इस पूजा को लेकर गोड्डा के बाजारों में तैयारियां जोरों पर
विश्वकर्मा पूजा निकट आ चुका है। पूजा को लेकर गोड्डा के बाजारों में तैयारियां भी जोरों पर देखी जा रही है। मूर्ति बनाने वाले कलाकार इसे आखिरी रूप देने में जुटे हैं। इस बार गोड्डा में मिट्टी के साथ-साथ प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां भी बनाई जा रही हैं। प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां दिखने में जितनी खूबसूरत होती हैं। उतनी ही सस्ती इसकी मूल्य होती है। इसके साथ इन मूर्तियों को बनाने में अधिक समय भी नहीं लगता है। एक मूर्ति का ढांचा महज दो से ढाई घंटे में तैयार हो जाता है और रंग रोहन कर तैयार करने में मात्र एक दिन का समय लगता है।
गोड्डा के कझिया नदी के पास मूर्ति बनाने में जुटे चुनचुन पंडित ने कहा कि इस बार उन्हें 10 से 12 पीस की मूर्तियों का आर्डर मिला है। अभी 5 से 6 दिन बाकी हैं और भी ऑर्डर आने की आसार है। वे इसी साल से प्लास्टर ऑफ पेरिस की विश्वकर्मा ईश्वर की मूर्तियां बनाना प्रारम्भ किए हैं। उनके पास 300 रुपए से 2500 रुपए तक की मूर्तियां मौजूद हैं।
प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां काफी चलती है
उन्होंने कहा कि प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां बनाना मिट्टी मूर्तियों से अधिक सरल होता है। जहां एक मिट्टी की मूर्ति को बनाने में 10 दिन का समय लगता है। वहीं प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां मात्र एक दिन में तैयार हो जाती हैं।इस मूर्ति के टूटने का डर भी कम होता है। मिट्टी की मूर्ति की तुलना में पानी में भी अधिकसमय में गलती है। जो कम मूल्य पर बड़ी मूर्ति स्थापित करने की सोचते हैं उनके लिए प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां काफी अच्छी और सस्ती होती है।
इस मूर्ति को बनाने के लिए प्लास्टर ऑफ पेरिस को मिट्टी में मिला कर उसे नारियल के छिलकों के साथ फ्रेम में डाला जाता है और उसके बाद इसे दो से ढाई घंटे तक सुखाया जाता है। सूखने के बाद इसे पानी और ब्रश से प्लेन किया जाता है। इसके बाद इसमें रंग रोगन किया जाता है। मूर्ति बनाकर तैयार हो जाती है।
।