के अनुसार, उन दिनों इन बच्चों को ‘‘रिप्लेसमेंट चिल्ड्रेन’’ बोला जाता था.
एक थैरेपिस्ट और समाज सेविका के तौर पर काम करने वाली तोवा ने बोला ‘‘जिंदगी दोबारा जी जा सकती है.’’ उन्होंने अपने अनुभवों पर एक पुस्तक ‘‘द डॉटर ऑफ ऑश्चवित्ज’’ भी लिखी है.