लेटैस्ट न्यूज़

बीमारी और भुखमरी के बीच नाजिनो द्वीप की कई कैदियों ने नरभक्षण का अपनाया रास्ता

Cannibal Island History : साइबेरियाई नदी के बीचों बीच एक द्वीप स्थित है, जिसका नाम नाजिनो द्वीप है. सभ्यता से दूर यह बिल्कुल शांत स्थान है. नाजिनो द्वीप का एक काला अतीत भी है, इसलिए इसे कभी ‘नरभक्षी द्वीप’ के नाम से जाना जाता था. हालांकि, आरंभ में नाजिनो द्वीप की रिपोर्ट छिपाई गई थी, लेकिन अंत में वहां की भयावहता लोगों के सामने आ गई. आइए जानते हैं कि नरभक्षी द्वीप का क्या है काला इतिहास?

मई 1933 में रूस के तानाशाह जोसेफ स्टालिन के शासन में 6,000 से अधिक सोवियत कैदियों को नाजिनो द्वीप में बस्ती बनाने के लिए भेजा गया था. दो मील से कम लंबा और 2,000 फीट चौड़े द्वीप पर कैदियों को बिना आश्रय, भोजन या उपकरणों के रखा गया था. ऐसे में उन्हें जीवित रहने के लिए हिंसक कदम उठाना पड़ा.

बीमारी और भुखमरी के चलते कैदियों ने नरभक्षण का चुना रास्ता

बीमारी और भुखमरी के बीच कई कैदियों ने नरभक्षण का रास्ता अपना लिया. नरभक्षण के अनुसार एक आदमी दूसरे आदमी का मांस खाता है, जिसे आदमखोरी भी बोला जाता है. जब सोवियत संघ ने जुलाई में इस द्वीप को बंद किया था, तब केवल 2,000 कैदी ही जिंदा बचे थे.

जोसेफ स्टालिन के शासन में बना था नरभक्षी द्वीप

नाजिनो द्वीप को नरभक्षी द्वीप के रूप में कैसे जाना जाने लगा, इसकी कहानी सोवियत तानाशाह जोसेफ स्टालिन से प्रारम्भ होती है. व्लादिमीर लेनिन की मृत्यु के बाद जोसेफ स्टालिन ने सत्ता की कमान संभाली. उन्होंने नरभक्षी द्वीप पर सोवियत गुलाग और मजदूर शिविरों के नेटवर्क का विस्तार किया. इस द्वीप पर ऐसे अपराधियों, बेरोजगारों और बेगुनाह लोगों को भेजा जाता था, जिन्हें घरेलू पासपोर्ट नहीं होने पर अरैस्ट किया गया था.

नाजिनो द्वीप पर न भोजन था और न ही घर

नाजिनो द्वीप के एक कैदी ने कहा कि मैं मॉस्को में एक विद्यार्थी था. एक दिन मैं मॉस्को में अपनी चाची से मिलने के लिए गया था. मैं उसके घर का दरवाजा खटखटाया, लेकिन इससे पहले कि वह दरवाजा खोलती, पुलिस ने मुझे अरैस्ट कर लिया, क्योंकि मेरे पास पासपोर्ट नहीं था. इस दौरान मुझे सोवियत कैदियों से भरी पहली नाव में डालकर नाजिनो द्वीप भेजा गया. वहां न तो खाने की प्रबंध थी और न ही रहने के लिए घर.

मैंने भी खाए थे कलेजे और दिल : कैदी

एक जीवित कैदी ने सोवियत ऑफिसरों को कहा कि कैदी इस द्वीप एक दूसरे को मारकर खाने को विवश थे. मैंने भी जिंदा रहने के लिए कलेजे और दिल खाए. मैंने उन लोगों का मांस खाया, जो पूरी तरह जिंदा नहीं थे, लेकिन मरे भी नहीं थे. ये ऐसे लोग थे, जो एक-दो दिन में मर जाते.

Related Articles

Back to top button