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किस गलती के लिए प्राण प्रतिष्ठा से पहले की गई प्रायश्चित पूजा, पढ़े पूरी खबर

प्रभु श्रीराम अपनी जन्मस्थली पर 5 शताब्दी बाद फिर पधार रहे हैं इस पावन अवसर के लिए पूरा राष्ट्र उनके आगमन की प्रतीक्षा तो कर रहा है, साथ ही आज प्राण प्रतिष्ठा से मंगलमय कार्यक्रम से पहले मंगलवार को प्रायश्चित पूजा हुई

वैदिक परंपरा के मुताबिक 5 घंटे तक अयोध्या में प्रायश्चित पूजा की गई सदियों बाद ईश्वर राम के आगमन से जुड़े विधि-विधान में कई तरह की सनातन परंपराओं और मर्यादाओं का पालन करना जरूरी है ऐसे में इस पूजा का महत्व बहुत बढ़ जाता है प्रश्न ये है कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा जैसे इतने बड़े मंगल कार्य के लिए आखिर प्रायश्चित पूजा से ही आरंभ क्यों हुई है ऐसी कौन सी भूल हो जाती है कि प्रायश्चित करना पड़े तो इस बात का उत्तर हम आपको एक-एक कर दे रहे हैं

प्रायश्चित पूजा है क्या? 

जीवन में हर प्राणी से जाने अनजाने में कोई न कोई भूलचूक हो ही जाती है भूलचूक के कारण मनुष्य को इसका पछतावा भी होता है हिंदू धर्म में ईश्वर की पूजा पाठ करने के लिए वैदिक परंपरा के मुताबिक विशेष नियम पद्धतियां हैं कोई भी धार्मिक अनुष्ठान करने से पहले उनका पालन करना जरूरी होता है ऐसे में यदि किसी भी पूजा पद्धति का पालन नियमित रूप से यदि नहीं हो पाता है तो उस कारण मन को खेद होता है कि प्रभु की पूजा में भूलचूक से गलती हो गई और इसी गलती का प्रायश्चित करने के लिए इसकी पूजा की जाती है दरअसल, ईश्वर की पूजा में वैदिक परंपरा के मुताबिक विशेष नियम पद्धतियां हैं और धार्मिक अनुष्ठान से पहले उनका त्रुटिहीन पालन करना जरूरी है

इस पूजा में क्या होता है?

प्रायश्चित पूजा में शारीरिक, मानसिक और आंतरिक इन तीन चीजों का प्रायश्चित किया जाता है वैदिक पूजा पद्धति के मुताबिक इस पूजा में 10 विधि के स्नान का भी प्रावधान है  इसमें पवित्रता का संकल्प लेते हुए भस्म समेत कई चीजों से स्नान किया जाता है इस पूजा में गोदान करने का भी विधान होता है सोना-चांदी और आभूषण भी इस पूजा में दान किए जाते हैं प्रायश्चित पूजा के बाद माना जाता है कि जब देव प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा कर मूर्तियों को विराजमान कराया जाए तो यह बहुत पवित्र और बड़े अनुष्ठानों की श्रेणी में आती है यही नहीं, आज कर्मकुटी पूजन भी किया गया है, ये पूजन विवेक सृष्टि में हुआ कर्मकुटी पूजा में यज्ञशाला के पूजन की परंपरा है प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान का ये महत्वपूर्ण हिस्सा है

कर्मकुटी पूजन क्या है?

पहले जिसने मूर्ति बनाई है वो शिल्पी प्रायश्चित पूजन करें, उसके बाद दशविधि स्नान होगा आचार्यगण के साथ बैठकर मूर्ति का अभिषेक होगा पूजन करके हवन किया जाएगा खास बात ये भी है कि 17 जनवरी को रामलला की मूर्ति का मंदिर परिसर में प्रवेश होगा यह मूर्ति 5 साल के बालक के स्वरूप में हैं  इसके साथ ही अगले 6 दिनों अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर में कई तरह के पूजा विधान होंगे, जिनमें से आज सरयू नदी के तट पर दशविध स्नान, विष्णु पूजा और गोदान का कार्यक्रम हुआ

पूजा पाठ का शुरुआत अनिल मिश्रा ने अपनी पत्नी के साथ किया बता दें कि अनिल मिश्रा राम जन्मभूमि के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के मुख्य यजमान हैं रामनगरी में बन रहे रामलला के निवास के निर्माण की सामग्री राष्ट्र के भिन्न-भिन्न राज्यों से आई है कारीगर, इंजिनियर, मजदूर, नक्काशी के जानकार से लेकर निर्माण के भिन्न-भिन्न विधाओं से जुड़े लोग भी भिन्न-भिन्न राज्यों का अगुवाई करते हैं

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