आनंद व अंजनी ने एवरेस्ट बेस कैंप पर लहराया तिरंगा

Ranchi : रांची के रहने वाले आनंद और अंजनी ने एवरेस्ट बेस कैंप पर तिरंगा लहराने के बाद सकुशल वापसी कर ली है। अंजनी कुमारी ने अपने पति आनंद गौतम के साथ 13 मार्च को तिरंगा झंडा एवरेस्ट बेस कैंप पर लहराया। अंजनी कुमारी पेशे से डाटा साइंटिस है और शेल नाम के एमएनसी में कार्यरत हैं। उनके पिता का नाम डाक्टर वीरेंद्र प्रसाद है और माता का नाम रंजू प्रसाद है। अंजनी के पिता रांची यूनिवर्सिटी के इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर रह चुके हैं। वहीं आनंद गौतम पेशे से कंसलटेंट हैं और केपीएमजी नामक एमएनसी में कार्यरत हैं। इनके पिता विजय कुमार केशरी और माता डॉ सबिता केशरी हैं।
मार्च में शून्य से 20 डिग्री नीचे रहता है तापमान
गौरतलब हो कि एवरेस्ट बेस कैंप की ऊंचाई समुंद्री तल से 17598 फीट (5364 मी) है और उस ऊंचाई पर ऑक्सीजन की मात्रा 50 प्रतिशत होती है। मार्च के महीने में वहां का तापमान लगभग शून्य से 20 डिग्री नीचे होता है। अंजनी और आनंद ने इस ट्रेक की तैयारी 4 महीने से कर रही थी। दोनों ने इस ट्रेक की आरंभ 6 मार्च को लुक्ला नामक जगह से की थी जो कि नेपाल में स्थित है। उल्लेखनीय है कि लुक्ला एयरपोर्ट को दुनिया के सबसे घातक एयरपोर्ट में माना जाता है। दोनों ने इस ट्रेक की आरंभ लुक्ला से की और 7 किलोमटर तय करने के बाद दोनों अगले दिन फकडिंग पहुंचे, फकडिंग की ऊंचाई 2610 मी है। यहाँ रात गुजारने के बाद दूसरे दिन 7 मार्च को नामचे बाजार के लिए निकल पड़े। नामचे बाजार 3440 मी पर स्थित है, जिसकी दूरी फकड़िंग से 10 किलोमीटर है।
दक्षिणी बेस कैंप पर पहुंचने के लिए मुश्किल मेहनत
अगले दिन दोनो देबुचे के लिए निकल पड़े, जिसकी ऊंचाई 3860 मी है और नामचे से 9 किलोमीटर दूर है और वहां खुखू छेत्र का सबसे विशाल बौद्ध मठ स्थित है। उसके अगले दिन 11 किलोमीटर की दूरी तय करके दोनो डिंगबोचे पहुंचे, जिसके ऊंचाई 4360 मी है। अब तक ऑक्सीजन का स्तर 75 प्रतिशत हो चुका था। अगले दिन 18 किलोमीटर की दूरी तय करके दोनों लोबुचे पहुंचे जो कि 4940 मी की ऊंचाई पर है। अगले दिन लोबूचे से गोरक्षेप होते हुए दोनो एवरेस्ट बेस कैंप पहुंचे और वहां हिंदुस्तान का झंडा लहराया। इस तरह से 80 किलोमीटर की दूरी एवं 2900 मी की ऊंचाई की पैदल यात्रा तय करके 5364 मीटर की ऊंचाई पर माउंट एवरेस्ट के दक्षिणी बेस कैंप पर हिंदुस्तान का झंडा फहराया।
दुर्गम रास्ता को लांघते हुए पाई सफलता
गौरतलब है कि 13 मार्च को वहाँ का तापमान शून्य से 20 डिग्री नीचे था और बर्फीली हवा के साथ बर्फबारी भी हो रही थी। यह रास्ता बहुत मुश्किल है और इन सभी मुश्किलों को लांघते हुए दोनों ने एक मानसिक एवं शारीरिक साहस का कीर्तिमान स्थापित किया। दोनों ने बताया कि यह एवरेस्ट बेस कैंप ट्रेक एक जीवन भर का एक अनोखा अनुभव बन गया और यह उन्हें जीवन की दूसरी कठिनाई परिस्थितियों से लड़ने का भी जज्बा देती है। यह चढ़ाई कई तरह से बहुत ही मुश्किल मानी जाती है। उन्होंने बताया कि यात्रा प्रारम्भ करने से पहले ही ट्रेकर्स पर इसका असर पड़ सकता है। इस यात्रा के लिए कई महीनों कि तैयारी करनी पड़ती है। यहां यह भी ध्यातव्य है कि आनंद का नानी घर पिठोरिया है। आनंद और अंजनी की कामयाबी पर दोनों के माता-पिता और परिजन खुशी व्यक्त करते हुए शुभकामना दी है।