बिहार के बाद अब झारखंड में भी जाति आधारित गणना, CM चंपाई सोरेन ने दी मंजूरी
रांची। बिहार के बाद झारखंड में भी अब जाति आधारित गणना होगी। सीएम चम्पाई सोरेन ने इसकी स्वीकृति दे दी है। कार्मिक विभाग के जिम्मे जातीय गणना का कार्य होगा। राज्य कार्यपालिका नियमावली में गणना का काम भूमि एवं राजस्व सुधार विभाग को आवंटित है लेकिन जाति आधारित गणना का काम कार्यपालिका नियमावली में किसी विभाग को आवंटित नहीं था।
मुख्यमंत्री ने आदेश दिया है कि जातीय गणना कराए जाने को लेकर एसओपी बनाया जाए और इसे अप्रूवल के लिए कैबिनेट के पास रखा जाये। झारखंड गवर्नमेंट के एक सीनियर अधिकारी ने बोला कि यदि सब कुछ योजना के अनुसार हुआ तो लोकसभा चुनाव के बाद जातीय गणना का काम प्रारम्भ कर दिया जायेगा। राज्य में जातीय गणना को लेकर मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन ने एक्स पर लिखा, ‘जिसकी जितनी संख्या बड़ी, उसकी उतनी हिस्सेदारी। झारखंड तैयार है।
इस मुद्दे में कांग्रेस पार्टी विधायक दल के उपनेता प्रदीप यादव ने बोला कि उन्होंने शनिवार को सीएम चम्पाई सोरेन से मुलाकात कर राज्य में जातीय जनगणना कराने और पिछड़ों का आरक्षण 14 फीसदी से बढ़ाकर 27 फीसदी करने का आग्रह किया था। सीएम ने तुरन्त ऑफिसरों को इस संबंध में निर्देश दिया। प्रदीप यादव ने बोला कि वर्तमान गठबंधन की गवर्नमेंट ने पहले भी इस इस पर गंभीरता से विचार किया था, जिसके बाद पिछड़ी जाति को सरकारी सेवाओं में 27 फीसदी आरक्षण अहमियत के आधार पर देने संबंधी विधेयक विधानसभा से पारित कराया गया था, जो अब तक पेंडिंग है।
जाति के आधार पर जनगणना उस कैटगरी में आती है जिसमें राष्ट्र या फिर एक क्षेत्र की जनसंख्या को उसकी जाति के आधार पर गिना जाता है। इसके जरिए जानकारी इकट्ठी की जाती है और गवर्नमेंट के अतिरिक्त अन्य संगठन इस जानकारी का इस्तेमाल राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और कल्चरल नीतियों को बनाने और प्राथमिकताओं को निर्धारित करने के लिए करते हैं। इस प्रक्रिया से यह जानकारी भी ली जाती है कि किस जाति के लोग किस भूभाग में निवास करते हैं और इससे उन्हें उस क्षेत्र के आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक संदर्भ के बारे में जानकारी मिलती है।