संविधान ‘विरोधियों’ को द्रौपदी मुर्मू ने दिखाया था रास्ता

एनडीए की तरफ से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू झारखंड में गवर्नर रहते हुए उस समय जरूरी किरदार निभाई जब आदिवासियों के एक समूह द्वारा संविधान के विरूद्ध आवाज उठाई गई. 2018 में राजधानी से सटे खूंटी जिले में पत्थलगड़ी समर्थकों ने सरकारी सुविधाओं को लेने से इंकार कर दिया. गवर्नमेंट से मिलने वाली सुविधाओं का बहिष्कार कर दिया.
पत्थलगड़ी समर्थकों ने संविधान की विभिन्न धाराओं को अपने हिसाब से परिभाषित कर दावा किया कि पांचवीं अनुसूचित क्षेत्रों में संसद या विधानमंडल का कोई भी सामान कानून लागू नहीं हैl अनुच्छेद 15 के पारा 1 से 5 के तहत, ऐसे लोग जिनके गांव में आने जाने से सुशासन की शक्ति भंग होने की आसार है उनका प्रवेश वर्जित कर दिया थाl धीरे-धीरे यह आंदोलन हिंसक हो गया. आंदोलनकारियों ने पुलिसवालों तक को बंधक बना लिया था. इन क्षेत्रों में पारंपरिक ग्राम सभाओं को सर्व ताकतवर होने का घोषणा किया गया.
खूंटी के बाहर आन्दोलनकारियों द्वारा लगाया गया पत्थर
समानांतर गवर्नमेंट का किया दावा वोटर आईडी और आधार किया सरेंडर
आंदोलनकारियों ने हिंदुस्तान के संविधान को मानने से इंकार कर दियाl उन्होंने बोला कि वोटर कार्ड और आधार कार्ड आदिवासी विरोधी डॉक्यूमेंट्स हैंl यह कह कर उसे सरेंडर भी कर दियाl साथ ही सरकारी योजनाओं का फायदा लेने से इनकार कर दियाl आंदोलन के नेता जोसेफ पूर्ति के नेतृत्व में बाकायदा कैंप लगाकर खूंटी के क्षेत्र में लोगों ने गांव के बाहर बैरिकेडिंग कर दीl साथ ही बिना इजाजत के लोगों के अंदर प्रवेश पर पाबंदी लगा दीl
खूंटी से प्रारम्भ हुए इस आंदोलन ने लिया था हिंसक रूप
दरअसल पत्थलगड़ी आंदोलन की आरंभ खूंटी से हुई थी. 2017 के अगस्त महीने में प्रारम्भ हुए इस आंदोलन ने 2018 में हिंसक रूप ले लियाl जिसकी वजह से लोकसभा स्पीकर कड़िया मुंडा के गांव में आदिवासियों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प भी हुई. 2017 में ही एसपी और 300 पुलिसवालों को आंदोलनकारियों ने बंधक बना लिया थाl पत्थलगड़ी आंदोलन की सूचना मिलते ही वहां के एसपी अश्विनी कुमार और लगभग 300 पुलिसवालों ने गांव में की गई बैरिकेडिंग हटाकर प्रवेश किया, उसके बाद वहां उपस्थित लोगों ने उन्हें बंधक बना लियाl
खूंटी के एक गांव के बाहर लगा पत्थर.
गवर्नर की थी पहल, राजभवन आए पत्थलगड़ी समर्थक
पत्थलगड़ी समर्थकों के साथ प्रशासन की भिड़ंत के बाद तत्कालीन गवर्नर द्रौपदी मुर्मू ने पहल कर उन्हें बात करने राजभवन आने का आमंत्रण दियाl करीब 500 से अधिक समर्थक और ग्राम प्रधान गाड़ियों से राजभवन आए. उन्होंने गवर्नर से मुलाकात की. उस मुलाकात में मुर्मू ने उन्हें संविधान के प्रति विश्वास जताने की अपील की. साथ ही उन्हें आंदोलन वापस लेने की भी कहा. गवर्नर की अपील के बाद आंदोलन शांत हुआ था.
थाना में हुआ मामला दर्ज, गवर्नमेंट ने लिया मुकदमा वापस
खूंटी जाने का रास्ता
वहां के भंडरा गांव में आंदोलनकारियों के विरूद्ध 24 जून 2017 को पहला मामला दर्ज हुआl जिले में भिन्न-भिन्न थाना क्षेत्रों में कुल 19 मुद्दे दर्ज किए गएl इसमें 172 नामजद सहित अन्य को अभियुक्त बनाया गयाl हालांकि राज्य में 2019 में नयी गवर्नमेंट के गठन के बाद हुई पहली कैबिनेट बैठक में पत्थलगड़ी समर्थकों के विरूद्ध दर्ज मुकदमा वापस लेने का निर्णय लिया गयाl