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दिसंबर से जनवरी तक 13 दिन बंद रहेंगी बैंक सेवाएं जानें क्यों

इस वर्ष दिसंबर महीने से लेकर नए वर्ष में जनवरी 2024 तक बैंक कर्मचारियों की स्ट्राइक के कारण राष्ट्र में कुल 13 दिनों तक बैंकिंग सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं ऑल इण्डिया बैंक एम्प्लॉइज एसोसिएशन ने इस स्ट्राइक का आह्वान किया है बैंकों में पर्याप्त संख्या में कर्मचारियों की भर्ती की मांग और नियमित नौकरियों की आउटसोर्सिंग के विरोध में बैंक यूनियनें स्ट्राइक पर जा रही हैं

  • 4 दिसंबर 2023 को राष्ट्र के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक, पीएनबी और पंजाब एंड सिंध बैंक के कर्मचारी देशव्यापी स्ट्राइक पर रहेंगे
  • 5 दिसंबर 2023 को बैंक ऑफ बड़ौदा और बैंक ऑफ इण्डिया के कर्मचारी स्ट्राइक पर रहेंगे
  • 6 दिसंबर 2023 को केनरा बैंक और यूको बैंक के कर्मचारी स्ट्राइक पर रहेंगे
  • इंडियन बैंक और यूको बैंक के कर्मचारी 7 दिसंबर 2023 को स्ट्राइक पर रहेंगे
  • 8 दिसंबर 2023 को यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया और बैंक ऑफ महाराष्ट्र के कर्मचारी देशव्यापी स्ट्राइक पर रहेंगे
  • 11 दिसंबर को निजी बैंकों के कर्मचारी स्ट्राइक पर रहेंगे

नए वर्ष 2024 में सभी बैंक कर्मचारी चरणबद्ध ढंग से भिन्न-भिन्न राज्यों में एक साथ स्ट्राइक पर रहेंगे

  • 2 जनवरी 2024 को दक्षिण हिंदुस्तान के तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, पुडुचेरी, अंडमान और निकोबार और लक्षद्वीप में सभी बैंकों के कर्मचारी स्ट्राइक पर रहेंगे
  • 3 जनवरी 2024 को पश्चिमी भारतीय राज्यों गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, दादर, दमन, दीव में सभी बैंक कर्मचारी स्ट्राइक पर रहेंगे
  • 4 जनवरी 2024 को राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कर्मचारी स्ट्राइक पर रहेंगे
  • 5 जनवरी से 24 जनवरी तक दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के सभी सरकारी बैंकों के कर्मचारी स्ट्राइक पर रहेंगे
  • 6 जनवरी 2024 को पूर्वी राज्यों पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, असम, त्रिपुरा, मेघालय, मणिपुर, नागालैंड, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम में बैंक कर्मचारी स्ट्राइक पर रहेंगे

19-20 जनवरी 2024 को देशव्यापी हड़ताल

इसके बाद 19 और 20 जनवरी 2024 को देशभर के सरकारी बैंकों के बैंक कर्मचारी दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी स्ट्राइक पर रहेंगे ऑल इण्डिया बैंक एम्प्लॉइज एसोसिएशन का बोलना है कि हाल के सालों में बैंक ग्राहकों की संख्या कई गुना बढ़ी है बैंकों का बिजनेस वॉल्यूम बढ़ गया है जिससे बैंक कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ गया है लेकिन इस दौरान पर्याप्त संख्या में कर्मचारियों की भर्ती नहीं की गयी है सेवानिवृत्ति, पदोन्नति और मौत के कारण बैंकों में रिक्तियां बढ़ गई हैं लेकिन इसे भरा नहीं जा रहा है अतिरिक्त स्टॉक मौजूद नहीं कराया जा रहा है बैंक द्वारा कई सरकारी योजनाएं संचालित की जा रही हैं सरकारी बैंकों ने 50 करोड़ जनधन खाते खोले हैं इससे शाखाओं में कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ गया है

स्थायी नौकरियाँ आउटसोर्स की जा रही हैं

यूनियन ने बोला कि बैंक शाखाओं में कर्मचारियों की भारी कमी है जिसके कारण ग्राहक सेवाएं प्रभावित हो रही हैं इसके चलते ग्राहकों की शिकायतें आ रही हैं यूनियन ने इल्जाम लगाया कि गवर्नमेंट और बैंक जानबूझकर क्लर्क और अधीनस्थ स्तर पर कर्मचारियों की संख्या कम कर रहे हैं और पर्यवेक्षी कर्मचारियों की संख्या बढ़ा रहे हैं इसके पीछे उद्देश्य यह है कि कम से कम मजदूर औद्योगिक टकराव अधिनियम के भीतर आएं साथ ही, नियमित और स्थायी नौकरियों को अनुबंध के आधार पर आउटसोर्स किया जा रहा है ताकि कर्मचारियों को द्विपक्षीय समझौते के आधार पर वेतन का भुगतान न करना पड़े इसके चलते क्लर्क स्तर पर भर्तियों में भारी कमी आई है यही वजह है कि बैंक यूनियनें स्ट्राइक पर जा रही हैं

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