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दिल्ली में खुद को डीएसआईआईडीसी अधिकारी बताने वाले पांच लोग हुये गिरफ्तार

नई दिल्ली, 2 जनवरी  राष्ट्रीय राजधानी में फैक्ट्री मालिकों को ठगने के लिए स्वयं को डीएसआईआईडीसी अधिकारी बताने वाले पांच लोगों को अरैस्ट कर लिया गया है. दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी.

आरोपियों की पहचान विक्रम सक्सेना (38), वेद प्रकाश तोमर (48), मोहम्मद सकलैन नकवी उर्फ असरफ (59) रवि चौधरी (37) और शाह हसन नकवी (32) के रूप में हुई है, जिनके विरुद्ध फैक्ट्री मालिकों से 25 लाख रुपये की ठगी की तीन एफआईआर और 10 एनसीआरपी शिकायतें थीं.

हाल ही में बवाना निवासी गुरबिंदर कुमार टंडन की ओर से साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर कम्पलेन मिलने के बाद ये गिरफ्तारियां हुईं.

पुलिस उपायुक्त (बाहरी उत्तर) रवि कुमार सिंह ने कहा, “बिना ब्याज के जमीन का किराया जमा करने के बहाने शिकायतकर्ता से 1,75,000 रुपये की फर्जीवाड़ा की गई थी. कथित आदमी ने स्वयं को दिल्ली राज्य औद्योगिक और बुनियादी ढांचा विकास निगम (डीएसआईआईडीसी) का एक अधिकारी नवीन गुप्ता बताया.

इस प्रकार की फर्जीवाड़ा गतिविधि व्यापक प्रतीत होती है. बवाना में कई फैक्ट्री मालिक इसी तरह की योजनाओं का शिकार हो रहे हैं.

इस कम्पलेन से पहले, दो तुलनीय मुद्दे पहले ही दर्ज किए जा चुके थे, जिनमें से प्रत्येक में समान कार्यप्रणाली का पालन किया गया था. प्रत्येक मुद्दे में, अपराधियों ने भ्रामक रणनीति का इस्तेमाल किया, ऑफिसरों के रूप में भेष बदलकर संदिग्ध व्यक्तियों को वित्तीय जाल में फंसाया.

डीसीपी ने कहा, “इसके अलावा, फैक्ट्री मालिकों से डीएसआईआईडीसी ऑफिसरों के नाम पर फर्जीवाड़ा करने की ऐसी ही 10 से अधिक शिकायतें भी प्राप्त हुईं.

जांच के दौरान, कॉलिंग नंबरों, बैंक खातों का विवरण प्राप्त किया गया और मनी ट्रेल का पता लगाया गया.

डीसीपी ने कहा, “27 दिसंबर को गाजियाबाद क्षेत्र में छापेमारी की गई और नकवी को पकड़ लिया गया.

पूछताछ में नकवी ने उल्टा तथ्य बताए और जांच में योगदान नहीं किया.

डीसीपी ने कहा, “इसके बाद, उसे मौजूदा मुद्दे में अरैस्ट कर लिया गया. आरोपियों से हिरासत में पूछताछ से यह पता चला कि आरोपी आदमी एक आपराधिक षड्यंत्र के अनुसार अन्य सह-आरोपियों के साथ एक्टिव रूप से मिलकर एक सिंडिकेट चला रहे थे.

शेष आरोपियों को पकड़ने के लिए पुलिस टीम ने कथित धोखेबाजों की कार्यप्रणाली की सूक्ष्मता से जांच की, और यह पता चला कि कथित आदमी संपर्क में रहने के लिए व्हाट्सएप नंबरों का इस्तेमाल कर रहे थे.

डीसीपी ने कहा, “टीम ने इलेक्ट्रॉनिक नज़र और क्षेत्रीय खुफिया जानकारी के माध्यम से साफ व्हाट्सएप नंबरों के आईपी पते का विवरण प्राप्त किया, सभी आरोपी व्यक्तियों के जगह को इंटरसेप्ट किया और वर्तमान मुद्दे में शेष चार आरोपियों को अरैस्ट कर लिया.

डीसीपी ने आगे बोला कि सक्सेना इस घोटाले का मास्टरमाइंड है और उसे पहले 2020 में दिल्ली पुलिस की आर्थिक क्राइम शाखा (ईओडब्ल्यू) ने अरैस्ट किया था.

डीसीपी ने कहा, “वह डीएसआईआईडीसी की कार्यप्रणाली और लोगों को विश्वासघात देने के लिए औनलाइन मौजूद जानकारी से अच्छी तरह परिचित है. वे स्वयं को डीएसआईडीसी अधिकारी बताकर फैक्ट्री मालिकों को टेलीफोन करते थे और फैक्ट्री मालिकों को बिना ब्याज या टैक्स के लंबित ग्राउंड रेंट बिल जमा करने के लिए प्रेरित करते थे. फर्जीवाड़ा करने वाले फैक्ट्री मालिकों ने फर्जीवाड़ा वाले खातों में औनलाइन भुगतान किया.

सक्सेना ने पूरे घोटाले की षड्यंत्र रची और रवि अंग्रेजी में पारंगत है और फैक्ट्री मालिकों को टेलीफोन करता था. डीसीपी ने कहा, “शाह हसन ने उन खातों में फर्जीवाड़ा के पैसे प्राप्त करने के लिए खातों की प्रबंध की. नकवी और वेद प्रकाश भी फैक्ट्री मालिकों से संपर्क करते थे और दोनों के पास 20-20 प्रतिशत शेयर थे. वे प्राप्त भुगतान के खिलाफ रसीदें प्रदान करते थे.

 

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