भाजपा आलाकमान कर्नाटक में एक विशाल सम्मेलन आयोजित करने की बना रहा योजना
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बेंगलुरु।भाजपाइयों और जद (एस) के नेताओं को एक मंच पर लाने के लिए बीजेपी आलाकमान कर्नाटक में एक विशाल सम्मेलन आयोजित करने की योजना बना रहा है। सूत्रों के मुताबिक, सम्मेलन में पीएम मोदी या केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शामिल होंगे।
इस कार्यक्रम को लेकर सूत्रों ने बोला कि सम्मेलन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के बाद आयोजित किया जाएगा। आलाकमान गठबंधन में जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं तक संदेश पहुंचाना चाहता है। योजना नयी दिल्ली से किसी शीर्ष नेता, प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी या अमित शाह, पूर्व मुख्यमंत्री बी।एस। येदियुरप्पा और पूर्व पीएम एच।डी। देवेगौड़ा और उनके बेटे पूर्व मुख्यमंत्री एच।डी। कुमारस्वामी एक साथ लाने की है।
सभी नेता गठबंधन की घोषणा करेंगे और कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी गवर्नमेंट से मुकाबला करने का संकल्प लेंगे। हालांकि गठबंधन की घोषणा हो चुकी है। कुमारस्वामी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की है, लेकिन जमीनी स्तर पर पार्टी कार्यकर्ता अभी भी इस विकास को पचा नहीं पा रहे हैं।
भाजपा और कांग्रेस पार्टी पार्टी के कार्यकर्ता दशकों से राज्य में जद (एस) को कट्टर प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखते रहे हैं। हालांकि जद (एस) ने दोनों दलों के साथ गठबंधन गवर्नमेंट बनाई है, लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच कड़वाहट और प्रतिद्वंद्विता अभी भी ताजा है। कड़वाहट को कम करने और कांग्रेस पार्टी को स्थिति का लाभ उठाने से रोकने के लिए, पार्टी एक विशाल सम्मेलन बुलाने और आनें वाले लोकसभा चुनावों के लिए बिगुल फूंकने की योजना बना रही है।
हालांकि गठबंधन दक्षिण कर्नाटक के जिलों में बीजेपी के लिए एक झटका साबित हो सकता है, जहां वह पैर जमा रही है, नेताओं ने समझाया कि जद (एस) के साथ हाथ मिलाने से निश्चित रूप से भगवा पार्टी को सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी पार्टी का सामना करने में सहायता मिलेगी जो कि मजबूत दिख रही है।
कांग्रेस मुसलमान वोट बैंक के बीच सद्भावना बरकरार रखने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है, जिसने पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को भारी वोट दिया था। साथ ही, पार्टी विवादास्पद जाति जनगणना रिपोर्ट को स्वीकार करने की तैयारी कर एससी, एसटी और ओबीसी वोटों को भी लुभा रही है, जिसे सिद्दारमैया गवर्नमेंट ने 2016 में अपने पिछले कार्यकाल के दौरान तैयार किया था। रिपोर्ट वोक्कालिगा और लिंगायत वोटों के असर को कमजोर करती है।
डिप्टी मुख्यमंत्री डी।के। शिवकुमार कांग्रेस पार्टी की ओर से वोक्कालिगा समुदाय का चेहरा बनकर उभर रहे हैं और मुख्यमंत्री सिद्दारमैया को लिंगायत विचारधारा के संस्थापक बसव दर्शन के अनुयायी के रूप में पेश किया जा रहा है।
हालांकि, कावेरी मामले से निपटने के दौरान ईद-मिलाद जुलूस के दौरान भड़की शिवमोग्गा अत्याचार से निपटने पर तुष्टिकरण के इल्जाम लगे। गृह मंत्री डाक्टर जी। परमेश्वर के बयान में विद्रोहियों द्वारा हिंदुओं के घरों में घुसने और उन पर धावा करने की घटना को छोटी घटना कहा गया। लिंगायतों को दरकिनार करने की घटना के आरोपों ने बीजेपी और जद (एस) को कांग्रेस पार्टी गवर्नमेंट पर धावा प्रारम्भ करने का सुनहरा मौका दे दिया है।
कुमारस्वामी ने पहले ही कांग्रेस पार्टी गवर्नमेंट पर तीखा धावा किया है और कुछ हद तक वोक्कालिगा समुदाय को फटकार लगाई थी कि वे अब उनके जगह पर उपमुख्यमंत्री शिवकुमार को चुनने के रिज़ल्ट भुगत रहे हैं और अब समय आ गया है कि वे जद (एस) में लौट आएं।
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